2008-03-25 15:17:11

सिन्चांग का मशहूर गायक श्री शामिली

चीन की अल्प संख्यक जाति कार्यक्रम सुनने के लिए आप का हार्दिक स्वागत । आज के अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तर्गत सिन्चांग का दौरा श्रृंखला में आप सुनेंगे सिन्चांग के उज्जबेक जातीय गायक श्री शामिली .शाकर की कहानी ।

चीन का सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश एक अल्पसंख्यक जाति बहुल इलाका है , जहां अनेक अल्पसंख्यक जातियों के लोग नाचगान के शौकीन हैं । उज्जबेक जाति में भी बहुत से मशहूर गायक गायिकाएं उभरें हैं , जिन में गायक श्री शामिली .शाकर मशहूर है । वे एक श्रेष्ठ गायक हैं , साथ ही जन कल्याण कार्य में भी सक्रिय रहे हैं ।

यह है उज्जबेक जातीय गायक शामिली की आवाज में प्रस्तुत गीत मेरी जन्म भूमि में आने का स्वागत का अंश । श्री शामिली .शाकर ने जितने गीत लिखे और गायन किए हैं , उन की संख्या अब तक दो सौ हो गयी है। उन के लिखित और प्रस्तुत गीतों में मैं सैन्य कंपनी का गायक हूं , सिन्चांग एक अच्छी जगह है , दापानछङ की कहानी और आला पहाड़ का दर्रा चीन में लोकप्रिय ही नहीं, जापान और सिन्गापुर में भी मशहूर है । लोग उन्हें प्रेम का राजकुमार कह कर संबोधित करते हैं । मेरी जन्म भूमि में आने का स्वागत गीत खुद शामीली द्वारा रचित किया गया है और गाया भी गया है । इस के बारे में उन्हों ने कहाः यह गीत मैं ने 2004 में रचित किया , मैं चाहता हूं कि इस गीत के जरिए अधिक से अधिक पर्यटकों को सिन्चांग का दौरा करने पर आकर्षित किया जाए , ताकि सिन्चांग के निर्माण और विकास में कुछ न कुछ योगदान हो सके । यह गीत वेवूर जाति की गायन शैली पर आधारित है , जो ओजस्वी , तेज तलदार और युग के उमंग से परिपूर्ण है । इस प्रकार के उत्साह और जोश से भरे गीत को सुनने पर लोग सिन्चांग में आने के लिए आकृष्ट हो सकते हैं ।

सिन्चांग के लोग मेहमाननवाज हैं । बाहर से आए पर्यटक यहां की जातीय विशेष रीति रिवाज से प्रभावित हो कर सिन्चांग के गीत संगीत को अपने जन्म स्थलों में ले जाते हैं । शामिली का मतलब उज्जबेक भाषा में सुबह की रोशनी है । शामिली ने कहा कि उन की गायन कला में उज्जबेक और वेवूर दोनों जातियों का तत्व मिश्रित है , इस तरह उन के गायन में एक स्पष्ट विशेषता निहित है ।

सिन्चांग की चीथाई काऊंटी में जन्मे शामिली .शाकर का परिवार नाचगान खानदान का है । पिता उज्जबेक और माता वेवूर जाति के हैं । छै भाई बहन में वह चौथा हैं । वह बचपन में ही नाचगान के शौकीन थे , वर्ष 1976 में वे सिन्चांग की अमुक सीमा रक्षा टुकड़ी में भर्ती हुए । यह उन का बचपन का सपना है , जो अब साकार हो गया ।

समुद्र तल से 4000 मीटर ऊंचे पामीर पठार पर तैनात सेना के जीवन से प्रभावित हो कर शामीली में सैनिक गीत बनाने की तीव्र तमन्ना पैदा हुई । दिन में वह सैनिक अभ्यास करते थे , रात में वह बंद कमरे में गीत संगीत लिखते थे , उस समय भौतिक स्थिति अच्छी नहीं थी , कमरा बंद अंधेरा था , दरवाजे की तख्ता मेज के रूप में इस्तेमाल की गयी और मच्छर का काटना भी सहना पड़ा । अथक कोशिश के बाद अखिरकार उन का पहला गीत अस्तित्व में आया , गीत का नाम है मैं सैन्य कंपनी का गायक हूं । यह गीत सेना में पसंद किया गया , जिस से उन का हौसला और ऊंचा हो गया । सेना के राष्ट्र स्तरीय सांस्कृतिक समारोह में उन की रचना और प्रस्तुति को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।(श्याओयांग)