उत्तर पश्चिम चीन के सिन्चांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश में बेटे की जान बचाने के लिए मां ने दूर दक्षिण पश्चिम चीन के छुङछिंग शहर से सिन्चांग आ कर युरेएमिया से पीड़ित पुत्र को अपना एक गुर्दा मुहैया किया , जिस ने वहां के लोगों को अत्यन्त प्रभावित कर दिया ।
वर्ष 2006 में चीनी जन मुक्ति सेना के सिन्चांग में तैनात युनिट की अमूक टुकड़ी के सूचना जनरल स्टेशन के तीसरे बटालियन के कैडेट अफसर य्वान ताएची को युरेअमिया का रोग लगा , इस बीमारी का पूरी तरह उपचार करने का एकमात्र तरीका बीमारी से पीड़ित रोगी के लिए एक नया गुर्दा प्रत्यारोपित करना है । लेकिन चीन में इस आपरेशन के लिए गुर्दा मुश्किल से मिलता है । यदि गुर्दा मिल गया , तो भी आपरेशन के लिए दो लाख य्वान की धन राशि की आवश्यकता है । उस साल 22 साल के कैडेट य्वान ताईची के लिए यह एक असह्य भारी बोझ था । गुर्दा मुश्किल से मिलने तथा आपरेशन का ऊंचा खर्च होने की स्थिति को देखते हुए य्वान ताईची को असीम निराशा हुई ।
मां बाप के कमजोर कंधे पर बोझ नहीं डालने के ख्याल में य्वान ताईची को अकेले मौन हो कर बीमारी से पैदा हुए दुखी और असाद का सामना करना पड़ रहा था । लेकिन उस साल के अंत तक डाक्टर ने य्वान ताई ची को बताया कि उस की हालत बहुत गंभीर हो गयी है , अगर कोई उचित गुर्दा नहीं मिल पाया , तो केवन रिश्तेदारों से गुर्दा लेने का एकमात्र तरीका रह गया । इस स्थिति के चलते य्वान ताईची को छुङछिंग शहर के उपनगरी गांव में खेतीबाड़ी करने वाले मां बाप को चिट्ठी लिख कर अपने रोग की असलियत बतायी । खबर पा कर उस की मां चो य्वान तुंग अथाह दुखी और गम में डूब गयी । इस पर उन्हों ने कहाः
मुझे बेटे के पत्र से मालूम हो गया कि उसे असाध्य बीमारी लगी है , तो मैं ने उस से कहा कि तुम्हें शुरू में ही मुझे बताना चाहिए था , जब सेहत खराब हो गयी , तभी हमें बताया । मां बाप के लिए ऐसा कोई तर्क नहीं है कि हम तुम्हें नहीं बचाने की कोशिश करेंगे । बेटे का पत्र मिलने पर रोने और दुखी से मारने के कारण मैं मुर्झी भी हुई । मैं ने उस के बाप के साथ सलाह किया , दूसरे दिन ही हम सिन्चांग के लिए रवाना हुए ।
बेटे का पत्र मिलने के दूसरे दिन य्वान ताईची के मां बाप घर के सभी पैसे तीन हजार य्वान को ले कर छुङछिंग शहर से चार हजार किलोमीटर दूर सिन्चांग जाने के लिए रवाना हो गए । पैसा बचाने के लिए दोनों ने रेल गाड़ी में सिर्फ बैठने की सीट ले ली और कड़ी लकड़ी की सीट पर बैठे बैठे लगातार तीन दिन तीन रात का रास्ता तय करना पड़ा । सिन्चांग पहुंचने के बपाद वे दोनों तुरंत अस्पताल में गए और बेटे को गुर्दा देने के लिए टेस्ट और एक्सीमिनेशन करवाया । परिणाम से पुष्ट हुआ है कि मां चो य्वान तुंग का ब्लड वर्ग मरीज बेटे से मेल खाता है । चो य्वानतुंग को मालूम है कि गुर्दा प्रदान करने के बाद बुरा परिणाम भी निकलने की संभावना है । लेकिन उन्हों ने निडरता और दृढ़ता का परिचय कर गुर्दा मुहैया करने के मंजूरी पत्र पर अपना नाम लिखा। उन्हों ने कहाः
मैं मां हूं । बेटे के लिए मैं सब कुछ समर्पित करने को तैयार हूं । मुझे मालूम है कि एक गुर्दा निकालने से सेहत को नुकसान पहुंचने की संभावना है । तहेदिल में मुझे डर भी थी कि कहीं आपरेशन में अप्रत्याशी बात तो नहीं हो जाए , फिर भी बेटे की जान बचाने के लिए यह एक मात्र विकल्प है ।
