2008-01-29 15:56:50

सिन्चांग वेवुर स्वायत प्रदेश के बहुदार पर्वतारोही वांग थ्येनान

वर्ष 2001 के अगस्त माह में श्री वांग थ्येनान ने प्राचीन शाथ दर्रे को पार करने की योजना बनायी । थ्येनशान पर्वत माले के मध्य भाग में स्थित शाथ घाटी प्राचीन रेशम मार्ग पर एक सब से खतरनाक दर्रा है । शाथ घाटी पर विजय अभियान में वांग थ्येनान की पर्वतारोही टीम के सदस्य , वांग थ्येनान के घनिष्ट मित्र तुंग वु सिन ने जान का न्योछावर किया और दुर्गम मुजालथ हिम नदी पर उन की टीम पूरी तरह विनाश होने से बाल बाल बची । इस की चर्चा में श्री वांग थ्येनान ने कहाः 

इस घटने से मुझे साफ साफ मालूम हुआ कि मानव प्रकृति के सामने बहुत कमजोर और तुनक होता है । मानव की किसी भी अन्वेषण कार्यवाही में अवश्य बलिदान होता है , किन्तु अपनी जान गंवा देने से अपने को बहादुर साबित करना ठीक नहीं है , हमें चाहिए कि साहस का प्रदर्शन करते हुए मृत्यु पर विजय पाने की कोशिश करें । हम इसलिए पूर्वती अन्वेषण कार्यवाही में जान देने वाले लोगों को श्रृद्धांजलि देते हैं , ताकि आने वाली कार्यवाही में बलिदान को कम किया जा सके । हमें आने वालों को रोकने की कोशिश नहीं करना चाहिए ।

वर्ष 2002 के अगस्त माह में शाथ घाटी पर हुई दुर्घटना की पहली वर्षगांठ पर श्री वांग थ्येनान के नेतृत्व में उन की टीम फिर एक बार पोगदा पर्वत चोटी पर आरोहित हुई , उन्हों ने स्वर्गीय तुंग वुसिन की शव राख को थ्येनशान पर्वत की इस मुख्य चोटी पर छिड़काया , जिस पर तुंग वु सिन भी अपने जीवन काल में टीम के साथ सफलतापूर्वक आरोहित हुआ था । श्री वांग थ्येनान की पत्नी श्रीमती छङ चानश्यांग ने कहा:उस साल , शाथ घाटी में तुंग वुसिन पहाड़ से आयी बाढ़ के साथ बहाया गया था , उस की तलाश करने के लिए मेरे पति वांग थ्येनान एक महीने तक वहां ठहर रहे , जब वापस लौटे , तो वह बहुत दुबले पतले हो गए , सिर के बाल भी सफेद पड़ गए , एकदम बूढ़ा सा प्रतीत हुआ , वह एक बुजुर्ग की भांति रोज खामोश बने रहे । तुंग वुसिन की मृत्य से हमारे परिवार को बड़ा धक्का लगा , हम सभी ने उन से पर्वतारोहन छोड़ने की मांग की । लेकिन वे हमेशा अपने निश्चय पर डटे रहते हैं , पूरा परिवार भी उन्हें नहीं रोक सकता । उन की दृढता को देख कर मैं ने भी समझाना बुझाना छोड़ा । वास्तव में पर्वतारोहन उन के जीवन का एक अभिन्न भाग बन गया है । इसलिए उन्हें जो काम करना पसंद है , तो उन्हें करने देना चाहिए ।

दर्जन सालों के पर्वतारोहन जीवन में श्री वांग थ्येनान ने अपनी टीम ले कर कई बार थाकलमागन रेगिस्तान को आर पार किया , वे पैदल निया खंडहर और रोबुपो बेसिन में प्राचीन लोनान नगर का पता लगाने गए , वे मुशथाग पर्वत चोटी पर चढ़े , चार बार पोगदा को अपने पांवों के नीचे दबाया और सिन्चांग में ऊंची और खतरनाक पर्वतों पर जाने के अनेक रास्ते ढूंढ निकाले । इस के अलावा उन्हों ने चीन में पैदल यात्रा , चीन में पर्वतारोहन का तीर्थ कोष और चीन में अन्वेषण का तीर्थ कोष नामक तीन पुस्तकें लिखीं । ऊरूमुची पर्वतारोहन संघ के महा सचिव श्री चांग ह्वीतुंग ने कहा:श्री वांग थ्येनान का आरामदेह जीवन भी है , लेकिन उन्हों ने अपने सभी अवकाश समय को पर्वतारोहन कार्यवाही में लगाया । तकरीबन हर साल उन्हों ने कुछ न कुछ नये का पता लगाया । आधुनिक जीवन में भी मानव को उन में दिखायी गयी इस प्रकार की आदिम , अद्मय , निरडरता की भावना की जरूरत है । प्रकृति में अभी बहुत सी अनसुलझी चीजें हैं , जिन की गूढ़ता का पर्दा उठाना बाकी है । दुनिया में अभी बहुत सी कठिनाइयां मौजूद हैं , जिन्हें दूर करना बाकी है । यदि वांग थ्येनान की जैसी अद्मय भावना नहीं होती , तो इन गूढ़ चीजों और कठिनाइयों को हल नहीं किया जा सकता । इसलिए श्री वांग थ्येनान की भावना बहुत मूल्यवान है . इस प्रकार की भावना और दृढ़ता के बलबूते मानव नये का पता चलने और सृजन करने में कामयाब हो सकता है।

(श्याओयांग)