न्यिंग्छी टेक्सटाइल कारखाने के प्रधान छन चीह्वा
पिछली शताब्दी के 90 के दशक में बंद हुआ न्यिंग्छी टेक्सटाइल कारखाना भी इस अवसर से लाभ उठाकर फिर एक बारखुल गया है। पहले का कारखाना आधुनिक कला के माहौल में एक प्रदर्शनी भवन बन गया है। यहां कलाकारों द्वारा बनायी गयी वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाता है। स्थानीय सरकार ने टेक्सटाइल कारखाने की फिर से शुरूआत के लिये पूंजी-निवेश भी किया है। छन चीह्वा न्यिंग्छी टेक्सटाइल कारखाने के प्रधान हैं। जब उन्होंने पहली बार काए होंगरेई को देखा, तो उन्होंने सोचा था कि वे केवल एक पर्यटक हैं। पर बाद में आदान-प्रदान के दौरान वे काए होंग रेई की व्यावसायिक भावना, गंभीरता और ज़िद पर प्रभावित हुए। छन ने कहा:"सुश्री काए के आग्रह बहुत सख्त है। उन्होंने कहा कि अगर आप यह करना चाहते, तो प्रथम स्तर पर करना पड़ेगा, दूसरे स्थान को भी छोड़ें। ऐसे करके आप की वस्तुएं मूल्यवान होगी। उनका विचार यह है कि लगातार सृजन करें, ताकि अन्य लोग आपसे आगे नहीं बढ़ सकें।"
न्यिंग्छी शहर में संस्कृति संरक्षण कार्य संभालने वाली तिब्बती अधिकारी युड्रोन ने हमें बताया कि काए होंग रेई ने न्यिंग्छी के लिये बहुत नये विचार और अच्छी परियोजना शुरु की है। उन्होंने कहा:"उनके न्यिंग्छी में आने के बाद उनकी परियोजना ने न्यिंग्छी की सांस्कृतिक व्यवसाय के प्रति बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई है। संस्कृति व्यवसाय बहुत देर से न्यिंग्छी में शुरू हुआ, और इसका आधार भी बहुत कमजोर है। सुश्री काए ने हमारे सांस्कृतिक संसाधन का सुव्यवस्थित संग्रहण किया, और हमारी विशेषता की खोज की। खास तौर पर सांस्कृतिक व्यवसाय के विकास की दिशा के बारे में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है।"
काए होंग रेई ने हमें बताया कि योजना से निर्माण की समाप्ति तक चिनबा गांव के इस प्रदर्शन केंद्र की स्थापना के लिये कुल साढ़े सात साल लगे। इसे समाप्त करके नकल भी की जा सकती है। हालांकि इसका संचालन अब तक केवल तीन साल ही चला, लेकिन उन्हें इसका बड़ा विश्वास है। इस वर्ष के उतरार्द्धमें वे न सिर्फ़ ई-कॉमर्स मंच की स्थापना करेंगे, बल्कि यूरोप में प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। जर्मनी उनकी यात्रा का पहला पड़ाव है। क्यों जर्मनी को चुना गया?इसपर काए होंग रेई ने कहा:"मेरी डिज़ाइन जर्मन लोगों को बहुत पसंद हैं। इसलिये कला व्यवसाय के विकास तर्क के अनुसार मैंने जर्मनी को चुना। साथ ही उनके काम करने का रुख भी मुझे अच्छा लगा। सौभाग्य है कि संस्कृति मंत्रालय के वैदेशिक संपर्क ब्यूरो के योजनानुसार मेरी यात्रा का पहला पड़ाव पश्चिम यूरोपीय क्षेत्र है। इस वर्ष तो जर्मनी, बेल्जियम और स्पेन हैं।"
चाहें काए होंगरेई, पालू हैं, या यूद्रोन व छेन चीह्वा हैं, उनकी कोशिश जारी रहेगी। क्योंकि वे इस रास्ते पर डटे रहेंगे कि गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण को इसके विकास और प्रयोग से जोड़ना चाहिये।