दोस्तो, जैसा कि आप जानते हैं, शिआन शहर पश्चिमी चीन के शेनशी प्रांत की राजधानी है। यह शहर प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वांसान के नाम के लिए भी जाना जाता है। कोई एक हजार वर्ष पहले शिआन थांग राजवंश की राजधानी रहा। तब चीनी यात्री ह्वांसान बौद्ध धर्म की शिक्षा लेने के लिए शिआन से भारत रवाना हुए। वे भारत में दसेक वर्ष रहे और वहां बौद्ध धर्म का अध्ययन करने के बाद 657 बौद्ध ग्रंथों के साथ शिआन वापस लौटे। तत्कालीन राजा ने इन सूत्रों को सुरक्षित रखने के लिए इस शहर में ता येन नामक एक बड़े स्तूप के निर्माण का आदेश दिया। आज भी यह आलीशान स्तूप शहर के दक्षिणी भाग में ज्यों का त्यों खड़ा है और लोगों को अपने जमाने का इतिहास बताता है।
चीन के बड़े शहरों में शिआन ही एकमात्र ऐसा शहर है, जिसे घेरे रखने वाली प्राचीन चारदिवार अब तक सुरक्षित है। 14 किलोमीटर लम्बी यह दीवार एक हजार वर्ष पहले के थांग राजवंश में निर्मित होनी शुरू हुई और तब से लेकर आज तक इस दीवार का कई बार जीर्णोद्धार किया गया। इसके अलावा शहर में और बहुत से ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष खड़े हैं जो देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। अब हम इस शहर के केंद्र में स्थित काउ खानदान के घर देखने चल रहे हैं।
काउ खानदान के घर उत्तरी द्वार नामक पुरानी सड़क के मुहाने पर खड़े हैं। इस इमारत के पास पहुंचते ही अलग ढ़ंग का चार मीटर ऊंचा द्वार दिखता है जो इस पुरानी संकरी सड़क में लोगों का ध्याना आकर्षित करता है । स्थानीय लोग इसे अश्व द्वार कहते हैं। इसलिए कि विभिन्न प्रकार की घोड़ागाड़ियां यहां से किसी भी रुकावट के बिना आ-जा सकती हैं। हमारी गाइड सुश्री श्वाई हुंग मेइ ने इस द्वार का परिचय देते हुए कहा कि यह पुराने जमाने में घर के मालिक की हैसियत का प्रतीक था। जब कोई सरकारी अधिकारी या सैनिक यहां आता तो उसे इस खानदान के प्रति आदरभाव दिखाने के लिए इस के पास पालकी रोकनी पड़ती या घोड़े से उतरना पड़ता। इस घर के इतिहास की चर्चा में सुश्री श्वाई ने बताया कि इस घर का आलीशान आंगन मिंग राजवंश के अंत में निर्मित होना शुरू हुआ और छिंग राजवंश के शुरू में बन कर तैयार हुआ। आज यह कोई चार सौ वर्ष पुराना हो चुका है। इस घर के मालिक ने 12 वर्ष की उम्र में सरकारी अधिकारियों की राष्ट्रीय परीक्षा उत्तीर्ण की थी और उसमें दूसरा नम्बर हासिल किया था। इसलिए राजा ने बड़ी खुशी से उसे उच्च कोटि का यह निवास स्थल भेंट किया।