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    आज भी लोकप्रिय है कोंग्पो में प्राचीन तीर-गीत
    2015-10-26 13:15:12 cri

     न्यिंग्ची शहर के नृत्य गान मंडली के नृतक और नृत्य-निर्देश कन्गावांग डोर्चे

    न्गावांग डोर्चे ने कई तरह के तिब्बती नृत्य का अभिनय किया, वे कुछ तिब्बती वाद्ययंत्र बजाने में भी निपुण हैं। न्यिंग्ची प्रिफेक्चर में वे सुप्रसिद्ध नृतक और कलाकार हैं। न्गावांग डोर्चे को तिब्बती जाति के पारंपरिक कला से प्यार है। कोंग्पो तीर-गीत के मंच पर रूपांतरण करने के क्षेत्र में वे प्रयासरत हैं। उन्हें आशा है कि तिब्बती जाति के इस प्राचीन इतिहास वाले सांस्कृतिक अवशेष को नयी जीवन-शक्ति मिलेगी। न्गावांग डोर्चे ने कहा:

    "तिब्बत में'त्सान्ये'नामक छह तार वाला पारंपरिक गिटार है। खांगपा तिब्बती बहुल क्षेत्र के अलावा दूसरे तिब्बती बहुल क्षेत्रों में इस वाद्ययंत्र का प्रयोग किया जाता है। मैं इस'त्सान्ये'वाद्ययंत्र को कोंग्पो तीर-नृत्य के साथ जोड़कर मंच पर पहुंचाना चाहता हूँ। जो गिटार बजाते हुए गीत गाने की प्राथमिकता वाला नृत्य बन जाएगा। मैं छह तार वाले गिटार के माध्यम से कोंग्पो तीर-गीत की अभिव्यक्ति करना चाहता हूँ।"

    तिब्बत के न्यिंग्ची प्रिफेक्चर के ग्रामीण क्षेत्रों में कभी कभार तीर चलाने की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे युवा एक-दूसरे से मिलते हैं। प्रतियोगिता में भाग लेना उनके लिए आराम और मज़ा लेने का तरीका बन गया है। तीरंदाज लोग जौ की शराब पीते हुए गपशप करते हुए आराम से समय बिताते हैं। अंत में वे प्रतियोगिता समाप्त कर तीर-गीत गाते हुए घर वापस लौटते हैं। चाहे देहाती खाली मैदान हो, या शहरी अभिनय मंच क्यों न हो, कोंग्पो तीर-गीत की जीवन शक्ति दिखाई दे रही है। वह पहले की ही तरह हमेशा लोगों को आकर्षित करती है।


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