2008-03-18 10:11:40

वेवूर भाषा के विद्वान चांग होंग छाओ

1960 के साल में चीन में गंभीर प्राकृतिक अकाल हुआ , खाद्यान्न बहुत कम था । लेकिन वेवूर मां पोतांमु ने श्री चांग होंग छाओ के लिए विशेष तौर पर गोश्त का खाना बनाया और इस हान जातीय बेटे के कटोरे में दो टुकड़े के मांस ज्यादा डाले , उन के छोटे बेटे को मां की यह हरकत समझ में नहीं आयी , उस ने मां से पूछा, क्यों मुझ से भाई को दो टुकड़े के मांस ज्यादा दिए है . मां पोतांमु ने समझाया कि बड़ा भाई बहुत दूर से हमारे घर आया है , उसे अच्छा खिलाना चाहिए ।

उस समय , जब घर के सभी बच्चे और चांग होंग छाओ स्वादिष्ठ खाना खाने में मस्त थे , तो चांग होंग छाओ ने पाया कि वेवूर मां पोतांमु ने खाना नहीं खाया और महज उन्हें भर पेट खाने के लिए कहा । जब चांग होंग छाओ कटोरा धोने के लिए किचन में गया , तो उन्हों ने देखा कि मां पोतांमु वहां चुपकी से मक्के का पतला मांड पी रही है , तो अचानक उन की आंखों में आंसू भर आयी और आंसू निकल कर चेहरे पर बह गयी।

श्री चांग होंगछाओ के लिए असली कठिनाई वर्ष 1962 में कालेज से स्नातक होने के बाद सिन्चांग प्रदेशीय सावर्जनिक सुरक्षा विभाग में अनुवादक के रूप में नियुक्त होने के बाद आयी थी । नए चीन में अनुवादकों और दोभाषियों की खास कमी थी , इसलिए सार्वजनिक सुरक्षा विभाग के नेता श्री चांग होंग छाओ जैसे नए आए विश्वविद्यालय छात्र पर बड़ी आशा बांधते थे । इस की याद करते हुए श्री चांग होंग छाओ ने कहाः

शुरू शुरू में नेतागण ने मुझे एक दस्तावेज का वेवूर भाषा में अनुवाद करने का काम सौंपा , अनुवाद किये जाने के बाद उस दस्तावेज को एक अनुभवी अनुवादक को संवारने के लिए दे दिया गया । मेरे अनुवादित दस्तावेज में बहुत सी गलतियां पायी गयीं और उसे अनुभवी अनुवादक ने संशोधित किया । मैं बहुत परेशान हुआ और मैं ने उन के ठीक किए गए दस्तावेज का अच्छी तरह अध्ययन किया और बहुत कुछ सीख लिया । इस तरह अथक कोशिशों के बाद मेरा अनुवाद करने का कौशल काफी उन्नत हो गया और तीन महीनों के बाद मेरे अनुवादित दस्तावेजों में गलतियां बहुत कम रह गयी । अनुवाद कौशल उन्नत होने के बाद मैं ने वेवूर कविता"बंजर भूमि पर बहादुर बाज"का अनुवाद किया , जो सिन्चांग दैनिक में प्रकाशित हुआ । इस सफलता से मेरा हौसला बहुत बढ़ गया । रात में मैं मोमबत्ति की रोशनी में अनुवाद का काम करता रहा । मैं ने विभिन्न शैलियों की प्राचीन वेवूर कविताओं का हान भाषा में अनुवाद करना शुरू किया , पिछले दसियों सालों में मैं अनुवाद के काम पर कायम रहा ।

अनुवाद का काम करने में श्री चांग होंगछाओ हमेशा मेहनत और लगन का प्रदर्शन करते हैं , वे लगन से वेवूर भाषा पर महारत हासिल करने की कोशिश करते हैं और लगन से अनुवाद का काम करते हैं । उन्हों ने अल्पसंख्यक जातियों की भाषाओं के अध्ययन को अपना आजीवन लक्ष्य बनाया और तरह तरह की कठिनाइयों को दूर कर अनुवाद का स्तर उन्नत करने की अथक कोशिश की और अंत में एक असाधारण अनुवाद विद्वान बन गये । उन की पत्नी श्रीमती रन यु चन ने कहाः मेरे पति एट्रोफिक अर्थरिटिस रोग से पीड़ित होने के बाद बहुत पतले दुबले हो गए ,लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के दौरान भी वे अपने अनुवाद काम का ख्याल रखते थे और मुझ से कहा कि यदि कोई अनुवाद के काम के लिए घर आये , तो जरूर अस्पताल में आ कर उन्हें बताऊंगी । अस्पताल में इलाज कराने के दौरान उन के बहुत से साथी मिलने के लिए आ पहुंचे , उन की वेवूर लोगों में बड़ी प्रतिष्ठा होती है , सभी लोग उन का समानादर करते हैं । पिछले 50 से ज्यादा सालों में उन्होंने बड़ी तादाद में वेवूर साहित्य रचनाओं का अनुवाद किया है और सिन्चांग के अनुवाद कार्य के लिए बड़ा योगदान किया है । (श्याओयांग)