2008-02-26 09:47:19

शीतकालीन तैराकी प्रेमी सुश्री चांग लिंग की कहानी

वर्ष 2002 के सितम्बर में सिन्चांग शीतकालीन तैराकी संघ के तत्वावधान में सुश्री चांग लिंग और टीम सदस्य सफलतापूर्वक चीन की मीठे पानी की सब से बड़ी अन्तर्स्थलीय झील यानी बोसथङ झील को पार कर गये । एक हजार एक सौ वर्ग किलोमीटर वाली बोस्थङ झील सिन्चांग के थ्येन शान पर्वत की दक्षिणी तलहटी में स्थित है , जो समुद्री सतह से एक हजार मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर है , झील के पानी का निम्नतम तापमान मात्र एक डिग्री सेल्सेस के बराबर है । इस ठंडा पानी वाली झील को तैर कर पार करने के मकसद की चर्चा में सुश्री चांग लिंग ने कहाः यह झील सिन्चांग की है , मैं इस के लिए कोशिश करना चाहती थी कि सिन्तांग वासी सिन्चांग की इस विशाल झील को तैर कर पार कर सकेंगे कि नहीं , फिर सिन्चांग की महिला उसे तैर कर पार कर सकती है कि नहीं । और मैं यह कोशिश कर आजमाना भी चाहती थी कि बड़ी उम्र वाले लोग क्या कर सकते हैं और वे अपने बच्चों के लिए क्या मिसाल खड़ी कर सकते हैं । खुद मैं अपनी लड़की को किस व्यवहारिक काम से प्रभावित कर सकती हूं ।

उस समय सुश्री चांग लिंग 42 साल की हो चुकी थी , शारीरिक शक्ति से वे 20 साल के युवाओं के तूल्य नहीं हो सकती । लेकिन अंत में वह बोस्थङ झील को पार करने में कामयाब हो गयी और ठंडा पानी में 20 किलोमीटर लम्बा फासला तैर कर तय किया । इस तैराकी से उन की दोनों टांगें इतनी थक गयीं कि दूसरे दिन उन में असह्य दर्द आयी । फिर भी इस सफल तैराकी की चर्चा जब छिड़ी , तो वे अत्यन्त भाव विभोर हुई और उन्हों ने कहाः वाह , झील की जल राशि अनंत अपार है , पानी में तैरते समय दूर दूर कहीं सीमा नजर नहीं आयी , धीरे धीरे आगे तैरते हुए पहले मुझे पहाड़ की धुंधला सी चोटी नजर आयी , फिर लाल लाल छोटी बिंदु दिखी , जो दूर तटस्थ मकानों की लाल रंग की छत है । फिर आगे तैरते हुए मुझे मकान और अन्य भू-दृश्य साफ साफ नजर आया , गंतव्य नजदीक आ रहा है, मैं बहुत प्रभावित हुई , लेकिन मैं जानती थी कि ऐसी घड़ी में अपनी शक्ति और संकल्प में जरा भी ढीला नहीं आने देना चाहिए । जब तटबंध तक पहुंची , तो मेरी आंखों में भरपूर आंसू बह आयी ।

अगस्त 2004 में सुश्री चांग लिंग और शीतकालीन तैराकी संघ के अन्य सदस्यों के साथ उत्तरी सिन्चांग में स्थित एक दूसरी झील को तैर कर पार किया , इस तैराकी में सुश्री चांग लिंग एकमात्र महिला थी । विशाल झील में शीतकालीन तैराकी करने का अनुभव अविस्मरनीय है । उन का कहना है कि तैराकी के खेल से उन्हें दूसरा अनुभव यह प्राप्त हुआ है कि हर काम करने में संजिदगी बरतना चाहिए ।

सुश्री चांग लिंग शीतकालीन तैराकी और जीवन के प्रति जो गंभीर्य व संजिदगी की भावना अपनाती है , उस की उन के दोस्त हमेशा तारीफ करते नहीं थकते हैं । सिन्चांग शीतकालीन तैराकी संघ के महा सचिव श्री चाओ युङ सङ ने कहाः वे बहुत पहले ही शीतकालीन तैराकी के प्रेमी बन गयी है , वे एक श्रेष्ठ शीतकालीन तैराक है । उन की अच्छी शारीरिक गुणवत्ता है और वह कड़ी मेहनत भी करती हैं । अपनी नौकरी में वह बहुत व्यस्त हैं , फिर भी वह व्यायाम और कसरत करना कभी नहीं भूलती है ।

सुश्री चांगलिंग की एक सहेली सुश्री छन इंग ने उन का मूल्यांकन करते हुए कहाः अक्तूबर के माह में एक बार मैं भी पानी में उतरी , लेकिन ठंडा पानी में ठहरने से मुझे काफी पीड़ा महसूस हुई और मैं जल्दी ही पानी से बाहर निकली । लेकिन वे पानी से नहीं निकली । वर्षों से वे शीतकालीन तैराकी पर कायम रहती हैं ,उन की अद्भुत संकल्प शक्ति है । तैराकी से उन की त्वचा भी काला हो गया । शीतकालीन तैराकी पर ऐसे लोग डटे नहीं रह सकता है , जिस की अद्मय दृढ़ता नहीं हो । मैं सुश्री चांग को तहेदिल से मानती हूं।

अप्रैल 2007 में सुश्री चांग लिंग ने 13 वीं राष्ट्रीय शीतकालीन तैराकी प्रतियोगिता में भाग लिया , उन्हों ने 45 से 49 साल के वर्ग में महिला पचास मीटर ब्रीस्ट स्ट्राक का स्वर्ण पदक और 100 मीटर का रजत पदक जीते । वर्षों से शीतकालीन तैराकी के खेल में हिस्सा लेने से वह बहुत तंदुरूस्त हुई है और उन के बहुत से अच्छे मित्र भी कायम हुए और जीवन और सुन्दर हो गया है । (श्याओयांग)