2008-02-01 16:33:18

य्वू हेईबो

हाल ही में पेइचिंग में आयोजित चीन के दस श्रेष्ठ सवयम् सेवकों के पुरस्कार वितरण

समारोह में पहिया-कुर्सी पर बैठी एक विकलांग युवती ने सभी लोगों का ध्यान आकृष्ट रखा। वे हैं, उत्तर-पूर्वी चीन के जी लिंग प्रांत के छांग छ्वन शहर की य्वू हेईबो। जन्म से ग्रिस्टल की बिमारी से ग्रस्त 32 वर्षीय य्वू हेईबो की ऊंचाई केवल 86 सेंटीमीटर है, और वजन है मात्र 18 किलोग्राम। पर वे स्वयं लोगों को मदद में लगी हुई हैं। आज के जीवन औऱ समाज कार्यक्रम में आइए, सुनिए, य्वू हेईबो की कहानी।

य्वू हेईबो को जन्म के फौरन बाद ही ग्रिस्टल जैसे रोग ने आ गया, जिस से उन्हें निरंतर हट्टिडयां टूटने की शिकायत रहने लगी। पड़ोस के अपने नन्हे साथियों के उन को हटोलने से ही, उन्हें महीनों तक दर्द महसूस होता।तब डाक्टरों ने कहा था कि वे 12 वर्ष ही जी पाएंगी। लेकिन, य्वू हेईबो बचपन से ही एक साहसी औऱ दिलेर लड़की थी। शारीरिक कमजोरी ने उन्हें स्कूल जाने में अक्षम बना दिया। लेकिन, उन्होंने अपने पां-बाप की मदद से एक पुराने शब्दकोश के जरिए अपने लिए ज्ञान का द्वार खोला डाला। ज्ञान विपास औऱ अथक प्रयास का परिणाम था कि उन्होंने अपने आप पहले प्राइमरी , औऱ मिडिल स्कूल तक की परीक्षा पास की और विश्विद्दालय तक में दाखिला लेकर चीनी भाषा औऱ मनोविज्ञान के डिग्रियों तक प्राप्त कीं।

डिग्री प्राप्त करने के बाद य्वू हेईबो ने स्वयं सीखे ज्ञान और जीवन की अपनी समझ से सवयम्

सेवक बनने का निर्णय लिया।वर्ष 1995 की 8 मई को , उन्होंने दिल की बात नाम से छांग छ्वन शहर की पहली मुफ्त परामर्श हॉट लाइन खोली। इस हॉट लाईन की चर्चा में य्वू हेईबो ने बताया, पहले मैं अक्सर रेडियो सुनती थी। उस में कुछ ऐसे प्रोग्राम भी होते थे, जिन में हम अपनी भावना जाहिर कर सकते थे। लेकिन, चूंकि रेडियो पूरी तरह खुला होता है, इसलिए, अनेक लोग अपनी मुसीबतों को साफ साफ नहीं बता पाते थे, और रेडियो के होस्ट भी उन की समस्याओं का ठीक हल नहीं कर पाते थे। मैं ने ऐसे प्रोग्रामों में भाग लिया था। और एक बार एक प्रोग्राम के होस्ट ने मुझे स्ट्यूडियो में भी आमंत्रित किया। इस मोके पर मैं ने अपनी कहानी से जीवन में मुसीबत सहने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया। बाद में कुछ युवकों ने रेडियो औऱ अन्य माध्यमों से मेरा फोन नम्बर पता किया। और मेरे घर बहुत से फोन आने लगे । तो मैंने सोचा कि यदि मैं अपने फोन नम्बर को बाहर के लिए खोल हूं, तो लोग आसानी से मेरी खोज कर सकते हैं।

इस के मद्देनजर मैंने अपने पिता की मदद से एक टेलिफोन सेट अपने 8 वर्गमीटर वाले छोटे कमरे में स्थानांतरित किया , औऱ दिल की बातें हॉट लाईन की औपचारिक शुरुआत की ।श्रोताओं के बाद य्वू हेईबो के कमरे में फोन आने लगे। और वे अनेक लोगों की मित्र बन गयीं।

एक बार उन्हें एक ऐसी युवती का फोन आया जो आत्म हत्या चाहती थी। उन्होंने य्वू हेईबो को फोन कर उन से ्पनी मन की अंतिम बात कहनी चाही। य्वू हेईबो ने युवती के आत्म हत्या के विचार पर ध्यान दिया और उस का फोन नम्बर नोट कर लिया। इस के बाद उन्होंने तुरंत 110 नम्बर पर फोन कर पुलिस को इस की सूचना दी। पुलिस की मदद से यह युवती जल्दू ही अस्पताल भेजी जा सकी जहां उसे पुनः जन्म मिला।

