मकाओ पहले मछुवाओं का एक छोटा गांव था , मकाओ का यह नाम स्थानीय मछुवाओं की एक बहुत पवित्र व आदरणीय माचू देवी के नाम से आया है । कहा जाता है कि कई सौ सालों से पहले एक मछुआ जहाज शांत समुद्र में यात्रा कर रहा था कि अचानक आकाश पर काले बादल मंडराने लगे और फिर तेज तूफान और मुस्लाधार वर्षा का सामना करना लगा , जहाज पर मछुवाओं की जान खतरे में पड़ गयी । ऐसी नाजुक घड़ी पर एक सुंदर युवती अचानक जहाज पर आ पहुंची और तूफान बंद करने की आज्ञा दी । रोचक बात है कि उस के कहने के तुरंत बाद मुस्लाधार वर्षा और तेज तूफान एकदम बंद हो गयीं और जहाज सही सलामत बंदरगाह वापस लौट गया । जहाज से उतरने के बाद यह युवती एक शब्द तक भी नहीं बोली और सीधे तौर पर माकशान नामक एक क्षेत्र की ओर चलने लगी , वहां पहुंचने के बाद इस युवती ने तुरंत ही एक काले धुए का रूप लिया । इस के बाद स्थानीय लोगों ने उसी स्थान पर माक मंदिर का निर्माण कर लिया , ताकि मछुवाओं के लिये शांति और शकुन लाने वाले युवती की पूजा की जा सके । 16वीं शताब्दी के मध्य काल में प्रथम खेप के पुर्तगालियों ने मकाओ पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों से इसी अंजान जगह का नाम पूछा , तो स्थानीय लोगों ने गलतफहमी से माक मंदिर का नाम बता दिया । फिर पुर्तगालियों ने स्थानीय उच्चरण से मकाओ का नाम दे डाला ।