2008-06-10 18:16:01

तिब्बती गायिका छ्येईदेनच्वोमा

छ्येईदेनच्वोमा इस वर्ष 71 की उम्र में हैं। वर्ष 1937 में छ्येईदेनच्वोमा का जन्म तिब्बत के रिखाजे प्रिफेक्चर के एक गरीब गुलाम परिवार में हुआ था । तिब्बती भाषा में छ्येईदेन और च्वोमा का अलग-अलग अर्थ है- लम्बा जीवन और स्त्री। लेकिन, तिब्बत की शांतिपर्ण मुक्ति से पहले, छ्येईदेनच्वोमा और अपने परिवारजनों के साथ कठिन जीवन बिता रही थीं। उन का परिवार स्वामी के लिए श्रम करता था।

मेरा घर बहुत गरीब था। हमारे पास न भूमि थी और न मकान था। गुलामों के पास भूमि नहीं होती थी। सभी तो गुलाम-स्वामी थे। हम गुलाम उन की भूमि पर श्रम करते थे, और फसल का अधिकांश स्वामी को देना होता था।हमारे जीवन में गारंटी नहीं थी।

वर्ष 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद, छ्येईदेनच्वोमा के जीवन में भी परिवर्तन आया । छ्येईदेनच्वोमा ने तिब्बती युवा महिला संघ में भाग लिया और उन्होंने अक्सर युवा महिला संघ की सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरु किया।

धीरे-धीरे छ्येईदेनच्वोमा मशहूर हो गयीं। 21 की उम्र में छ्येईदेनच्वोमा एक स्थानीय लोकप्रिय गायिका बन गयीं। एक वर्ष बाद, तिब्बती संगीतकारों को प्रशिक्षित करने के लिए चीन के भीतरी इलाके के शांगहाई शहर की शांगहाई संगीत अकादमी ने जातीय कक्षाएं शुरु कीं। वर्ष 1958 में शांगहाई संगीत अकादमी के अध्यापक तिब्बत में विद्यार्थियों को भरने तिब्बत आये। छ्येईदेनच्वोमा को तुरंत अध्यापकों की प्रशंसा मिली और उन्हें शांगहाई संगीत अकादमी में दाखिला मिल गया।

अनेक लोग परीक्षा के लिए आये थे। हमारे सांस्कृतिक मंडल के कुछ लोगों ने अध्यापक से मेरा परिचय करवाया। जब अध्यापक ने मेरी आवाज सुनी, तो मुझे बताया कि ठीक है।

अपनी मधुर आवाज़ से छ्येईदेनच्वोमा ने शांगहाई संगीत अकादमी में प्रवेश किया। लेकिन, छ्येईदेनच्वोमा ने केवल एक ही वर्ष स्कूल की शिक्षा ली थी, वे अनपढ़ थीं और संगीत भी नहीं आता था। इसलिए, पढ़ाई में उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक बार उन्होंने स्कूल छोड़ने की बात भी सोची।

स्कूल में आने के बाद, मुझे ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था। जब मैं शांगहाई संगीत अकादमी पहुंची, तो मैं एक भी चीनी वाक्य नहीं बोल सकती थी। मैं अध्यापकों व सहपाठियों के साथ बातचीत नहीं कर सकती थीं।मैंने कहा कि मैं पढ़ना नहीं चाहती हूं। मैं तिब्बत वापस लौटना चाहती हूं।

छ्येईदेनच्वोमा की स्थिति को जानने के बाद, अध्यापकों ने उन के साथ विशेष व्यवहार किया और उन्हें अकेले ही सिखाया।उन की अध्यापक ने खुद ही तिब्बती भाषा सीखनी शुरू की। सभी लोग भाई-बहन की तरह छ्येईदेनच्वोमा के साथ अच्छा व्यवहार करते थे। गाने में छ्येईदेनच्वोमा को भारी उन्नति मिली थी। इस बीच, छ्येईदेनच्वोमा ने एक फिल्म का प्रमुख गीत मुक्त गुलामों का खुशी गीत गाया।

उस समय, पेइचिंग शिनई फिल्म निर्माण कारखाने ने एक बड़ी फिल्म खींचीं। यह फिल्म तिब्बत का परिचय देती थी। मुक्ति से पहले तिब्बत की बुरी स्थिति और नये तिब्बत में जातीय रूपांतरण इस फिल्म का मुख्य विषय था। इस फिल्म में एक गीत चाहिए था। सौभाग्य से फिल्म में मुक्त गुलामों का खुशी गीत मुझे गाने का मौका मिला।

इस के बाद, छ्येईदेनच्वोमा ने ज्यादा से ज्यादा तिब्बती गीत गाए। उन की विशेष आवाज़ और गहरी भावना ने अनेक लोगों पर गहरी छाप छोड़ी है। छ्येईदेनच्वोमा द्वारा गाया गया गीत चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का गुणगान करो, पेइचिंग के छिनशैन पहाड़ पर आदि गीत लोगों की जुबान पर हैं।ये गीत सारे चीन में प्रचलित हुए थे और लोगों के मन में बसे हुए हैं। तिब्बत के विकास की मांग को पूरा करने के लिए छ्येईदेनच्वोमा स्नातक होने के बाद शांगहाई से पुनः तिब्बत वापस लौटीं।

एक तिब्बती गायिका होने के नाते, मुझे लगता है कि मुझे तिब्बत की इस विस्तृत भूमि पर रहना चाहिए। केवल तिब्बत में ही मेरी विशषता, मेरे गीत की शैली को पूरी तरह आगे विकसित किया जा सकता है। तिब्बत

मेरी जन्मभूमि है। इस भूमि से हट कर मेरा विकास नहीं हो सकता है।

तिब्बत वापस लौटने के बाद, छ्येईदेनच्वोमा ने तिब्बती नृत्य-गान मंडल में भाग लिया। वे तिब्बत में हर जगह गयीं और अपने मधुर गीतों से चरवाहा क्षेत्रों के लोगों को शुभकामनाएं दीं। पिछले 40 वर्षों से भी अधिक समय में छ्येईदेनच्वोमा अपनी गीतों से पुराने तिब्बत में गुलामी के अनुभव बता रही हैं।हालांकि वे वृद्ध हो गयी हैं, फिर भी उन की आवाज़ अभी भी मधुर है । उन्होंने कहा कि वे आजीवन तिब्बती लोगों के खुशहाल जीवन के लिए गाती रहेंगी ।