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    खोर्चाक मठ में नव्बे के दशक के भिक्षु सांगपो की कहानी
    2016-02-26 19:06:23 cri

    खोर्चाक मठ तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्चर की पुरांग काउंटी शहर से 18 किरोमीटर दूर स्थित है, जो चीन सरकार द्वारा स्थापित पहले बैच के राष्ट्रीय प्रमुख संरक्षित सांस्कृतिक अवशेष इकाइयों में से है। खोर्चाक मठ तिब्बती बौद्ध धर्म का सुप्रसिद्ध प्राचीन मठ है, हर साल करीब 40 हजार श्रद्धालु और पर्यटक आकर दर्शन करते हैं। विदेशी यात्रियों में अधिकांश लोग नेपाल और भारत के हैं।

    भिक्षु सांगपो ने कहा कि अगर एक भिक्षु लौकिक-जीवन में वापस नहीं आया, तो उसे जीन्दगी भर मठ में बौद्ध धार्मिक ज्ञान सीखते हुए तपस्या करना चाहिए। उसके निधन के बाद दाह-संस्कार या आकाशी अंत्यकर्म के लिए उसके पार्थिव शरीर को घर में भेजा जाएगा। भिक्षुओं के तपस्या की गारंटी के लिए मठ की प्रबंधन समिति उनके लिए सरकारी सामाजिक चिकित्सा बीमा खरीदती है, जिसके अनुसार भिक्षु को एक साल में सिर्फ 60 युआन देना होता है, और उसे 2 लाख युआन के चिकित्सा खर्च का प्रयोग कर सकता है।

    खोर्चाक मठ में आते-जाते गावं वासियों व पर्यटकों को देखते हुए, संवाददाता ने सांगपो से पूछा कि"क्या तुम उनसे ईर्ष्या करते हो?"सांगपो कहते हैं"नहीं। मेरे मन के सर्वोच्च स्थान में सिर्फ भगवान बुद्ध हैं।"


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