2008-04-14 10:39:22

शिनच्यांग जातीय क्षेत्र की वास्तु कला के रक्षक—वांग श्याओतुंग

उत्तर पश्चिमी चीन के शिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश की राजधानी उरूमुछी शहर में पर्यटक लम्बे अरसे तक एक बहुत सुन्दर इमारत के सामने खड़े होते हैं। यह इमारत है शिनच्यांग अंतरराष्ट्रीय दरवाजा जिस का डिजाईन शिनच्यांग के मशहूर वास्तु कला डिजाइनर, शिनच्यांग वास्तु डिजाइन अनुसंधान अकादमी के माननीय प्रधान श्री वांग श्याओतुंग ने बनाया है।आज के इस कार्यक्रम में हम वांग श्याओतुंग की कहानी सुनेंगे।

इस वर्ष वांग श्याओतुंग 68 साल के हो गए हैं। वे चीन के प्रथम स्तरीय पंजीकृत वास्तु डिजाइनर हैं, और वे चीनी वास्तु डिजाइनरों को दिया जाने वाला सब से उच्च पुरस्कार---ल्यांग सी छन वास्तु पुरस्कार भी जीत चुके हैं। हाल में श्री वांग श्याओतुंग चीनी इंजीनियरिंग अकादमी के अकादमिशियन भी चुने गये हैं और शिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश के चौथे चीनी इंजीनियरिंग अकादमी के अकादमिशियन भी बने हैं ।

वर्ष 1963 में श्री वांग श्याओतुंग पश्चिमी चीन के शानशी प्रांत की राजधानी शी एन शहर की वास्तु अकादमी से स्नातक हुए। स्नातक होने के बाद, उन्होंने शिनच्यांग की वास्तु निर्माण ब्यूरो की जांच व डिजाईन अकादमी में दाखिला लिया। बर्फीले पहाड़, जंगल और रेगिस्तान आदि दृश्य , जो पहले श्री वांग श्याओतुंग के सपने में थे, अब उन के यथार्थ जीवन में आ गए । श्री वांग श्याओतुंग के अनुसार,वास्तु कला पढ़ने वाले लोगों के दिमाग में कुछ सांस्कृतिक कला कोशिकाएं होती हैं।प्राइमरी व मीडिल स्कूल में भी मुझे चित्र बनाना पसंद था। इसलिए, मुझे शिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश बहुत रहस्यमय व अनोखा लगता था। शिनच्यांग के हामी पहुंचने के बाद मैंने देखा कि बर्फीले पहाड़ मानो आसमान को छूने का प्रयास कर रहे हैं और रेगिस्तान में सूरज लाल दिखाई देता है, तो मेरे मन में एक ऐसा विचार आया कि मैं आजीवन शिनच्यांग में रहूंगा।

शिनच्यांग के वास्तु कला अनुसंधान इंस्टीट्यूट में वांग श्याओतंग यथार्थ कामों से अनुभव इकट्ठा करते रहते हैं। फुरसत के समय वे अकसर मुहल्ले व सड़कों पर जाकर चित्र बनाते हैं। वे यहां के प्राकृतिक दृश्य और रीति रिवाज़ों को बहुत पसंद करते हैं। लम्बे अरसे के प्रयास के बाद वांग श्याओतुंग के मन में रचना की भारी निहित शक्ति पैदा हुई है। वर्ष 1973 में उरूमुछी के वीरों के एक मकबरे की मरम्मत की जाने की जरूरत थी। उन्हें सुश्री ह्वांग ह्वेई के साथ सहयोग करके मकबरा के पुनः निर्माण , चौक व द्वार का डिजाईन बनाने का मौका मिला। बाद में उन्होंने छन थेनछ्यो वीर रस्म महल के डिजाईन में भी भाग लिया। वीरों के मकबरे के उद्यानों का डिजाईन बनाते समय उन्होंने प्रथम बार इमारत को स्थानीय विशेषता से जोड़ने की कोशिश की और भारी सफलता हासिल की।

वर्ष 1979 में तूलूफेन काऊंटी के होटल का निर्माण शुरु हुआ। नया होटल शिन च्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश का प्रथम गुफा-घर है। श्री वांग श्याओतुंग के अनुसार,तूलूफेन पहुंच कर मैंने तूलूफेन होटल नामक का डिजाईन बनाया। उस वक्त तूलूफेन में विदेशी मेहमानों के लिए एक भी अच्छा होटल नहीं था। रात को शौचालय जाने के लिए बाहर बहुत दूर जाना पड़ता था, इसलिए, तूलूफेन गुफा-घर प्रथम होटल बना। अब यहां चार गुफा-घर हैं। पर्यटन की वास्तु इमारत का ख्याल करते हुए मैंने तूलूफेन की विशेष संस्कृति व प्राकृतिक पर्यावरण का इस्तेमाल करके इस होटल को एक अंगूर उद्यान में बनाया।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।(श्याओयांग)