2008-04-23 13:25:23

चीन के सिंच्यांग स्वायत्त प्रदेश में वेवुर जातीय संगीत का उत्तराधिकारी अब्दुला

पश्चिमी चीन के सिंच्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में एक लोकप्रिय संगीतकार हैं अब्दुला जी । उन्हों ने परंपरागत जातीय संगीत कला सीखते समय आधुनिक संगीत को परंपरा के साथ मिलाने की भरसक कोशिश की है । इस तरह उन्हों ने परंपरागत कला का सिर्फ ज्यों का त्यों अनुसरण नहीं किया ,बल्कि नवीनकरण किया है । अब्दुला जी की सृजनात्मक कला का स्थानीय लोगों में हर्षोल्लास से स्वागत किया गया है । उन के संगीत का दर्शकों ने खूब स्वागत किया है। और उन्हें इस तरह पश्चिमी चीन में संगीत-सम्राट का गौरव सौंपा गया है ।
अब्दुला जी पश्चिमी चीन के सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश की पा-छू कांऊटी के आम वेवुर परिवार से आये हैं । उन के पिता भी वहां के मशहूर गायक थे , जो अक्सर स्थानीय लोगों के लिए गाते रहे हैं। अपने पिता के प्रभाव से अब्दुला छह की उम्र से ही गीत-संगीत और मंच के अभिनय में शरीक होने लगे थे । बड़े होने के बाद उन्हें सिंच्यांग कलात्मक अकादमी में पढ़ने का मौका मिला । इस स्कूल में चार साल पढ़ने के बाद अब्दुला ने अपना जीवन गीत-संगीत के साथ जोड़ने का फैसला कर लिया। तब उन्हों ने गीत लिखना शुरू किया और कई मित्रों के साथ वेवुर बोली में अपना विशेष-संगीत प्रकाशित करने की योजना बनायी ।
आम तौर पर मशहूर गायकों को विशेष संगीत प्रकाशित करने की सहुलियत है । उस समय मैं अपनी पहली नौकरी कर रहा था , किसी ने भी मेरे विशेष-संगीत प्रकाशन का साथ नहीं दिया । इस तरह मैंने अपने दोस्तों के साथ अपने पसंदीदा गीतों में से 12 गीत चुनकर इन्हें एक आम टेप रिकार्डर में एक कैसेट में रिकार्ड किया । एक माह में यह काम पूरा हुआ , और वह मेरी प्रथम प्रकाशित संगीत रचना है ।
लेकिन लोगों को आश्चर्य हुआ कि अब्दुला के इस कैसेट में रिकार्ड गीत पूरे सिंच्यांग स्वायत्त प्रदेश में लोकप्रिय हो गए । इस के बाद के दसियों सालों में अब्दुला जी ने कुल दसेक व्यक्तिगत विशेष -संगीत प्रकाशित जारी किए हैं । और वे सब बाजार में आते ही उन के चाहनेवालों द्वारा तुरंत ही खरीद लिए जाते हैं।
लेकिन किसी भी कला का नवीनकरण अनिवार्य है । इस विचार से अब्दुला जी ने परंपरागत वेवुर संगीत को आधुनिक इलेक्ट्रोनिक संगीत यंत्रों के साथ जोड़ा । दोनों के सफल मिश्रण से वेवुर संगीत में नयी जीवन शक्ति का संचार हुआ है ।
एक बार मैं ने दक्षिण सिंच्यांग की एक रैली में गीत गाया , तब मैं ने नये रूप में पुराना गीत सुनाना चाहा । इसलिए मैं ने कुछ इलेक्ट्रोनिक संगीत यंत्रों का इस्तेमाल किया और सोचा , अगर लोगों को पसंद नहीं आएगा , तो बाद में इसे छोड़ दूंगा । पर सौभाग्यवश लोगों ने इस का स्वागत किया। सिंच्यांग के 12 परंपरागत मूगाम संगीत हमेशा से जगह-जगह सुनाए जाने की परम्परा रही है , पर किसी ने इस के रूप में परिवर्तन नहीं किया । मेरे ख्याल में अगर कला में परिवर्तन न हो , तो कला खत्म हो जाएगी । इसलिए मैं ने मूगाम गाने और इस पर अभिनय करने के स्वरूप में सुधार करना चाहा । उस समय सिंच्यांग की ताओ-लांग मूगाम कला विलुप्त होने वाली थी , मैं ने इस संगीत के परंपरागत संगीत यंत्रों को आधुनिक इलेक्ट्रोनिक यंत्र के साथ जोड़कर गाना शुरू किया । बाद में यह तरीका सिंच्यांग में बहुत लोकप्रिय बना , छोटे बच्चे भी अक्सर ऐसा गाना गा रहे हैं । सफलता मिलने पर मुझे परंपरागत संगीत के सृजनात्मक आदर्श के प्रति काफी विश्वास पैदा हुआ है।