वे इस तरह कई लोगों से अनेक तरह की बात करतीं और कभी कभी लोगों को समझाने में उन्हें हॉट लाईन पर एक घंटे से ज्यादा समय तक लग जाता।

कुछ समय बाद छांगछवन के अलावा, दूसरी जगहों के लोगों के परामर्श के लिए य्वू हेईबो ने हॉट लाईन के अलावा, दिल की बातें पोस्ट बौक्स भी खोला।

अब हालत यह हैं कि य्वू हेईबो की पूरे विश्वास और मनोविश्लेषण से भावना का आदान-प्रादन करने वाली यह हॉट लाईन एक राहत हॉट लाईन बन गयी हैं। एक बार एक 8 वर्षीय लड़की ने रोते हुए य्वू हेईबो से फोन पर कहा कि वह सिर्फ अपने पिता को जीवित रहते देखना चाहती है। दरअसल लड़की के पिता गंभीर रुप से बिमार थे, और उन्हें चिकित्सा के लिए पैसों की बड़ी जरुरत ती। यह फोन पाकर य्वू हेईबो के दिल में अनजाने क्या भावना उमदी होगी, यह पूछने पर य्वू हेईबो ने बताया, उस समय मैंने खुद को बहुत लाचार महसूस किया। क्योंकि मैं बाहर जाकर उस लड़की के पिता बचाने के लिए दान चंदे की गतिविधियों का आयोजन नहीं कर पायी।

वर्ष 1996 के अक्तूबर माह में अन्य लोगों की सहायता से य्वू हेईबो ने गरीबों को मदद देने के लक्ष्य से एक स्वयम् सेवक संघ की स्थापना की। इस सवयम सेवक संघ में भाग लेने वाले अधिकांश लोग विश्विद्दालयों के छात्र -छात्राएं हैं। और अब तक 800 से ज्यादा स्वयम् सेवकों ने इस में भाग लिया है, और दूसरों को मदद की है।

पिछले पांच सालों में इस संघ की मदद से 120 गरीब छात्रों ने समाज की सहायता की और 30 विकलांग बच्चों ने स्वास्थ्य लाभ पाया, 10 विकलांग बच्चों को पी सी, पहिया कुर्सी और पुस्तकें आदि सामग्री प्राप्त हुई। इतना ही नहीं, संघ ने छांग छ्वन शहर के आशा मिडिल स्कूल और अनेक विश्विद्दालयों में मनोविज्ञान केंद्रों की स्थापना भी की। 

य्वू हेईबो ने अपने आशावाद से अपनी बीमारी को पराजित कर सुखमय जीवन भी प्राप्त किया। अपने घर में य्वू हेईबो न केवल एक अच्छी बेटी है, बल्कि एक अच्छी पत्नी और मां भी हैं।य्वू हेईबो के पति छांग छ्वन शहर की एक इमारत सजावट कंपनी के मजदूर हैं। य्वू हेईबो के अनुसार, उन दोनों की मुलाकात स्थानीय रेडियो के एक प्रोग्राम में हुई। समान विचार-धारा से उन मेंमुहब्बत हुई, और वर्ष 1997 में विवाह भी।

य्वू हेईबो अपनी सफलता को अपने पति से अलग करके नहीं देखती । जब वे घर में नहीं होती , तो उन के पति हॉट लाईन का जवाब देते हैं। इतना ही नहीं, वे उन के स्वयम् सेवक संघ के प्रथम स्वयम् सेवक भी हैं। य्वू हेईबो की चर्चा में श्री जांग ई मिंग का कहना है,

समाज में रहते हुए हम पर समाज के लिए कुछ काम करने की जिम्मेदारी भी है। मैं दूसरों को मदद के काम करने को हमेसा तैयार हूं।

य्वू हेईबो के पास अच्छे पति के अलावा, दो वर्ष का एक प्यारा व स्वस्थ बेटा भी है।

पारिवारिक जीवन ने य्वू हेईबो के जीवन में रंग डाला है। भविष्य की चर्चा में य्वू हेईबो ने कहा कि वे विकलांग बच्चों की एक स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना करना चाहती हैं, ताकि ऐसे बच्चे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सके।