चो य्वान तुंग के मातृत्व , संकल्प और निडरता की भावना से अस्पताल के डाक्टर बेहद प्रभावित हो गए । उन्हों ने उस के बेटे का आपरेशन करने के लिए अस्पताल के सब से अनुभवी और श्रेष्ठतम डाक्टरों का एक कार्य दल गठित किया । आपरेशन से पहले चो य्वान तुंग ने बेटे को तसलील देते हुए कहा कि तुम्हें बचाने के लिए मां किसी प्रकार की घटना से नहीं डरती हूं । उन्हों ने मुस्कराते हुए बेटे को दृढ़ बनाने की भी कोशिश की । आपरेशन में चार घंटे लगे और पूरी तरह सफल हो गया । जब य्वान ताईची की आंखें खुलीं और उन्हें एक बार फिर सुर्य की किरण महसूस हुई। जागने के बाद उस का पहला वाक्य थाः मां जी , क्या तुम्हारी हालत ठीक है . जब पता चला कि उस की मां की हालत भी अच्छी है , और आपरेशन भी सफल हुआ है , तो उस की आंखों में से खुशी की आँसू बह निकली । इस की याद करते हुए उस ने कहाः
शरीर को सुन्न करने वाली दवा के प्रभाव में आने के अंतिम क्षण में मेरा दिल मां की मुस्कान से गर्मिला भरा हुआ है । महान मातृत्व ने मुझे बचाया है । उस ने मुझे दूसरा जीवन अर्पित किया है , मां के पालन भरण से मैं 24 साल का हो गया है , लेकिन मुझ से मांजी कुछ जवाबी दान नहीं चाहती हैं , जब बेटा सुखमय और कुशल रहता है , तो वह मुस्कराती रहती है । यदि बेटा मुसिबत में पड़ा , तो वो आंसू बहाती रहेगी । यह प्यार अमोल है , जो जमीन आसमान को भी पिघाल कर सकती है ।
आपरेशन के बाद डाक्टरों की देखरेख में य्वान ताई ची की हालत बहुत अच्छी बहाल हुई । किन्तु आपरेशन के बाद मां चो य्वान तुंग की हालत उतनी अच्छी नहीं है । पेट में आपरेशन के घाव में बराबर मंद मंद दर्द हो रहा है , बोलचाल की शक्ति भी पहले की जितनी पुरजोर नहीं है और देर तक बैठने में कमर और पीठ में हल्की पीड़ा महसूस होती है । लेकिन जब सेहतमंद और जीवन शक्ति से ओजस्वी पुत्र की याद आते ही उन्हें एकदम राहत आयी और बड़ी खुशी भी हुई । क्योंकि बेटे के लिए उन्हों ने जो कुछ किया था, वह करने के योग्य है ।
मां चो य्वानतुंग के मातृत्व और असीम स्नेह से प्रभावित हो कर य्वान ताई ची की सैन्य टुकड़ी के अफसरों और सैनिकों ने निस्वार्थ भाव से चंदा दिया , जिस से आपरेशन के बाद आवश्यक धन राशि की समस्या हल हो गयी । इस साल के मई माह की 13 तारीख को मातृ दिवस था , उसी दिन य्वान ताईची की सेना टुकड़ी ने गाना और हार्दिक आशीर्वाद दे कर चो य्वान तुंग के स्वास्थ्य और दीर्घआयु की कामना की । सैन्य टुकड़ी के नेता ने चंदा से मिला 60 हजार य्वान की राशि चो य्वान तुंग के हाथ में थाम दिया । य्वान ताईची की सह यौद्धा, पांचवीं कंपनी की महिला कैडेट सुश्री छाई वुन ने कहाः
मैं आप लोगों से चाहती हूं कि मेरे साथ मातृत्व गुणगान का गीत गायें , जो मां चो य्वान तुंग को अर्पित हो । विश्व में महज मां अच्छी है , मां का बच्चा रत्न तूल्य है , मां की गोद में बच्चा सुखचैन रहता है । इस गीत से मां से बच्चों का अथाह प्यार अभिव्यक्त होता है । मुझे य्वान ताईची की माता जी द्वारा गुर्दा अर्पित करने की घटना से गहरा मातृत्व महसूस हुआ है , उस की मां ने अपना सर्वस्व अर्पित कर बच्चे की सुख सेहत की गारंटी की है ।
चीनी सैनिक य्वान ताईची और उस की मां चो य्वान तुंग की हृद्यस्पर्शी कहानी मातृत्व की महानता साबित हुई है । अपनी मां से प्यार करने और उन को खुश बनाना सभी बटे बेटियों का जन्मजात कर्तव्य और अनिवार्यता है । हमें आशा है कि विश्व भर में सभी मां संतान हमेशा सुखमय रहेंगे और खुशहाल रहेंगे ।