काए होंग रेई का जन्म पेइचिंग में हुआ था। सबसे पहले वे तेल चित्र बनाती थीं। वर्ष 2012 में एक स्वतंत्र डिजाइनर के रूप में वे न्यिंग्छी की स्थानीय सरकार के निमंत्रण पर तिब्बत के हस्तशिल्प व्यवसाय के विकास की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिये न्यिंग्छी गईं। शुरूआत में उन्होंने केवल चार महीने तक वहां रुककर वापस लौटने की योजना बनाई थी। लेकिन स्थानीय लोगों की ईमानदारी, अपनी जातीय परंपराओं के प्रति उनका प्रेम, और नयी चीज़ों को सीखने की तीव्र इच्छा से काए होंग रेई अब न्यिंग्छी को नहीं छोड़ना चाहतीं। और आज भी वे न्यिंग्छी में ही रहती हैं।
चिनबा गांव राज मार्ग 318 के किनारे पर स्थित है, जो न्यिंग्छी शहर के अधीन एक छोटा सा गांव है। काए होंग रेई ने वहां जाने के बाद एक चिनबा गांव कार्यशाला की स्थापना की, जो न्यिंग्छी में तिब्बती पोशाक कीटेक्सटाइल कला का प्रदर्शन केंद्र है। न्यिंग्छी के तिब्बती पोशाक चीन के राष्ट्रीय गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण कार्यक्रमों में से एक है। सारे गांव की 47 महिलाएं प्रशिक्षण लेने के बाद बेहतर सिलाई तकनीक में माहिर हैं। वे तिब्बती टेक्सटाइल कला के विकास के साथ साथ उच्च गुणवत्ता वाली आधुनिक वस्तुओं को भी बना सकती हैं। चिनबा गांव कार्यशाला की प्रधान, गांव में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की शाखा सचिव पालू ने काए होंग रेई द्वारा दी गयी मदद की खूब प्रशंसा की। काए होंग रेई की मदद से न सिर्फ़ स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को उन्नत किया गया है, बल्कि अपनी जातीय परंपरा के प्रति उनकी समझ भी बढ़ी है। पालू ने कहा:"सुश्री काए एक बहुत साहसी व्यक्ति है। वे गंभीरता से काम करती हैं। अब यहां काम करने वाली सभी गांववासी हर महीने में 2700 से 3000 युआन तक की आय प्राप्त करती हैं। लेकिन इससे पहले हमारे लिये पैसे कमाने के लिये बाहर जाना बहुत मुश्किल था। पर सुश्री काए की मदद से हम न सिर्फ़ पैसे कमा सकती हैं, बल्कि हमारी जाति की परंपरा का विकास भी हो रहा है।"