2008-02-04 14:42:20

मशहूर वेवूर संग्रहकर्ता अहमत टुमर

चीन की अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम सुनने के लिए आप का हार्दिक स्वागत। सिन्चांग के वेवूर संग्रहकर्ता श्री अहमत टुमर सिन्चांग में बहुत ही मशहूर हैं , उन के पास संगृहित वस्तुओं की किस्में और मात्रा दोनों प्रचूर हैं , जिन में चित्र , लिपिकला की कृतियां , चीनी मिट्टी के बर्तन , सोने के पात्र , जेड के काम और विभिन्न देशों के विभिन्न ऐतिहासिक कालों के सिक्कें , कागजी नोट और डाक टिकट आदि शामिल हैं । उन की बहुत सी संग्रह चीजें चीन में दुर्लभ हैं । तो चीन की अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तर्गत सिन्चांग का दौरा में आज आप सुनेंगे श्री अहमत टुमर की कहानी ।

श्री अहमत टुमर का जन्म सन् 1952 में सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के हामी शहर में हुआ , बचपन में ही उसे हान भाषा में रूचि थी , इसलिए स्कूली शिक्षा के लिए उन्हों ने एक हान भाषा में पढ़ाने वाला स्कूल चुना। इस पर उन्हों ने कहाः मेरा यह विचार उस जमाने में बहुत प्रगतिशील माना जाता था । मैं समझता था कि हान भाषा में शिक्षा देने वाले स्कूल में हान भाषा सीखना आगे अपने केरियर के विकास के लिए मददगार होगा । बालावस्था में मुझे हान भाषी पुस्तकें पढ़ने में गहरी दिलचस्पी हुई , खास कर सचित्र पुस्तकों से मेरा विशेष लगाव था , छोटी उम्र में जब मैं अक्षर भी नहीं पहचानता था , तो भी मैं त्रिराज्य की कहानी और पश्चिम की तीर्थ यात्रा आदि प्राचीन चीनी उपन्यासों में चित्रित आकृति बेहद पसंद आए थे ।

युवावस्था में श्री अहमत टुमर को दक्षिण पूर्व चीन के समुद्रतटीय शहर क्वांग चो के ह्वा नान नार्मल विश्वविद्यालय में दाखिला मिला , वहां वे इतिहास और पुरातत्व विज्ञान पढ़ते थे । विश्वविद्यालय के समय वे लगन से पढ़ते थे और चीनी राष्ट्र के इतिहास पर अध्ययन करते थे । चीन के लम्बे पुराने इतिहास और शानदार सभ्यता से वे बहुत प्रभावित हो गए , जिस से इतिहास के साथ उन का लगाव और प्रगाढ़ हो गया । विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद वे सिन्चांग में लौटे और सिन्चांग के हामी शहर के सांस्कृतिक मामला ब्यूरो में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अवशेषों के संग्रहण और संकलन का काम करते थे । इस काम से उन के आगे के सांस्कृतिक अवशेष संग्रहण केरियर के लिए अनुकूल स्थिति तैयार हुई ।

वर्ष 1979 में श्री अहमत टुमर ने अपने कामकाज के दौरान हामी शहर में प्राचीन पंच किला कब्रिस्तान के खंडहर का पता लगाया , जिस की खुदाई में प्राचीन काल की अच्छी सुरक्षित मानवी शव प्राप्त हुई । सर्वेक्षण से पता चला है कि यह शव आज से तीन हजार दो सौ से ज्यादा साल पहले की थी । पुरातत्व की इस नयी खोज से देश विदेश के पुरातत्व जगत को बड़ी प्रेरणा मिली । इस बात की याद करते हुए श्री अहमत टुमर ने कहाः एक दिन की बात थी , मेरे एक किसान मित्र ने मेरे पास आ कर बताया कि उसे एक अजीब बात का सामना करना पड़ा है , उस के खेत में पानी बहुत तेजी से नीचे बह गया और जमीन भी नीचे धंस पड़ी , जहां बहुत सी मृत हड्डियां बाहर निकलीं । उस ने कहा कि उस ने कभी नहीं सुना था कि इस जगह पहले कोई मृतक दफनाया गया । तो ये हड्डियां कहां से आ गयीं । किन्तु मेरा ज्ञान मुझे बताता है कि वह जरूर कोई प्राचीन कब्रिस्तान होगा ।

श्री अहमत टुमर तुरंत घटना स्थल जा पहुंचा , और बड़ी संख्या में हड्डियों के फोटो ले लिये और घटना स्थल की सुरक्षा का बंदोबस्त भी किया । इस के बाद कई महीनों तक उन के नेतृत्व में सर्वेक्षण दल ने खुदाई का काम किया , अंत में पंच किला नामक प्राचीन कब्रिस्तान का पता लगाया गया ,जिस में तीन हजार दो सौ वर्ष ज्यादा प्राचीन अच्छी सुरक्षित शव प्रकाश में आयी । यह एक असाधारण पुरातत्वी उपलब्धि है , जिस से प्रेरित श्री अहमत टुमर और उन के साथियों ने फिर विशाल रेगिस्तान और वीरान पहाड़ों पर जा कर लगातार पुरातत्वीय खुदाई का काम किया और बड़ी संख्या में प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों का पता लगाया ।

वर्ष 1985 में श्री अहमत टुमर ने पुरातत्व ब्यूरो की नौकरी छोड़ी और ऊरूमुची में आ कर अपनी निजी कंपनी खोली । कंपनी से प्राप्त आय के भरोसे उन्हों ने संग्रहण का काम शुरू किया और वे हर कीमत पर मूल्यवान अवशेष खरीदने को तैयार है । इस पर उन्हों ने कहाः वर्ष 1994 में मुझे खबर मिली कि हांगचो शहर में दो प्राचीन प्याला बेचा जा रहा है , तो मैं तुरंत अपने हाथ का सौदा छोड़ कर विमान से ऊरूमुची से शांगहाई गया , फिर वहां से रेल से हांगचो पहुंचा । रात का वक्त था , मुसलाधार बारिश हो रही थी , शहर में चार घंटों तक ढूंढ , तलाश करके ही प्याला बेचने वाले के घर का पता चला ।

प्याले के मालिक अहमत टुमर की ईमानदारी व सदिच्छा से बेहद प्रभावित हुए और उदार भाव से दोनों प्याला अहमत टुमर को दे दिया।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।

(श्याओयांग)