दादी मां सांग्ये खांग्सो
परम्परागत कोंग्पो तीर-गीत मुख्यतः सरल नृत्य के साथ गाया जाता था। मंच पर इसके औपचारिक अभिनय के लिए गीत की धुन और बोल में सुधार किए जाने के साथ ही मज़ा लेने योग्य नृत्य भी शामिल करना जरूरी है। इस वर्ष 61 वर्षीय न्गावांग डोर्चे न्यिंग्ची शहर के नृत्य गान मंडली के नृतक और नृत्य-निर्देशक थे। रिटायर होने के बाद वे न्यिंग्ची शहर में छोटे-बड़े पैमाने वाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में भाग लेते हैं। वर्ष 1986 में न्गावांग डोर्चे नृत्य-गान मंडली के दूसरे कई साथियों के साथ मिलकर कोंग्पो तीर-गीत का रूपांतरण करने लगे। इसी साल उन्होंने रूपांतरित नृत्य-गान प्रस्तुति"कोंग्पो तीर-नृत्य"को पहली बार अभिनय के मंच पर पहुंचाया। इसे याद करते हुए न्गावांग डोर्चे ने कहा:
"उस समय हमने परम्परागत कोंग्पो नृत्य का तत्व कोंग्पो तीर-नृत्य में शामिल किया। हमने कई बार प्रयास किए। परिणामस्वरूप अभिनय मंच पर इसकी प्रस्तुति बहुत लोकप्रिय रही। वर्ष 1997 के बाद हमने यूरोप के 4 या 5 देशों का दौरा किया। यूरोपीय दर्शकों को कोंग्पो तीर-नृत्य के प्रति बहुत रुचि ।"