कुछ पर्यटक जूते पहने बिना बाहर भाग गये, और कुछ लोग केवल नाइटवियर पहनते थे। चर्चा के बाद यह फैसला किया गया कि पहले होटल में वापस जाकर कुछ कपड़े व ज़रूरी चीज़ें लेंगे, फिर आश्रय ढूंढ़ेंगे। स्थानीय लोगों की मदद से च्यांग व उनके परिजन पहाड़ के नीचे स्थित एक विशाल व्यायामशाला में पहुचे। जहां उन्हें ज्यादा लोगों से सहायता मिली। सुश्री च्यांग के पिता जी ने हमें बताया कि,भूकंप के बाद होटल ने मुफ्त में रज़ाई व कंबल हमें दिये। क्योंकि हमारे परिवार में बूढ़े लोग व बच्चे ज्यादा हैं। रात को व्यायामशाला में ठंड थी। हवा भी तेज थी। तो स्थानीय लोगों ने हमें मदद देकर कुछ गत्ता व हीट शील्ड ढूंढ़कर हमें दिए। और उन पर कई कंबल भी रखे गये। फिर बुजुर्ग व बच्चों को इस पर लेटकर इतनी सर्दी नहीं लगी। हमने शांति से रात बितायी। और कुछ स्थानीय लोगों ने हमें बैठने के लिये कुर्सियां व पीने के लिये गर्म पानी भी दिया।
ध्यानाकर्षक बात यह है कि भूकंप आने से पहले सुश्री च्यांग ने अपने वीचेट पर जोचाएको की यात्रा के बारे में एक सूचना दी। फिर इस सूचना को देखकर उन के बहुत दोस्तों व रिश्तेदारों ने वीचेट पर उन्हें सूचनाएं देकर या फ़ोन करके उनका हालचाल जाना। ऐसी सूचनाएं भूकंप के बाद अगले दिन की सुबह तक चलती रही।