2008-05-09 17:07:28

चीन के गांवों में बच्चे के स्कूल में लौटे

इस छात्रा का नाम है जांग य्वे। वह यी ज्यान गांव के 27वें मीडिल स्कूल की छात्रा है। उस की जीवन स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। उस 15 वर्षीय लड़की ने संवाददाता से कहा मैं जब 5 वर्ष की थी,उस समय मेरे माता-पिता ने विवाह विच्छेद कर लिया। मैं मा के साथ जीवन बिताती हूं। मा के स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी नहीं है।

बाद में जांग य्वे की मा ने एक स्थानीय किसान के साथ शादी की। वह किसान बाहर से पैसे कमाकर परिवार का जीवन चलाता था। लेकिन जांग य्वे की स्थिति नहीं सुधरी। जांग य्वे को पैसे कमाने के लिए स्कूल छोड़ने का फैसला करना पड़ा। इसलिए उस ने स्कूल जाना छोड़ दिया।

जांग य्वे के अध्यापक श्री यांग श्यौ शिंग को जब यह मालूम हुआ ,वह 3 बार जांग य्वे के घर गए। उन्होंने कहा कि उस के घर जाकर मुझे पता चला कि वह स्कूल जाना चाहती है । जांग य्वे ने अपने पत्र में यह लिखा है कि उसे आशा है कि वह अपने घर की मुश्किलें दूर कर सकेगी।

सन् 2007 चीन में गांव शिक्षा में फीस की नीति में सुधार किए जाने का एक कुंजीभूत वर्ष है। इस साल से चीन के सभी गांवों की अनिवार्य शिक्षा में सारी फीस मुफ्त की गयी है। गांवों में गरीब छात्रों का समर्थन भी किया जाता है। जांग य्वे का परिवार यह जानकारी प्राप्त करके बहुत खुश हुआ। जांग य्वे की मा ने प्रभावित हो कर कहा कि हम सरकार को इस बच्ची की चिंता करने और मदद देने के लिए धन्यवाद देते हैं। इस नीति ने स्कूल न जा सकने वाले बच्चों को आशा दी है। जिस से वे स्कूल में वापस जा सकेंगे।

अंत में जांग य्वे स्कूल में वापस आयी। इस स्कूल में अन्य एक छात्रा यांग वान भी गरीब परिवार से है। यांग वान के माता-पिता विकलांग हैं। उस का भाई बाहर गया हुआ है। दादा भी उस के घर में रहते हैं। सब लोग हर महीने में 700 य्वान सामाजिक गारंटी वाले पैसों से जीवन बिताते हैं। यांग वान घर में बहुत कार्य करती है।

जब मैं स्कूल से घर वापस जाती तो मैं घर की सफाई करने आदि के कई कार्य करती। मैं ने कृषि कार्य में भी बड़ी कोशिश की है।

यांग वान की मा वांग ली ह्वा विकलांग है। उन की आशा है कि दोनों बेटे विश्वविद्यालय जा सकेंगे। गरीबी की स्थिति के कारण उस ने दोनों बेटों की शिक्षा के लिए अन्य लोगों से मदद देने की अपील की। यांग वान को मालूम है कि घर में सिर्फ एक बच्चा स्कूल जा सकता है। इसलिए उस ने मा से कहा कि वह स्कूल नहीं जाएगी और भाई के पढ़ने के लिए पैसे कमाएगी। स्कूल में अध्यापक और छात्र यांग वान से प्रभावित हुए। वे यांग वान को मदद देने के लिए अपने पैसे लेकर उस के घर गए और उससे स्कूल जाने का आग्रह किया।

आधे साल के बाद चीलिन प्रान्त के गांवों में 9 साल की अनिवार्य शिक्षा में सभी फीस मुफ्त करने की नीति शुरू हुयी जिस से यांग वान को बड़ा लाभ मिला। यांग वान ने यह खबर प्राप्त करके कहा कि मेरा मन एक दम उज्ज्वल हो गया। मेरा सपना सच हुआ है। मा भी खुशी से जीवन बिता सकेंगी।

27वें मीडिल स्कूल के प्रधान श्री जांग आन हुयी ने संवाददाता से कहा कि इस स्कूल में बहुत से छात्रों की स्थिति जांग य्वे और यांग वान की तरह है। सरकार की नयी नीति इन बच्चों को स्कूल में वापस आने का मौका दे रही है। उन्होंने कहा कि इस नीति से गांव के लोगों को मदद दी जा सकेगी।

चीन एक बड़ा कृषि-प्रधान देश है। बहुसंख्यक लोग गांवों में रहते हैं। गांवों की शिक्षा की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा का विकास गांव के विकास में सब से महत्वपूर्ण है। मेरे विचार में इन बच्चों को ज्यादा न्याय और बढिया शिक्षा देनी चाहिए।

चीलिन प्रान्त सरकार के शिक्षा विभाग के संबंधित व्यक्ति के अनुसार सन् 2008 से गांवों में 9 साल की अनिवार्य शिक्षा में सारी फीस मुफ्त करने के साथ ही गांवों में गरीब परिवार के बच्चों को मदद देने के लिए दिए जाने वाले पैसे भी दुगुने किए गए हैं जिस से गांवों के बच्चों को वास्तविक लाभ मिला है।