तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्चर की पुरांग कांउटी में कैलाश पर्वत है, जो कुछ धर्मों में पवित्र पर्वत के रूप में विश्वविख्यात है। तिब्बती बौद्ध धर्म में कैलाश पर्वत विश्व का केंद्र रहा है। हिन्दू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का पवित्र स्थल माना जाता है। कैलाश पर्वत के पास पवित्र झील मानसरोवर बसी हुई है। दोनों पवित्र स्थल पर्वत और झील हर साल देसी-विदेशी धार्मिक श्रद्धालुओं को पूजा के लिए आकृष्ट करते हैं।
हाल ही में पुरांग कांउटी की यात्रा के दौरान हमारे संवाददाता की मुलाकात भारत से तीर्थयात्रा के लिए वर्ष 2015 में नौवें बैच के श्रद्धालुओं की टीम से हुई। इस टीम के प्रमुख स्वामी नाथन के मुताबिक दल में कुल 41 श्रद्धालु शामिल हैं। जो अधिकांश पहली बार तिब्बत आए हैं। लेकिन उनमें से दो लोग कई बार यहां आ चुके हैं। वे हैं गुजरात से आए भावसर के परेश कुमार जयंतिलाल और भूपेंद्र जे. प्रजापति।
वर्ष 2004 से इस वर्ष तक जयंतिलाल 14 बार तीर्थयात्रा के लिए आली प्रिफेक्चर स्थित कैलाश पर्वत आ चुके हैं। वहीं भूपेंद्र ने 12 बार तीर्थयात्रा की है। अपनी तीर्थयात्राओं की चर्चा करते हुए जयंतिलाल ने कहा:
"पवित्र पर्वत और झील हमें आकृष्ट करते हैं। हर बार तीर्थयात्रा करने के बाद स्वदेश लौटकर मैं कभी कभार सोचता हूँ कि अगली बार कब वहां जाऊंगा। घर में परिजनों के साथ बातचीत करते समय यह मेरा स्थाई विषय रहा है।"
पहले जयंतिलाल और भूपेंद्र एक दूसरे से परिचित नहीं थे। वर्ष 2006 में तीर्थयात्रा के दौरान दोनों की पहली मुलाकात हुई। समान रूचि होने की वजह से दोनों साथ-साथ बातचीत करते थे और बाद में अच्छे मित्र बन गए। इस वर्ष दोनों मित्र 10वीं बार साथ-साथ तीर्थयात्रा करने तिब्बत आए हैं। भूपेंद्र ने कहा:
"हमारी आदतें एक जैसी हैं और हमारी समान रूचि और समान विश्वास हैं। यहां तक कि हमारे बीच समय बंटवारे का तरीका भी मिलता जुलता है। हर साल भारत सरकार श्रद्धालुओं के लिए तीर्थयात्रा का दल गठित करती है। वह इसमें भाग लेना चाहते हैं और मैं भी चाहता हूँ। बाद में हम एक साथ एक ही दल में भाग लेने लगे।"