2008-02-05 09:45:05

शिन च्यांग के प्रसिद्ध संग्रहकर्ता अहमत टुमर

मूल्यवान अवशेषों की खरीददारी के लिए श्री अहमत टुमर ने इन सालों में विश्व के दसियों देशों का भी दौरा किया और वहां ले चले गये चीनी सांस्कृतिक अवशेषों की तलाश करने की कोशिश की , जब कभी चीनी अवशेष देखने को मिला , तो उन्हें लगा कि वे अपने लापता बच्चे से मिल गये हों और उसे घर ले जाने की भरसक कोशिश करते हैं ।

सिन्चांग के सुप्रसिद्ध लेखक नानफु श्री अहमत टुमर के अच्छे दोस्त हैं । उन्हों ने एक पुस्तक लिख कर अहमत टुमर की कहानी बतायी । उन का कहना हैः वेवूर जाति का सुपुत्र होने के नाते अहमत टुमर जातीय संस्कृतियों के आदान प्रदान को बढाने तथा चीनी राष्ट्र की परम्परागत संस्कृति को विरासत में लेने में असाधारण काम किया है । वे कभी कभार अकेले कुछ खाने का आहार ले कर पेइचिंग , शांगहाई और हांगचो आदि जगहें घूमते रहते हैं और सांस्कृतिक अवशेषों की तलाश करते रहते हैं , उन की इस प्रकार की भावना से प्रभावित हो कर देश के भीतरी इलाके के बहुतसे चित्रकारों और लिपिकलाकारों ने उत्साह के साथ उन की मदद की और उन्हें चित्र व लिपिकलाकृति बना कर भेंट की है ।

अब श्री अहमत टुमर चीन के संग्रहकर्ताओं में एक सर्वेश्रेष्ठ व्यक्ति बन गए हैं । उन के पास चीन के सुप्रसिद्ध चित्रकार तङ पाईछ्वो , चांग दाछ्यान और छी पाई श जैसे हस्तियों के कई सौ असली प्राचीन और समकालीन चित्र संगृहित हो हुए हैं , इन के अलावा उन के पास चीनी व विदेशी तेल चित्र , अरबी बकरी चमड़े के चित्र , मलेशिया के वृक्ष पत्ते के चित्र और चीन के छिंग राजवंश की महा रानी छि शी के हस्तलिपित चित्र आदि दुर्लभ सांस्कृतिक अवशेष संरक्षित हैं । उन के संगृहित अवशेष देख कर सभी लोग प्रशंसा करने के बिना नहीं रह सकते । वेवूर युवती राहिला ने कहाः बहुत पहले ही श्री अहमत टुमर की कहानी सुनी थी , जब मैं हामी में रहती थी , तो सुना कि उन के पास बड़ी मात्रा में ऐतिहासिक अवशेष संरक्षित हैं । खास कर इन अवशेषों में बहुत से दुर्लभ हान जातीय संस्कृति के धरोहर देखने को मिलते हैं । आज मैं उन के संग्रहालय में आयी , तो मालूम हुआ कि अभी मेरी आंखों के सामने संग्रहण की दुनिया दिखाई पड़ी , यहां प्रदर्शित चीनी मिट्टी के बर्तनों में से बहुत से कई सदियों साल पहले के हैं , लेकिन अब तक उन के रंग चमकीले और मनमोहक है । इतने कीमती सुन्दर चीजों को सिन्चांग में लाना अपने आप में एक मुश्किल काम है ।

इन सालों में सांस्कृतिक अवशेष बटोरने के लिए श्री अहमत टुमर ने कड़ी मेहनत की है और न जाने कितने पसीने बहाये हैं । इसे खुद अहमत टुमर साफ साफ बताने के असमर्थ हैं । उन्हों ने कहाः अवशेष बटोरने का काम रिश्तेदारों व अपने बच्चों से मिलने की भांति है , मुझे इस में असीम लगाव है । अवकाश समय , अपने संग्रहालय में बैठे इन चीजों को निहारते हुए मुझे उन के साथ बातें करने का मन भी उठता है । चीन का पांच हजार साल पुराना लम्बा सभ्यता इतिहास है , प्राचीन चीनी लोग बहुत महान थे । जैसा कि ईंट बनाने का काम , जब आंच ठीक नहीं है , तो ईंट नहीं बन सकता । और तो और प्राचीन काल में तकनीक आज से कहीं अधिक पिछड़ी थी , लेकिन इतने सुक्षम और सुन्दर चीजें बनायी जा चुकी हैं । उन्हें बेच देना एक महा नुकसान है , मैं ने उन के लिए संग्रहालय बनाया और अब इन संरक्षित चीजों को देखने पर लगता है कि चीन की शानदार संस्कृति आंखों के सामने चमकती है।

इस साल श्री अहमत टुमर ने अपने संगृहित अवशेषों का एक तिहाई भाग सिन्चांग राष्ट्रीय चित्र अकादमी को भेंट करने की योजना बनायी , उन्हों ने कहा कि संग्रहण का काम करने का अपना मकसद देश के लिए कुछ महत्वपूर्ण काम करना है। मुझे खुशी महसूस हुई है कि मैं ने चीनी राष्ट्र को शोभा देने के लिए कुछ किया है . मेरी कोशिश बेकार नहीं हुई . मैं ने अपनी पसंद का काम किया है , मैं चाहता हूं कि पेइचिंग में भी एक संग्रहालय बनाया जाए और 2008 में इस संग्रहालय का निर्माण पूरा किया जाएगा । भविष्य में मैं कुछ धन राशि निकाल कर पेइचिंग विश्विद्यालय और छिंगह्वा विश्वविद्यालय के श्रेष्ठ , पर गरीब छात्रों को भत्ता स्वरूप सहायता दूंगा , ताकि वे विदेश में जा कर अध्ययन जारी रख सकें और स्वदेश लौट कर देश के निर्माण में अपनी बुद्धिमता अर्पित कर सकें।

(श्याओयांग)