भावसर के परेश कुमार जयंतिलाल और भूपेंद्र जे. प्रजापति
भूपेद्र प्रजापति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में वह हर साल तीर्थयात्रा के लिए तिब्बत आते हैं। उन्हें रास्ते में यातायात और रहने की स्थिति में लगातार हो रहे सुधार, और श्रद्धालुओं की सेवा में स्तर की निरंतर उन्नति का गहरा अनुभव हुआ है। यात्रा साल-दर-साल सुविधापूर्ण होने लगा है। यह उनके बार-बार तीर्थयात्रा के लिए तिब्बत आने का कारण ही है। भूपेंद्र ने कहा:
"यहां आने के बाद मैंने देखा कि भारतीय श्रद्धालुओं की सेवा केंद्र में सुधार किया जा रहा है। पहले कमरे में टॉयलेट नहीं था। इस बार कमरे में टॉयलेट उपलब्ध कराया गया है। सुना है कि अगले वर्ष शॉवर भी लगाया जाएगा। वर्तमान में हम डबल रूम में रहते हैं। पहले एक ही कमरे में 5 या 6 लोग साथ-साथ रहते थे। अब सेवा केंद्र में रसोईं घर भी उपलब्ध है। पहले रसोई घर के रूप में बाहर तंबू लगा हुआ था। अब हमें खाना पकाने में सुविधा होती है। इसके साथ ही सेवा केंद्र में कैंटीन भी स्थापित हुई, हम आराम से बैठकर खाना खा सकते हैं। मुझे लगता है कि पहले से यहां की स्थिति में बहुत हद तक सुधार हुआ है। बुनियादी संस्थापन ज्यादा संपूर्ण हो गया है। हमें बहुत आरामदेह लगता है।"
भारतीय श्रद्धालु भूपेंद्र प्रजापति की याद में वर्ष 2006 में अपनी पहली तीर्थयात्रा के दौरान यातायात की स्थिति खराब थी। रहने का वातावरण भी असुविधापूर्ण था। रास्ते में बुनियादी संस्थापन पिछड़ा था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हर वर्ष वह तीर्थयात्रा करने तिब्बत आते हैं। वह खुद हाल के वर्षों में तिब्बत में इस तीर्थयात्रा रास्ते में हो रहे परिवर्तन और विकास के साक्षी बने हैं। भूपेंद्र का कहना है:
"वर्ष 2006 से आज तक मैं हर साल तीर्थयात्रा करने यहां आता हूँ। मैंने खुद यहां हुए परिवर्तन और सुधार को देखा। चाहे सेवा की गुणवत्ता हो, या यातायात और रहने की स्थिति क्यों न हो, पूर्ण बुनियादी संस्थापनों में सुधार हुआ है। अब हमें तीर्थयात्रा के दौरान सुविधा महसूस होती है।"
भुपेंद्र ने कहा कि इन सालों में तीर्थयात्रा के लिए रास्ते में बड़ी सुविधा उपलब्ध होने की वजह से वर्ष 2010 में उन्होंने अपने मित्र जयंतिलाल के साथ अपने परिवार के दूसरे सदस्यों को लेकर यात्रा की थी।