दूध पाउडर और चीनी खरीदते हुए सोनम डुंड्रूप
खसोंग गांव में हमें परचून की दुकान से दूध पाउडर और चीनी खरीदते हुए सोनम डुंड्रूप नाम के बुजुर्ग से मिले। 66 वर्षीय सोनम डुंड्रूप के घर में 5 सदस्य रहते हैं। बड़ा बेटा शहर में एक गेम हॉल चलाता है और छोटा बेटा गांव से बाहर निकल कर दूसरे स्थल पर सजावट का काम करता है। वर्तमान में परिवार में प्रति व्यक्ति की औसत आय करीब 10 हजार युआन है। सोनम डुंड्रूप ने हमें बताया कि पहले बच्चे छोटे थे और पारिवारिक जीवन स्थिति अच्छी नहीं रही। वर्ष 2000 में सरकार ने उनके लिए एक नया घर बनवाया। अब बच्चे बड़े हो गए हैं और जीवन आरामदेह हो गया है। सोनम डुंड्रूप के लिए खुशी की बात है कि गांव में क्लिनिक खुल चुका है, इस वजह से बीमारी के वक्त शहर के अस्पताल में जाने की जरूरत नहीं होती। सोनम डुंड्रूप का कहना है:
"हमने ग्रामीण सहकारी अस्पताल व्यवस्था में भाग लिया। अब स्थिति काफी सुविधापूर्ण हो गई है। बीमार होने पर शहर के अस्पताल में नहीं जाना पड़ता है, क्योंकि गांव के क्लिनिक में डॉक्टर को दिखा सकते हैं।"
सोनम डुंड्रूप के अनुसार इन सालों में खसोंग गांव में आर्थिक आय, चिकित्सा व स्वास्थ्य स्थिति और शिक्षा जैसे पहलुओं में पर्याप्त प्रगति हासिल हुई है। पर्यावरण स्वच्छता को लेकर खसोंग गांव में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की शाखा समिति के सचिव पेंपा त्सरिंग ने हमें बताया कि पुराने समय में गांववासियों की आदत अच्छी नहीं थी। वे इधर-उधर कचरा फेंक देते थे। बाद में प्रचार, शिक्षा और दंड जैसे तरीके से गांव में पर्यावरण और स्वच्छता की स्थिति बदल गई। अब गांव में हर शनिवार और मंगलवार को कचरे इकट्ठे करने के लिए निश्चित व्यक्ति भेजा जाता है। हर सप्ताह में निश्चित समय पर गांव की सड़क की सफाई भी गांव वासियों द्वारा की जाती है। इन सारे कदमों से खसोंग गांव की स्वच्छता बरकरार रहती है। खसोंग गांव के भविष्य के प्रति पेंपा त्सरिंग ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा:
"अब हम पर्यटन उद्योग के जरिए खसोंग गांव का विकास करने पर सोच रहे हैं। मसलन् जातीय परंपरागत हस्तकला उद्योग और तिब्बती विशेषता वाले खानपान का विकास किया जाएगा। मुझे विश्वास है कि हमारा खसोंग गांव का भविष्य जरूर बेहतर होगा।"
(शांति)