कोंग्पो युवा तीर चलाते हुए
कोंग्पो तीर गीत तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के न्यिंग्ची प्रिफेक्चर में लोकप्रिय है। जिसका जन्म स्थानीय पारंपरिक लोक कलात्मक गतिविधि तीर-कमान प्रतियोगिता के साथ हुआ। कोंग्पो तीर गीत का इतिहास बहुत पुराना है। आज इस प्रकार की प्राचीन कला खत्म होने के बजाए लोकप्रिय हो रही है। स्थानीय तिब्बती लोगों और यहां आने वाले पर्यटकों को कोंग्पो तीर-गीत और तीर चलाने की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना बहुत पसंद है।
हर साल वसंत के अंत और गर्मियों का मौसम शुरू होते ही न्यिंग्ची प्रिफेक्चर के मैंरी ज़िले के वन और खाली मैदान में तीर चलाने की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। मैंरी जिला कोंग्पो तीर गीत का जन्मस्थान माना जाता है। गोंगपो लोग तिब्बती जाति का एक हिस्सा हैं, जो लम्बे समय में कोंग्पो क्षेत्र में रहते हैं। तीर चलाने की प्रतियोगिता के दौरान कोंग्पो तिब्बती पुरुष पारंपरिक कोंग्पो वस्त्र पहनकर धनुष चढ़ाकर तीर चलाते हैं। तेज़ आवाज़ में तीर 40 मीटर की दूरी पर लगे निशाने की जा रहा है। अगर तीर-लक्ष्य के केंद्र पर लग गया, तो खिलाड़ी एक-दूसरे को बधाई देते हैं। इसके साथ ही गांववासी बधाई के रूप में खिलाड़ियों के सम्मान में जौ से बनी हुई शराब पिलाते हैं। तिब्बत पठार के दूसरे क्षेत्रों की तुलना में न्यिंग्ची प्रिफेक्चर की ऊंचाई समुद्र तल से बहुत अधिक नहीं है। यहां का मौसम सुहावना होता है। न्यिंग्ची क्षेत्र में वनों का क्षेत्रफल विशाल है। इतिहास में तीर-कमान से पशुओं का शिकार करना कोंग्पो तिब्बती जाति के लिए उत्पादन का सबसे प्रमुख तरीका था। लेकिन समय में हुए बदलाव के साथ प्राचीन रीति रिवाज़ में भारी बदलाव आया है। अब तीर चलाने की प्रतियोगिता स्थानीय कोंग्पो तिब्बती जाति का मंनोरंजन कार्यक्रम बन चुका है। प्रतियोगिता के एक अहम अंक के रूप में कोंग्पो तीर-गीत भी स्थानीय तिब्बती लोगों की जुबान रहते हैं।