प्राचीन फंगह्वांग शहर नये व पुराने दो भागों में बटा हुआ है , पुराना भाग पहाड़ पर खड़ा हुआ है , थो च्यांग नदी सामने गुजर कर बहती है , लाल पत्थर से बनी हुई शहरी दीवार नदी के तट पर दिखाई देती है , जबकि प्राचीन शहरी भवन नानह्वा पर्वत पर झांकता है । यह पुराना भवन भी छिंग राजवंश काल में स्थापित हुआ था । उतर शहरी गेट के नीचे लम्बी चौड़ी नदी के ऊपर एक इतनी तंगी सी लकड़ी सेतु बनी हुई है कि दो व्यक्ति आमने सामने चलना भी मुश्किल है , यह सेतु तत्काल में शहर के बाहर जाने का एक मात्र रास्ता ही था ।
फंगहवांग कस्बा चीन के आधुनिक मशहूर लेखक शन च्वो वन की जन्मभूमि की वजह से नामी हो गया है । शन च्वो वन का पुराना निवास स्थान प्राचीन शहर के भीतर चुंग इंग सड़क की श पान गली में है , चार दीवारों वाले आंगन में सभी मकान लकड़ियों व ईंटों से बने हुए हैं , ब्लैक ईंटों व सफेद दीवारों और फूलदार लकड़ी खिड़कियों से सास्कृतिक पर्यावरण व्याप्त है । फंगह्वांग कस्बे में मुख्यत:पूर्वी पर्वत का सबेरा किरण , हरा भरा नानह्वा पर्वत , पहाड़ी मंदीर का सबेरा घंटा , लुंगथान मछुआ , अनौखा चोटी आदि कुल आठ रमणीक प्राकृतिक दृश्य पर्यटकों का मन मोह लेते हैं । फंगह्वाग कस्बे के दौरे के लिये आप हवाई जहाज से हूनान प्रांत के ची शो शहर पहुंचने के बाद बस से सीधे वहां जा पहुंचते हैं ।