ट्रादूक मठ का दृश्य
तिब्बत स्वायत्त प्रवेश के लोका प्रिफेक्चर में स्थित ट्रादूक मठ तिब्बत के इतिहास में सबसे पहला स्थापित बुद्ध मठ है। कहा जाता है कि थांग राजवंश में राकुमारी वनछंग ने यहां तपस्या की थी। आज के समय में मठ में उनके द्वारा बनाया गया शाक्यमुनि थांगका चित्र सुरक्षित रखा हुआ है।यदि आप ऐसा सोचते हैं कि इस महत्वपूर्ण प्राचीन इमारत तक पहुंचने में आपको लम्बा सफर और अलग-अलग तरह के सँकरे रास्तें से होकर जाना होगा, तो आप गलत हैं। क्योंकि लोका प्रिफेक्चर के मध्य में त्सडांग कस्बे से ट्रादूक मठ पहुंचने में गाड़ी से मात्र 10 मिनट लगते हैं। मठ के सामने काफ़ी चौड़ी और समतल सड़कें, उसके आसपास साफ़-सुथरी प्राचीन इमारतें और कस्बे का नवीन चेहरा देखकर आप ज़रूर हैरान हो जाएंगे। पर ट्रादूक मठ के मठाधीश मिमा त्सरिंग का कहना है ये सब कुछ इतना आसान नहीं रहा। उन्होंने कहा:
वर्ष 1985 में मिमा त्सरिंग 13 वर्ष की आयु में ट्रादूक मठ आये थे। ट्रादूक कस्बे का निवासी के रूप में वे दृढ़ता से एक भिक्षु बनना और मठ एवं समाज की सेवा करना चाहते थे। पर उसी समय मठ की स्थिति उतनी आसान नहीं थी जितनी उन्होंने सोची थी। उन्होंने कहा: "पिछली शताब्दी में 80 के दशक में मठ की स्थिती अत्यंत कठिन थी। मुझे अपने घर से जौ के आटे से बने पकवान चानपा और घी जैसे खाने तथा पहनने की चीज़ें लानी पड़ी।"
आपके विचार (0 टिप्पणियां)
![]()
कोई टिप्पणी नहीं
powered by changyan
|