2008-05-26 12:55:44

सुश्री क्वो लान श्यांग की असाधारण जिंदगी

 सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश चीन में मशहूर जवाहरात उत्पादन का क्षेत्र है जिन में ह-थिएन जेड कीमती पत्थर सब से अधिक मूल्यवान माना जाता है । ऐसे अद्भुत रत्न से आकर्षित होकर बहुत से लोग देश के भीतरी इलाकों से सिंच्यांग जाकर ह-थिएन जेड का व्यापार करने लगे हैं ।

60 वर्षीया सुश्री क्वो लान श्यांग स्नेहपूर्ण हैं । साथियों के साथ ऊंची आवाज़ में मुस्कराती रहती हैं और बातचीत करती रहती हैं और बातचीत में दूसरों को भी हंसाती रहती हैं । उन के नेतृत्व में ऊरुमुछी चिन-लान लिमिटिड कंपनी मुख्य तौर पर ह-थिएन जेड की बिक्री करती है । जेड की सौदेबाज़ी में सुश्री क्वो लान श्यांग की कंपनी का खूब नाम है । उन की कम्पनी आम तौर पर जेड से बने जवाहरात और सजावट वाली चीज़ों का उत्पादन करती है, और उन के उत्पाद सिर्फ चीन में ही नहीं , मध्य एशिया आदि क्षेत्रों के बड़े व छोटे नगरों के बाजारों में भी दिखाई देते हैं ।

सन 1947 में क्वो लान श्यांग का उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत के लान-च्ओ शहर में जन्म हुआ , जो सिंच्यांग से दूर नहीं है । शुरू में वे एक चिकित्सा पद्धति स्कूल में पढ़ती थीं । 17 साल की उम्र में वे डॉक्टर की हैसियत से सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के ह-थिएन क्षेत्र की लो-फू कांऊटी गयीं । वहां के गांवों में वे रोगियों का इलाज करने के साथ-साथ खेतीबाड़ी भी करती थीं । वेवुर जातीय किसानों के साथ रहते हुए उन के बीच गहरी मैत्री कायम हो गई ।

क्वो लान श्यांग ने अपनी आपबीती का सिंहावलोकन करते हुए कहा , उस समय मैं सिर्फ 28 साल की थी । मैं वेवुर जाति के किसानों के साथ-साथ गेहूं काटने , चावल की बोवाई करने जैसे खेतीबाड़ी के सभी काम करती थी । मेहनत करने से फसल भी अच्छी होती है । वेवुर जातीय किसानों ने मेरे साथ स्नेहपूर्ण बर्ताव किया । वे अक्सर मुझ से पूछताछ करने आते । इस तरह मैं ने बहुत से दोस्त बनाए । आज मैं कहती हूं कि मेरी जिंदगी में सब से मूल्यवान मानव संसाधन हैं । क्योंकि किसी भी जगह मैं अपने समर्थकों की तलाश कर सकती हूं और यह मेरे कारोबार के लिए अनिवार्य है ।

सन 1960 के दशक में सुश्री क्वो लान श्यांग सिंच्यांग प्रदेश के पश्चिम स्थित क्वनलून पर्वत के एक क्षेत्र में काम करने गयीं । वह जगह 6000 मीटर ऊंची थी । वे जेड की खुदाई करने वाले मजदूरों को चिकित्सा सेवा प्रदान करती थीं । ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों में मजदूरों को अत्यंत कठोर स्थितियों में काम करना पड़ता है । क्वो लान श्यांग ने अपनी आंखों से जेड की खुदाई करने वाले मजदूरों की मुश्किलें देखीं और इस की उन पर गहरी छाप पड़ी । लेकिन चालीस साल की होने पर सुश्री क्वो लान श्यांग पर एक विपदा आयी । एक तरह के खतरनाक मर्ज़ ने उन्हें पकड़ लिया , और बात इतनी गंभीर बनी कि परिवारजनों ने उन की अंत्येष्टि की तैयारियां भी पूरी कर लीं । लेकिन क्वो लान श्यांग ने बीमारी के सामने अपना सिर नहीं झुकाया । उन्हों ने व्यापक सामग्री इक्ट्ठी कर अपना इलाज करने की कोशिश की । अस्पताल में इलाज करवाने और व्यायाम पर डटे रहने के बाद क्वो लान श्यांग ने अंततः मर्ज को हरा दिया और यम के पंजे से अपने को मुक्त कर लिया । अच्छी होने के बाद क्वो लान श्यांग ने अकेले ही सिंच्यांग की राजधानी ऊरुमूछी शहर में अपना कारोबार शुरु किया ।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओयांग)