2008-06-11 16:19:05

हारपीन शहर एक विदेशी माहौस से युक्त प्रसिद्ध शहर माना जाता है

हारपीन शहर एक विदेशी माहौस से युक्त प्रसिद्ध शहर माना जाता है , इस शहर में विदेशी वास्तु शैलियों में निर्मित विविधतापूर्ण आकार वाले भवन , गिरजाघर व सड़के देखने को मिलते ही नहीं , अतीत जमाने में बड़ी तादाद में यहूदी , जर्मन , फ्रांसिसी और रूसी इत्यादि विदेश लोग भी रहते थे , अतः यह शहर एक उत्प्रवासी शहर के रूप में भी जाना जाता है । पिछले बीसेक सालों में लागू रूपांतर व खुले द्वार नीति के माध्यम से हारपीन शहर में भी जमीन आस्मान के परिवर्तन आये हैं , इसलिये उक्त आधारों पर एक अपनी अलग पहचान वाले शहर के रूप में निर्मित करने का इरादा पैदा हो गया । हम क्रमशः नानकांग डिस्ट्रिकट में नारी सड़क , मकाओ सड़क ,रूसी सड़क , कोरिया सड़क समेत अनेक रौनकदार व्यवसायिक सड़कें निर्मित कर चुके हैं ।

चीन व भारत आज की दुनिया में सब से बड़े विकासशील देश ही नहीं , दोनों निकट पड़ोसी देश भी हैं । पिछले कई हजारों वर्षों में इन दोनों देशों के बीच परम्परागत मैत्रीपूर्ण संबंध और सहयोग बने रहे हैं , विशेषकर वर्तमान आधुनिक काल में दोनों देशों के सामने गरीबी उन्मूलन , आर्थिक विकास, देश को पुनरूत्थान बनाने और जनता का जीवन स्तर उन्नत करने का समान मिशन मौजूद है । एक शब्द में भारत व चीन ये दोनों बड़े विकासशील देश बहुत से क्षेत्रों में एक दूसरे का पूरक माने जाते हैं । इसे ध्यान में रखकर दोनों देशों की सरकारे इधर सालों में आपसी समझ , आर्थिक व व्यापारिक सहयोग व विविधतापूर्ण आवाजाही बढ़ाने पर अत्यंत महत्व देती आयी हैं और उल्लेखनीय उपलब्धियां भी प्राप्त कर चुकी हैं । पर पिछले दसियों सालों में कुछ ऐतिहासिक कारणों से इन दोनों निकट पड़ोसी देशों की आवाजाही बाधित हो गयी है , दोनों देशों की जनता एक दूसरे को बहुत कम जानती है । यदि हम हारपीन शहर के नान कांग डिस्ट्रिक्ट में एक भारत सड़क स्थापित करेंगे , तो इस अपने ढ़ंग की यह सड़क दोनों देशों के व्यापारियों के लिये निश्चित रूप से व्यापार करने और एक दूसरे को नजदीकी से समझने की भूमिका निभायेगी । इसी इरादे से प्रेरित होकर 2004 वर्ष की जुलाई को नान कांग डिस्ट्रिक्ट के पूर्व प्रधान वेइ अपने सहकारियों के साथ सर्वेक्षण के लिये नयी दिल्ली पहुंचे । नयी दिल्ली में प्रवास के दौरान उन्हों ने कुछ भारतीय व्यापारियों के साथ सम्पर्क बनाया और बड़े छोटे बाजारों को गौर से देखा , ताकि भारत के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त की जा सके और हारपीन शहर में सफल भारत सड़क निर्मित करने की संभावना हो सके । भारत से स्वदेश लौटने के बाद वे भारत सड़क स्थापित करने का काम करना शुरू कर दिया और जल्द ही इस सड़क को मूर्त रूप दे दिया है ।