लालू आर्द्रभूमि की झील में पक्षियां
लालू आर्द्रभूमि हर साल ल्हासा के वायुमंडल में तैरने वाले 5400 टन धूल के कणों को सोखती ही नहीं, बल्कि एक करोड़ टन अपशिष्ट जल का निपटारा भी करती है। हूनान प्रांत के श्री छीन को ल्हासा में काम करते हुए एक साल हो चुका है। जब काम का दबाव ज्यादा होता है, तो वे लालू आर्द्रभूमि के नजदीक घूमने आते हैं। उन्होंने कहा:"लालू आर्द्रभूमि ल्हासा शहर के लिये बहुत अहम है और लोगों के जीवन के लिये लाभदायक भी है। यहां की हवा बहुत अच्छी लगती है।"
लालू आर्द्रभूमि के संरक्षण से न केवल स्थानीय लोगों को लाभ मिलता है, बल्कि अन्य क्षेत्रों की आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिये एक आदर्श भी बनता है। शिन्चांग से आये वन्यजीव विशेषज्ञ युन थ्यान ने लालूआर्द्रभूमि के दौरे के बाद कहा कि वे यहां के अनुभव अपनी जन्म भूमि लाएंगे। उन्होंने कहा:"शिन्चांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश का प्राकृतिक पर्यावरण तिब्बत के बराबार है, जो पशुओं के प्रजनन, प्रवास और रहने का स्थान है, लेकिन यहां पारिस्थितिकी पर्यावरण कमजोर है। संरक्षण और विकास के बीच सामंजस्य बिठाना सबसे बड़ी चुनौती है। लालू आर्द्रभूमि अन्य क्षेत्रों के वन्यजीवों के संरक्षण और दलदल के विकास के संरक्षण के लिये एक आदर्श बनकर सामने आयी है।"