बोमे काउंटी का प्राकृतिक दृश्य
हिंद महासागर के दक्षिण पश्चिम मानसून के प्रभाव से तिब्बत के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में स्थित बोमे काउंटी में शीतोष्ण और नम जलवायु है, जो वृक्षों के उगने के लिए उपयुक्त है। वर्ष 2000 में चीनी राज्य परिषद ने यालुचांगबू नदी (भारत में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है) की बड़ी घाटी राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र की स्थापना की पुष्टि की। बोमे काउंटी में करीब सभी वनों को संरक्षण क्षेत्र के दायरे में बांटा गया है। यहां बड़ी संख्या में जानवर रहते हैं, साथ ही वनस्पति का भी भंडार है। यहां आदिम जंगल में 80 से अधिक किस्म के पेड़ उगते हैं जिनमें स्प्रूस चीड़, सरू, कपूर, एलांथूस अल्टिसिमा आदि मूल्यवान वृक्ष और 80 से अधिक तरह के राष्ट्रीय प्रमुख संरक्षित जानवर रहते हैं। जिनमें हिरण, कुरंग, तोता, स्वर्ण बंदर आदि शामिल हैं। परंतु पहले कारगर प्रबंधन और संरक्षण की कमी की वजह से यहां की वनस्पति को भारी नुकसान पहुंचा। गत शताब्दी में 80 के दशक से सरकार ने लोगों के हित में कई नीतियां और वानिकी संरक्षण योजना क्रमशः लागू की। बोमे काउंटी में वन कवरेज दर पहले के 27.78% से वर्ष 2012 में 43% पर पहुंच गयी है।
मगर भारी आर्थिक हित की वजह से कुछ लोग कानून का विरोध करते हैं। कभी-कभार अवैध रूप से लकड़ी काटने, जंगली जानवरों के शिकार की घटनाएं सामने आती हैं। बोमे काउंटी के वन सार्वजनिक सुरक्षा संस्था में कुल 8 पुलिसकर्मी हैं। उनके सामने 16700 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में वन संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन तथा कानून कार्यान्वयन की बड़ी जिम्मेदारी है। बोमे काउंटी के वन सार्वजनिक सुरक्षा संस्था के उप निदेशक दावा ताशी ने कहा कि स्थानीय लोगों के बीच से बने वन रक्षक उनके अहम साथी हैं। उन्होंने कहा: "हमारे और वन रक्षकों के बीच संबंध परिवार की तरह हैं। किसी भी स्थिति में वे शीघ्र ही फोन कर हमें बताते हैं। हमें मामलों को संभालने के लिए उनका सहयोग चाहिए। कभी-कभार हम उनके घर में रहते हैं। कुछ वन रक्षक गांव में प्रतिष्ठित हैं और वे बाद में गांव के प्रधान बने।"
20 से अधिक वर्षों तक वनों की रक्षा करने वाले दावा कभी भी गांव के प्रधान नहीं बने। हालांकि वन रक्षक के तौर पर उन्हें निश्चित राशि मिलती है, फिर भी उनके परिवार का आरामदेह जीवन यापन करने का सपना अभी दूर है। भले ही गांव में दूसरे गांववासी इन सालों में फार्म हाउस जैसे पारिवारिक होटल खोलने से काफी पैसे कमाते हैं और उन्होंने दो-मंजिले घर बनाया। इन परिवारों की तुलना में दावा का लकड़ी वाला घर अधिक सरल लगता है। फिर भी गांव में सबसे योग्य वन रक्षक को लेकर बाखा गांव में लोग दावा की प्रशंसा करते हैं। करीब 20 साल से वनों की रक्षा के काम में जुटे गांववासी कर्मा ने दावा की प्रशंसा करते हुए कहा: "लोग उनका बहुत अच्छा मूल्यांकन करते हैं। दावा ने 20 से अधिक वर्षों तक जंगलों की रक्षा की है तथा वे बहुत अनुभवी हैं। अपने क्षेत्र तथा वनों की रक्षा करने के बारे में हमने उनसे बहुत कुछ सीखा है।"