2008-05-13 10:49:58

सिंच्यांग का मशहूर विकलांग चित्रकार श्री त्साई छी-छिंग

त्साई छी-छींग का कलात्मक अध्ययन 6 साल की उम्र से ही शुरू हो गया था । क्योंकि उस का सिर्फ बायां हाथ स्वस्थ है , इसलिए सभी कामकाज उसे इसी हाथ से करने पड़ते हैं । टांग अच्छी न रहने के कारण उसे बैठकर चित्र बनाना पड़ता है। कभी कभी वह बीस घंटों तक अविचल रूप से बैठा रहता । अध्यापक न होने के कारण त्साई छी-छींग को आत्म-शिक्षा लेनी पड़ी । और वह अक्सर बिना खाए-पिए चित्रकला में लगा रहता । अथक प्रयासों का परिणाम निकला । बीस साल की उम्र में त्साई छी-छींग ने अपनी कई चित्र श्रृंखलाएं प्रकाशित कीं और स्कूलों के लिए तीन हजार से अधिक लालटेन के चित्र बनाए। श्री त्साई छी-छींग अपनी टांगों पर खड़ा हुआ , उन की हालचाल देखकर मां-बाप को भी कितनी खुशी हुई । माता जी सुश्री छाओ ह्वान च्वन ने कहा ,

मुझे लगा था कि मेरा बेटा अंततः समाज के लिए उपयोगी आदमी बन सकेगा । उस की सफलता देखकर मुझे बहुत खुशी हुई । अब मैं भी उस की सहायक हूं । मैं रोज़ आसपास रहकर उस की मदद कर रही हूं ।

श्री त्साई छी-छींग का सिर्फ एक स्वस्थ बायं हाथ है , पर उन्हों ने इसी हाथ से अपना सुन्दर व शानदार जीवन चित्रित किया है । उन्हों ने निमंत्रण पर अनेक स्कूलों में अपनी आपबीती का परिचय दिया । उन की कहानी से छात्रों को प्रेरणा मिली है । श्री त्साई छी-छींग के चित्रों को अक्सर चित्र-प्रदर्शनी में शामिल किया जाता है । वर्ष 2004 में उन की रचना 'दीर्घ आयु' को शांघाई बृहत मनोरंजन पार्क द्वारा सौंपा गया महा चिनिस पुरस्कार मिला , यह पहली बार था कि किसी विकलांग को ऐसा पुरस्कार मिला । उन की सफलता की खुशी मनाने के लिए सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के विकलांग संघ ने धूमधाम से एक समारोह आयोजित किया । उस दिन श्री त्साई छी-छींग को जिदंगी में सब से अधिक प्रसन्नता महसूस हुई । उन के एक विकलांग मित्र श्री ली च्यांग थूंग ने बताया ,

विकलांग होकर श्री त्साई छी-छींग ने इतनी महान उपलब्धि हासिल की है , यह देखकर मुझे भी बहुत खुशी हुई है । उन की कहानी से यह सीख मिलती है कि विकलांग भी अपनी कोशिशों से विजय पा सकते हैं ।

उस के बाद श्री त्साई छी-छींग ने अपनी दूसरी रचना 'हजार ड्रैगन' के लिए तीन सालों का प्रयास किया । और इसे दूसरी बार शांघाई बृहत मनोरंजन पार्क द्वारा सौंपा गया विशेष चिनिस पुरस्कार सौंपा गया । विश्वमशहूर सिनेमा सितारा जैकी चेन ने भी श्री त्साई छी-छींग की रचना पर ध्यान दिया । उन्हों ने 'हजार ड्रैगन' पर अपने हस्ताक्षर किए ।

इस साल पेइचिंग ऑलंपिक के स्वागत में श्री त्साई छी-छींग ने विशेष तौर पर एक गीत ' सूर्य की किरणों को गोद में लेना' लिखा । गीत के बोल हैं , ' खड़े न रहने के बावजूद मैं प्रसन्नता से राह-चल रहा हूं , पंख न होने के बावजूद मैं आकाश में उड़ कर सूर्य की किरणों को गोद में ले लूंगा '।

श्री त्साई छी-छींग ने बताया कि फरवरी माह में मैं ने अपना यह गीत पैरा-ऑलंपिक की आयोजन कमेटी को भेजा , आशा है कि मेरा यह गीत प्रतिस्पर्द्धा में विजय पाएगा ।

आशा है कि सभी विकलांग लोग श्री त्साई छी-छींग की तरह अपने प्रयत्न से अपने जीवन का सुन्दर चित्र बना सकेंगे ।(श्याओयांग)