2008-03-10 09:19:23

चीन के सिन्चांग और कजाखस्तान गणराज्य के बीच संगीत का मैत्री सेतु

चीन की अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम सुनने के लिए आप का हार्दिक स्वागत । चीन की अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तर्गत सिन्चांग का दौरा श्रृंखला में आज आप सुनेंगे चीन के सिन्चांग और कजाखस्तान गणराज्य के बीच संगीत का मैत्री सेतु शीर्षक आलेख ।

चीन और कजाखस्तान मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देश हैं । इधर के सालों में दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान बहुत सक्रिय रहा है । कुछ समय पहले कजाखस्तान गणराज्य के राष्ट्रीय संगीत प्रतिष्ठान की जातीय वाद्य मंडली के शिक्षकों और छात्रों ने चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश का दौरा किया और सिन्चांग के उच्च शिक्षालयों के शिक्षकों व छात्रों की सेवा में रंगबिरंगे कार्यक्रम पेश किये । संगीत के मैत्री सेतु शीर्षक आलेख में हम आप को कजाखस्तान गणराज्य की जातीय वाद्य मंडली के सिन्चांग दौरे के बारे में जानकारी देंगे । खुशी का राज्य नामक यह संगीत कजाखस्तान गणराज्य के राष्ट्रीय संगीत प्रतिष्ठान की जातीय वाद्य मंडली द्वारा प्रस्तुत हुआ है , इस संगीत में कजाख जाति के परम्परागत वाद्य यंत्रों , वायलिनों और सेलो पर बजायी गयी मधुर धुन दर्शकों को गाढा जातीय विशिष्ठता वाले कजाखस्तान गणराज्य में ले आई ।

कजाखस्तान गणराज्य में अनेक जातियां रहती हैं , जिन की अलग अलग संस्कृतियों में एकता झलकती है । कजाखस्तान गणराज्य अपनी परम्परागत संस्कृति पर बहुत महत्व देता है और कजाख लोग अपनी संगीत परम्परा पर बड़ा गर्व करते हैं ।

चीन के सिन्चांग में कला प्रदर्शन के लिए आये कजाखस्तान के राष्ट्रीय संगीत प्रतिष्ठान के प्रोफेसर श्री करसेंज . अहमदीयारेफु तबला वाद्य के उस्ताद हैं । वे इस संगीत कार्यक्रम के निर्देशक भी हैं । अपने सिन्चांग दौरे की चर्चा में श्री अहमदी यारेफु ने कहाः मैं ने पेइचिंग में चीनी जातीय वाद्य मंडली की कला प्रस्तुति देखी , मुझे चीनी जातीय संगीत बहुत पसंद आया । हरेक जाति ने अपने जातीय संगीत के विकास के लिए योगदान किया है । हमारी जातीय वाद्य मंडली ने जो मध्य एशिया का घास मैदान नामक धुन बजायी है ,वह दुनिया की हर जगह गूंजती है । मुझे बहुत गौरव महसूस हुआ कि हमारी यह धुन चीन में भी लायी गयी है । इस बार के दौरे में हम ने कुछ चीनी उच्च शिक्षालयों में संगोष्ठी आयोजित कर कजाखस्तान के परम्परागत वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया और कजाखस्तान के संगीत इतिहास का परिचय दिया । हम ने चीन और सिन्चांग के संगीत इतिहास पर भी अध्ययन किया और चीन और कजाखस्तान के संगीतों में समानता की भी खोज की ।

कजाखस्तान के राष्ट्रीय संगीत प्रतिष्ठान के जातीय संगीत विभाग के प्रभारी सुश्री कालिम.सहारबायुफ ने अपने प्रतिष्ठान के विकास की चर्चा की । उन्हों ने कहा कि इधर के सालों में प्रतिष्ठान में दाखिल हुए चीनी छात्रों ने प्रतिष्ठान की जीवन शक्ति में नए खून का संचार किया है । उन्हों ने खुशी खुशी से कहाः हमारे संगीत प्रतिष्ठान की स्थापना हुए 64 साल हो चुके हैं । लेकिन इन सालों में इस का बहुत तेज विकास हुआ है और प्रतिष्ठान की वाद्य मंडली का स्तर काफी उन्नत हो गया । हमारे प्रतिष्ठान के छात्र आम तौर पर अपनी चार पांच साल की उम्र में ही वादन सीखने लगे , राष्ट्रीय संगीत प्रतिष्ठान में दाखिल होने के बाद वे अपने पेशे का स्तर उन्नत करने की लगातार कोशिश करते रहें । हमारे प्रतिष्ठान में कुछ चीनी छात्र भी हैं , वे पहले कजाख भाषा सीखते हैं , फिर वाद्य विषय पर गहन अध्ययन करते हैं । बहुत से चीनी छात्र श्रेष्ठ सिद्ध हुए हैं , खास कर चीनी छात्र तास्केन.यारमुहमात बहुत ही मेहनती और श्रेष्ठ है । हमारी जातीय वाद्य मंडली में विभिन्न जातियों के छात्र हैं । संगीत की कोई सीमा नहीं होती है , विभिन्न जातियों के लोग एक दूसरे के संगीत को समझ सकते हैं , संगीत दोस्ती का ऐसा सेतु है , जिस से विभिन्न जातियों के लोग आपस में मिल जाते हैं और एक दूसरे को समझते हैं । चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश से आए कजाख जातीय युवक श्री तास्केन .यारमुहमात अब कजाखस्तान गणराज्य के राष्ट्रीय संगीत प्रतिष्ठान के तीन वर्ष के छात्र है । वे संगीत रचने का कॉर्स पढ़ता है । प्रतिष्ठान की जातीय वाद्य मंडली के सदस्य के रूप में वे भी सिन्चांग के दौरे पर आए , अपनी जन्म भूमि में उन्हों ने अपनी संगीत रचना" कला का मार्ग " प्रस्तुत किया ।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।

(श्याओयांग)