2008-06-02 15:02:50

सिंच्यांग में बुजुर्ग चित्रकार और उन का जीवन

पश्चिमी चीन के सिंच्यांग वेवुर जातीय स्वायत्त प्रदेश में रहने वाले कुछ बुजुर्ग चित्रकार और उन के जीवन के बारे में कुछ बता रहे हैं ।

कुछ समय पहले हमारे संवाददाता की सिंच्यांग के रिटायर्ड बुजुर्ग कर्मचारी संघ में चार बुर्जुग चित्रकारों से मुलाकात हुई। संवाददाता ने पाया कि आश्चर्यजनक रुप से ये बुजुर्ग चित्रकार चित्रकारी में अत्यंत कुशल हैं । एक बुजुर्ग के कागज़ पर जीते-जागते अंगूर उभरे हुए थे , दूसरे ने अपनी कलम से एक सजीव खरबूज़े का चित्र बनाया था और जब भी किसी व्यक्ति ने यदि इन बुजुर्ग चित्रकारों से कोई चित्र की मांग की , तो उन्हों ने बिना किसी हिचक के तुरंत ही चित्र बनाकर उपहार में दे दिया। सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के बुजुर्ग कर्मचारी चित्रकारी संघ के अध्यक्ष श्री ली शू पींग ने संवाददाता को अपने इन सहपाठियों की कहानी सुनायी ।

उन्हों ने कहा , चित्रकारी उत्कृष्ट कला मानी जाती है । हमारे बुजुर्ग कर्मचारियों ने अवकाश-ग्रहण करने के बाद सिंच्यांग के लिए और कुछ योगदान करने की सोची । इसलिए हम ने सिंच्यांग में जगह-जगह जाकर चित्रकला का प्रसार करना शुरू किया । हरेक पर्व या त्योहार की छुट्टियों में हम अक्सर गांव , कारखाने और खानों में भी मजदूरों और किसानों को चित्रकला का प्रशिक्षण देने जाते । और हमारी ये सब गतिविधियां निःशुल्क भी हैं । मजदूरों को हस्तलिपि सिखाने वाले श्री ली शू पींग दस साल पहले अपनी ड्यूटी से सेवा-निवृत हुए थे । घर वापस लौटकर उन्हें बहुत अकेलापन महसूस हुआ । लेकिन कुछ समय बाद उन्हों ने चित्रकारी और हस्तलिपि सीखना शुरू की । खासकर चीनी अक्षरों की हस्तलिपि में उन्हें शक्ति , साहस और सुन्दरता दिखाई पड़ी । उन्हों ने अपना अधिकांश समय हस्तलिपि कला में देना शुरु किया । श्री ली का मानना है कि धन कमाने के उद्देश्य से कलात्मक काम करना सही नहीं है । उन्हों ने अपने नेतृत्व वाले बुजुर्ग कर्मचारी चित्रकारी संघ के सभी सदस्यों से यह मांग की कि हमें मजदूरों और किसानों की सेवा में अथक प्रयास करना चाहिये । एक कोयला खान के मजदूरों को चित्रकारी सिखाने के लिए श्री ली शू पींग और उन के 12 सहपाठी सिंच्यांग में सब से दूर कांऊटी पाई-छंग भी गये ।

कोयला खान जाने के रास्ते में ढ़ेर सारे पत्थर थे । हमारी गाड़ी ऊबड़-खाबड़ मार्ग पर मुश्किल से आगे चली । दौ सौ किलोमीटर दूर का रास्ता नापने में आधा दिन लग गया । रात को ही हम वहां पर पहुंच पाये । मजदूरों ने प्रभावित होकर हमें बताया कि हम आप की चित्रकारी और हस्तलिपि के लिए बहुत आभारी हैं । हम आप लोगों की हमेशा याद रखेंगे । कुछ अल्पसंख्यक जातीय मजदूरों ने अपनी जातीय हस्तलिपि मांगी । हम ने भी वायदा किया । और वापस लौटकर हम ने अल्पसंख्यक जातीय अक्षरों से हस्तलिपि सीखना शुरू की , और लिखने के बाद उन्हें पोस्ट से भेजा । हम जानते हैं कि हमारे पास अधिक समय नहीं है । पर हम अपनी अंतिम शक्ति से देश की सेवा करेंगे । बुढ़ापा सूर्यास्त की तरह है , हम देख सकते हैं कि सूर्य डूबने से पहले आकाश कितना सुन्दर और रोशन हो जाता है , यद्यपि वह अल्पकाल के लिए ही है ।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओयांग)