कू लांग यू द्वीप बहुत बड़ा नहीं है। इसका क्षेत्रफल 17 हजार वर्गकिलोमीटर से कुछ अधिक है और आबादी बीस हजार से भी कम। पर इतनी कम आबादी के बीच यहां पांच सौ से अधिक प्यानो हैं, यानी औसतन यहां के हर 40 निवासियों के पास एक प्यानो है। यह आंकड़ा चीन में ही नहीं, विश्व में भी कम दिखता है। यहां सुबह-शाम जब भी आप किसी बड़ी सड़क या संकरी गली से गुजरते हैं, हर तरफ प्यानो की आवाज सुन सकते हैं। हमारी गाइड सुश्री यांग येन ने बताया कि आमतौर पर पर्यटक दोपहर को कू लांग यू द्वीप पहुंचते हैं, पर उस समय स्थानीय निवासी काम पर गये होते हैं। ऐसे में केवल सुबह
या शाम ही प्यानो की मधुर आवाज सुनी जा सकती है। तब आप इस द्वीप की किसी भी जगह पर प्यानो की सुरीली आवाज सुन सकते हैं।
आखिर पश्चिमी वाद्य प्यानो का प्रचार इस छोटे द्वीप के आम निवासियों के बीच हुआ कैसे। इस सवाल का जवाब खोजने पर पता चला कि कू लांग यू द्वीप का प्यानो के साथ रिश्ता 19 वीं शताब्दी के मध्य काल में तब जुड़ा जब ईसाई धर्म का यहां प्रचार-प्रसार शुरू हुआ। तब पश्चिमी पादरी अक्सर कू लांग द्वीप के गिरजों में धार्मिक आयोजन करते और पवित्र बाइबल गाकर सुनाते थे। ईसाई धर्म संघ ने द्वीप में कुछ स्कूल स्थापित कर ऐसे गानों को पाठ्यक्रम से भी जोड़ा। इससे धीरे-धीरे द्वीप के स्थानीय निवासियों के बीच पश्चिमी संगीत का प्रचार-प्रसार होने लगा।