2008-05-30 11:13:43

चीन और कोरिया गणराज्य के व्यापार और आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने के लिए काम करने वाली सुश्री ज्यौ छेन हुयी

"मैं कोरिया गणराज्य की हूं लेकिन मैंने चीन में हमेशा के लिए रहने का अधिकार और चीनी राष्ट्रीय दोस्ती पुरस्कार प्राप्त किया है। मैं भी ऑलंपिक मशाल रिले की मशाल धारक बनी हूं। इन बातों से मुझे प्रसन्नता हुई है और आशा है कि मैं अपनी प्रसन्नता आप लोगों के साथ बांट सकूंगी।"

कोरिया गणराज्य से आयी सुश्री ज्यौ छेन हुयी ने उक्त बात कही। वे मध्य चीन के आन हुयी प्रान्त के हे फेयी शहर में 12 सालों से जीवन बिता रही हैं। उन्होंने चीन कोरिया गणराज्य के व्यापार व आर्थिक आदान-प्रदान को मजबूत करने के लिए कोशिश की है और इसी कारण उन्हें चीनी राष्ट्रीय दोस्ती पुरस्कार मिला है। वे सन् 2008 पेइचिंग ऑलंपिक की मशाल रिले की मशाल धारक भी बनी हैं। उन्होंने कहा कि अब वह पूरी तरह एक हे वेयी की स्थानीय निवासी बन गयी हैं।

50 वर्षीय सुश्री ज्यौ ने संवाददाता से कहा कि चीन में आने से पहले वे एक किन्डरगार्डन का प्रबंध देखती थीं। उन के पिता एक कंप्यूटर दुकान चलाते थे। उन का परिवार समृद्ध है। लेकिन सन् 1996 में उन के परिवार ने चीन के हे फेयी में काम करने का फैसला किया।

सुश्री ज्यौ ने कहा कि उस समय कोरिया गणराज्य के बहुत से लोग चीन के समुद्र तटीय शहरों में जीवन बिताना चाहते थे। वे अपने बेटे की सलाह स्वीकार करके हे फेयी में आ गई। वे और उन के पति दोनों एक स्थानीय विश्वविद्यालय में कोरिया भाषा के अध्यापक बन गए।

उन्होंने कहा "हालांकि चीन के कुछ समुद्र तटीय क्षेत्र गणराज्य कोरिया के निकट हैं। उन में बहुत से गणराज्य कोरिया के व्यक्ति रहते हैं और आना जाना भी आसान है। लेकिन मेरे बेटे के विचार में हे फेयी चीन के अन्य शहरों को जाने के लिए सुविधा जनक जगह है। इस शहर में चीजों का दाम भी सस्ता है। जीवन बिताने के लिए हे फेयी एक बहुत अच्छा शहर है।"

जब वे चीन में आए, भाषा और सभ्यता की विभिन्नता उन के लिए सब से बड़ी मुश्किल थी। उन्हें चीनी भाषा सीखनी पड़ती थी। सुश्री ज्यौ ने संवाददाता से कहा कि अब वह बहुत अच्छी तरह चीनी भाषा बोल सकती हैं। कुछ तो बाजार में खरीददारी करते समय सीखी है। इस के साथ सुश्री ज्यौ के मन में यह भी सोच रही है।

उन्होंने कहा "सन् 1996 में हमारे चीन में आने के समय कोरिया गणराज्य में कुछ चीनी माल मिलता था। मेरी एक इच्छा थी कि चीन में आकर यहां कोरिया गणराज्य की चीजें भी खरीद सकूंगी।"

हे फेयी में ही कोरिया गणराज्य का माल बनाएंगे। ताकि हे फेयी के लोग कोरिया गणराज्य की चीजें व खाद्य पदार्थ प्राप्त कर सकें। सुश्री ज्यौ ने इस योजना को पूरा करने के लिए कोशिश की। उस ने हे फेयी शहर के संबंधित विभाग से संपर्क किया और विभिन्न कोरिया गणराज्य कारोबारों से भी सहयोग किया।

उन्होंने कहा "मैं हे फेयी के पूंजी-निवेश ब्युरो के निदेशक के साथ पूंजी-निवेश सम्मेलन में भाग लेने के लिए 4 बार कोरिया गणराज्य गयीं। मुझे विश्वास है कि हे फेयी शहर पूंजी-निवेश के लिए एक बहुत अच्छा शहर है। यहां की यातायात की स्थिति अच्छी है। हे फेयी सरकार ने भी विदेशी पूंजी निवेश आकर्षित करने के लिए बहुत सक्रिय नीति बनायी है। सरकार के नेता इस समस्या पर ध्यान देते हैं।"

गत वर्ष सुश्री ज्यौ की कोशिशों से हे फेयी में पहला कोरिया गणराज्य का एक मालस्टोर खोला गया। इस मालस्टोर की कार्य मैनेजर सुश्री शी ने संवाददाता से कहा कि यहां कोरिया गणराज्य के कपड़ों की दुकान, भोजनालय आदि भी हैं। हे फेयी में रहने वाले बहुत से लोग यहां आते हैं।

इस मालस्टोर में कोरिया गणराज्य की चीजें खरीदी जा सकती हैं। सुश्री ज्यौ इस मालस्टोर के प्रबंधन का कार्य संभालती हैं।

संवाददाता ने इस मौके पर दो व्यक्तियों से सवाल पूछे। उन्होंने कहा "मैं आसपास ही काम करती हूं। आज पहली बार यहां आयी हूं।यहां की चीजें मुझे अच्छी लगती हैं।"

"कोरिया गणराज्य मालस्टोर का वातावरण बहुत अच्छा है। सुंदर है और चीजें के दाम सस्ते हैं। आम लोग यहां शॉपिंग कर सकते हैं।"

सुश्री ज्यौ के विचार में कोरिया गणराज्य मालस्टोर स्थापित करने से न सिर्फ बड़ा आर्थिक हित होगा , बल्कि दोनों देशों की सभ्यता के आदान-प्रदान को भी आगे बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने चीन कोरिया गणराज्य के बीच सम्यता व शिक्षा के आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कोशिश की है। उन्होंने संवाददाता से कहा कि उस का परिवार चीनी सभ्यता पंसद करता है। उन्हें हे फेयी के खाद्य पदार्थ पसंद हैं और चीनी गीत व फिल्में भी वे देखते हैं। वे अक्सर कोरिया गणराज्य के खाद्य पदार्थ बनाकर चीनी दोस्तों को खिलाते हैं। उन्होंने कहा कि हे फेयी उन की दूसरी मातृभूमि है।

उन्होंने कहा "हम इस शहर में 12 सालों से रह रहे हैं। चीनी लोग बहुत अच्छे हैं। हम खुशी से इस शहर में जीवन बिताते हैं। इसलिए हम यहां से वापस नहीं जाना चाहते।"