2008-03-14 17:23:13

छिंग हाई की राजधानी की तुंग क्वेन मस्जिद

इस्लाम धर्म को चीन आये 1300 वर्ष से भी ज्यादा समय बीत गया है। चीन के छिंग हाई प्रांत में भी इस्लाम को मानने वालों की बड़ी संख्या है। इस पूरे प्रांत में 7 लाख से ज्यादा मुस्लिम है और 1400 से भी ज्यादा मस्जिदें । केवल राजधानी शीनीन में 1 लाख 30 हजार मुस्लिम रहते हैं, जहां मस्जिदों की संख्या 48 हैं। इन लोगों का जीवन कैसा है। वे धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता का कैसे उपभोग करते हैं, ऐसे कुछ सवालों के साथ कुछ कई दिन पहले हमारे संवाददाता छिंग हाई की राजधानी की तुंग क्वेन मस्जिद पहुंचे।

शी नींग की तुंग क्वेनमस्जिद छिंग हाई की एक बहुत पुरानी और बड़ी मस्जिद है । यह उत्तर पश्चिमी चीन की चार सब से बड़े मस्जिदों में भी गिनी जाती है। इस की स्थापना मिंग राजवंश में हुई, जिस का कोई छः सौ वर्षों का इतिहास है। छिंग राजवंश में यह लगभग नष्ट हो गयी थी , पर वर्ष 1914 में इस का पुनरनिर्माण किया गया । और 1946 में विस्तार पाकर इस ने अपना रुप लिया। वर्तमान में मस्जिद बन गया है। अब इस मस्जिद का पूरा क्षेत्रफल 20 हजार वर्गमीटर से ज्यादा है। हर शुक्रवार कोतुंग क्वेनमस्जिद में नमाज़ पढ़ने आने वाले मुस्लिमों की संख्या 10 हजार से ज्यादा रहती है। हर वर्ष छोटी ईद और बड़ी ईद के मौके पर यहां नमाज़ अदा करने वाले इस्लाम के अनुयाइयों की संख्या होती है 80 से 90 हजार ।

तुंग क्वेन मस्जिद की प्रबंध कमेटी के प्रधान श्री मा ने मस्जिद का परिचय देते हुएशी नींगशहर के मुस्लिमों के जीवन के बारे में भी बहुत कुछ बताया । श्री मा ने जानकारी दी कि सारे छिंग हाई में कुल 7 लाख से भी ज्यादा मुस्लिम हैं, और शी नींग शहर में ही इस्लाम के अनुयाइयों की तादाद 1 लाख 30 हजार है। उन्होंने बताया यहां के मुस्लिम सुखी जीवन बिता रहे हैं। हाल के वर्षों में उन के भौतिक जीवन में उल्लेखनीय सुधार आया है। नये चीन की स्थापना के बाद, विशेषकर चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद यहां चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की जातीय व धार्मिक नीतियों को अच्छी तरह अंजाम दिया गया । अब स्थानीय मुस्लिम धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता का पूरा उपभोग कर रहे हैं। पार्टी की धार्मिक नीतियों , मुस्लिमों तथा अन्य धार्मिक लोगों व जातियों के संबंधों की चर्चा में श्री मा ने कहा, हम ने जातीय नीतियों को अच्छी तरह अंजाम दिया है। चीन में धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता है। चीनी मुस्लिम देश भक्त हैं और इस्लाम से भी प्रेम करते हैं । वे देश की स्थिरता व एकता को बहुत मूल्यवान मानते हैं। मुस्लिम लोग अपेक्षाकृत एकजुट हैं। आपसी मतभेदों को ताक पर रखकर समानता की खोज करने, एक दूसरे को समझने व समर्थन देने के सिद्धांतो के आधार पर हम अन्य धर्मों के अनुयाइयों के साथ मेल से रह सकते हैं। और इस तरह सब आर्थिक निर्माण में योगदान कर सकते हैं।