कथित ताओ-लांग मूगाम सिंच्यांग वेवुर जाति का परंपरागत संगीत गाने का एक विशेष स्वरूप है , जिसका बहुत पुराना इतिहास है । लेकिन सन 1980 के दशक में यह कला विलुप्त होने की कगार पर थी । अब्दुला जी ताओ-लांग मूगाम की जन्मभूमि पर पैदा हुए थे , इस परंपरागत कला के उत्तराधिकारी बनने के लिए उन्हों ने भरसक कोशिश की । उन्हों ने पारंपरिक संगीत में आधुनिक संगीत जोड़ने का बेहतर तरीका तलाश किया , और मंच में पुरानी लोककला का नव स्वरूप दिखाया । आधुनिक तत्व के शामिल करने से अधिकाधिक लोगों को मूगाम संगीत पसंद आने लगा है । सिंच्यांग स्वायत्त प्रदेश के जाने-माने संगीतकार श्री ल्यू श्यांग ने कहा , सिंच्यांग का संगीत विश्वदायरे की दृष्टि में भी अद्भुत है । अनेक विश्वमशहूर संगीतकार हमारे यहां कला सीखने आये हैं । पर सिंच्यांग कला का मूल मूगाम कला ही है । अब्दुला जी सिंच्यांग संगीत ताओ-लांग मूगाम के उत्तराधिकारी हैं । वे मूगाम संगीत सुनते हुए बड़े हुए हैं।
श्री ल्यू ने कहा कि मूगाम संगीत के प्रति हमें प्राप्त जानकारियां बहुत कम हैं , अब्दुला जी को खुद भी महसूस हुआ है कि सिर्फ अथक तलाश करने और अनुसंधान करने से ही लोगों को सुन्दर संगीत सुनाया जा सकेगा ।
मूगाम संगीत सिंच्यांग के परंपरागत संगीत का सार तत्व है । अब्दुला जी ने गीत गाने के इधर के वर्षों में वेवुर भाषा में दसेक विशेष संगीत प्रकाशित किये हैं । साथ ही उन की चीनी भाषा में प्रकाशित रचनाएं भी हैं । वर्ष 2006 में उन्हों ने अपना प्रथम देश उन्मुख सी डी --- जब प्यार धूल बने प्रकाशित किया । इस का बाजार में खूब स्वागत किया गया , और इस के तीन संस्करण आए हैं ।
वर्ष 2007 के दिसंबर में अब्दुला जी ने सिंच्यांग में अपने व्यक्तिगत कंसर्ट का आयोजन किया। किसी भी व्यापारिक समर्थन के बिना उन का प्रकाशन सफल रहा । सिर्फ टिकट बेचने से ही कंसर्ट से दो लाख य्वान की आय हो गई ।
संगीत से प्यार करने के अलावा अब्दुला जी सार्वजनिक कल्याण और परोपकारी कार्यों में भी भाग लेते रहे हैं । उन्हों ने अनेक बार दक्षिणी सिंच्यांग के मुश्किल लोगों की मदद के लिए बिना-शुल्क अभिनय किया है ।
उन्हों ने कहा , मेरी बचपन से ही यह उम्मीद रही है कि अगर मेरे पास संपत्ति हो, तो मैं जरूर दूसरे लोगों की खासकर उन बच्चों की मदद करुंगा जो किसी कारण से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और उन्हें बीच में ही स्कूल छोड़ना पड़ा । क्योंकि मैं भी गांव से ही हूं । गांव में जीवन बहुत कठिन है । पहले देश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी , गांव में बहुत से लोगों की स्थितियां भी अच्छी नहीं थीं । तब मैं ने यह नहीं सोचा था कि बड़े होने के बाद मैं अपनी शक्ति से उन की मदद करने जाऊंगा । इसीलिए मैं ने वर्ष 1995 में मैं ने एक कंसर्ट का आयोजन किया, और प्राप्त सभी आय से मुश्किल में पड़े लोगों की मदद की।
अब्दुला जी एक एसे आदमी हैं , जो वेवुर जातीय परंपरात संगीत के प्यार में फंसे हुए हैं । वे गीत-संगीत से प्यार करते हैं , और अपने मनोहर गीतों की आवाज में सिंच्यांग से प्यार करते रहेंगे।