2007-12-24 11:58:30

चीन की अल्पसंख्यक जातियों में से एक पुई जाति के प्रथम गांव का दौरा

प्रिय दोस्तो , आप जानते ही हैं कि चीन एक बहुजातीय देश है और यहां प्रमुख जाति हान जाति को छोड़कर और अन्य 55 अल्पसंख्यक जातियां भी हैं । 26 लाख जनसंख्या वाली पु ई जाति उन में से एक है और इस जाति का आधा भाग आज दक्षिण पश्चिम चीन के क्वेचाओ प्रांत में बसा हुआ है । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ पु ई जाति बहुल गांव चंद्रमा गांव देखने चलते हैं । इस गांव को अपनी जातीय संस्कृति के अच्छे संरक्षण की वजह से प्रथम चीनी पु ई गांव माना जाता है ।

पु ई जाति के कस्बे और गांव आम तौर पर पहाड़ों की तलहटियों या नदियों के किनारे खड़े हुए हैं और वे घने जंगलों से घिरे हुए दिखाई पड़ते हैं । पास में नदियां कल-कल करती हुईं बहती हैं । एक दिन की सुबह हम जल्दी उठकर चंद्रमा नामक गांव के लिये रवाना हुए । एक स्वच्छ नदी के तट का अनुसरण करते हुए जब हम चंद्रमा गांव के छोर पर पहुंचे , तो हम ने देखा कि सुदंर पु ई जाति की पोषाक में सुसज्जित युवतियां हमें मदिरा पेश करने के लिये गीत गाते हुए खड़ी हुई हैं । स्थानीय गाइड ली शिंग ने हमें बताया कि उन्हों ने जो गीत गाया है , वह मार्गरोधी शराब गीत ही है , जबकि पेश करने के लिये हाथों में जो शराब है , वह मार्गरोधी शराब ही है ।

उन्हों ने कहा कि यह मार्गरोधी शराब आदरणीय मेहमानों के सम्मान में पेश की जाती है और वह शकुन का प्रतीक भी है । स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार आदरणीय मेहमानों को दो बार मार्गरोधी शराब पिलाई जाती है । पहली बार युवा लोग मेहमानों को सम्मान के रूप से शराब पेश करते हैं , फिर बुजुर्ग लोग मेहमानों को यह शराब पेश करते हैं ।

श्री ली शिंग ने कहा कि पु ई जाति की परम्परा के अनुसार मेहमान दो कप शराब पीने पर ही गांव में दाखिल हो सकता है । पर यह चिन्ता की बात नहीं है। यहां पर जो शराब पिलायी जाती है , वह तेज शराब न होकर चावल से तैयार की हुई शराब है और उस का स्वाद थोड़ा खटा-मीठा है , पीने में बड़ा मजा आता है ।

चंद्रमा-गांव का हरेक घर घने बांसों व पेड़ों से घिरा हुआ है , चारों ओर शांत व साफ सुथरा वातावरण व्याप्त है , पास में कल-कल बहती चंद्रमा-नदी गांव को चार चांद लगाती है । पु ई जाति की युवती वांग ह्वी ने हमें बताया कि चंद्रमा-गांव का नाम ठीक इसी चंद्रमा-नदी पर रखा गया है। इस नदी के पीछे एक मर्मस्पर्शी पौराणिक कहानी भी प्रचलित है ।

कहा जाता है कि बहुत पहले यहां माउ मई नामक एक सुंदर लड़की रहती थी और उसे चंद्रमा नामक एक लड़के से मुहब्बत हो गयी । यहां का ये लांग नामक राजा सुंदर लड़की माउ मई को अपनी दासी बनाना चाहता था , पर लड़की माउ मई इस के लिए कतई तैयार नहीं थी । मजबूर होकर राजा ये लांग ने उस से कहा कि यदि तुम्हारा चंद्रमा-भाई इस नदी को उल्टी बहा दे , तो मैं तुम दोनों को एक साथ रहने दूंगा । ऐसी स्थिति में बेचारा चंद्रमा भाई बेहद दुखी हुआ और रोने के सिवा वह कुछ नहीं कर सकता था । अतः वह हर रोज इस नदी के तट पर बैठ कर रोता रहता था , उस के रोने की आवाज से प्रभावित होकर भगवान इस नदी को उल्टा बहाने ही वाले थे कि अचानक मुस्लाधार वर्षा हुई और नदी में बाढ़ आ गयी । चंद्रमा-भाई बाढ़ में डूब गया । यह जानकर माउ मेई बहुत दुख हुई और उस ने सीधी खड़ी चट्टान से कूदकर आत्महत्या कर ली ।