इधर के वर्षों में खुलेद्वार की नीति का उपभोग कर इस क्षेत्र के व्यापक मुस्लिमों ने अपनी बुद्धि एवं मेहनत से समाज में भारी योगदान किया । उन में से अनेक मशहूर उद्योगपति बन गये हैं।शी नींग शहर में दस करोड़ से ज्यादा य्वान की संपत्ति रखने वाले अनेक व्यवसायी हैं। खुद धनी बन जाने के बाद भी वे अपने जन्मस्थान के लोगों को नहीं भूले हैं और सामाजिक परोपकार में बढ़चढ़ कर भाग ले रहे हैं , अन्य लोगों को समर्थन देते रहते हैं। मस्जिद के इमाम ने अपनी बात कुछ यूं रखी, सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने और आर्थिक विकास के तेज़ होने के साथ साथ हमारे क्षेत्र में अनेक निजी उद्योगपति , कंपनियां व गुट नजर आये हैं। पैसे कमाने के बाद वे पैसों से गरीबों को सहायता देने लगे। महत्वपूर्ण मुस्लिम त्यौहारों पर ये धनी व्यक्ति खाने व पैसे से गरीबों की मदद करते हैं। इमाम के अनुसार, इन धनी मुस्लिमों ने जो मिसाल कायम की है, उस से सीख लेकर गरीब मुस्लिम भी पैसे कमाकर समाज में योगदान करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अनेक स्थानीय मुस्लिम बाहर जाकर व्यापार करने लगे हैं। इस से यहां के मुस्लिमों का जीवन दिन ब दिन समृद्ध होने लगा है।

आर्थिक तंगी की वजह से पहले मक्का की तीर्थ-यात्रा पर जाने वाले चीनी मुस्लिमों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन, इधर व्यापक मुस्लिमों का जीवन स्तर उन्नत होते जाने से इधर के वर्षों में हर साल छिंग हाई के अनेक मुस्लिम मक्का जाने लगे हैं। कुछ निजी तौर पर मक्का की तीर्थ-यात्रा करते हैं। इस बीच तीर्थ यात्रा की चर्चा में इमाम ने भावुक होकर कहा, वर्ष 1949 में चीन की स्थापना से पहले चीनी मुस्लमानों के लिए यह तीर्थ यात्रा करना बहुत मुश्किल था। तब सऊदी अरब जाने में तीन वर्ष लगते थे। सब से पहले हमें तिब्बत जाना पड़ता था, फिर खुद पानी व खाना लाकर घोड़ियों पर सवार होकर हम तिब्बत से नेपाल जाते थे औऱ अंत में कही सऊदी अरब पहुंच पाते थे। लेकिन, इधर बड़ा परिवर्तन आया हैं। और यहां के अनेक लोग मक्का जा चुके हैं। मक्का की तीर्थ यात्रा से चीन की धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता एवं जातीय समानता का प्रचार प्रसार हुआ, इस का दूसरा पक्ष यह रहा कि विदेशों को चीन के आर्थिक विकास तथा व्यापक मुस्लमानों के जीवन स्तर की उन्नति की जानकारी मिली। इस के साथ ही चीनी तथा विदेशी मुस्लमों के बीच समझ व मैत्री बढ़ी।

वर्तमान में मस्जिद और स्थानीय इस्लामी अकादमी में मौलवियों का प्रशिक्षण दिया जाता है।तुंग क्वेनमस्जिद चीन की राज्य परिषद के धार्मिक ब्यूरो द्वारा मान्यता प्राप्त देश की 11 अकादमियों में शामिल है, और विशेष रुप से छिंग हाई के अन्य मस्जिदों के लिए मौलवियों को प्रशिक्षित करती है। इस मस्जिद के इमाम ने कहा, इस्लामी शिक्षा अकादमी को राज्य परिषद के धार्मिक ब्यूरो की मान्यता हासिल है। हर वर्ष देश का धार्मिक ब्यूरो इसे अनुदान देता है। पिछले 15 वर्षों में यह अकादमी 800 से ज्यादा मौलवियों का प्रशिक्षण दे चुकी है। अकादमी में उन्हें न केवल चीनी भाषा पढ़ाई जाती है, अरबी तथा इस्लामी धर्म की रस्मों की ज्ञान भी कराया जाता है। पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त मौलवियों के लिए यहां अब अंग्रेजी की कक्षाएं भी खोली जाएंगी।

देश की धार्मिक व जातीय नीतियों को चीन का पश्चिमी क्षेत्र अच्छी तरह अंजाम दे रहा है। स्थानीय मुस्लिम अपनी मेहनत से अपने सुंदर जन्मस्थान का नव निर्माण कर रहे हैं।