खसोंग गांव वासी दावा बेटी को अतीत कहानी सुनाते हुए
पहले हम खसोंग गांव वासी दावा का घर पहुंचे। उसने जोशीले अंदाज में हमारा स्वागत किया। 54 वर्षीय तिब्बती बंधु दावा के परिवार में कुल 7 सदस्य हैं। सबसे बड़ा बेटा शिकाज़े में नौकरी कर रहा है। दूसरा बेटा कस्बे में टैक्सी चलाता है। इसके अलावा उनकी सबसे छोटी बेटी हाल ही में शांगहाई च्याओ थोंग विश्वविद्यालय के मेडिकल कॉलेज से स्नातक हुई है। तिब्बती बंधु दावा ने वर्ष 1989 में संयुक्त फसल-कटाई-मशीन चलानी शुरू की। इसके बाद उन्होंने टी-हाउस चलाया,पर्यटन माध्यमिक बस तथा ट्रक चलाया। वर्ष 2014 में उनके परिवार में प्रति व्यक्ति की औसत आय 30 हजार युआन थी। दावा ने गर्व से हमें बताया कि उन्होंने अपना दो मंजिले मकान को खुद डिजाइन कर उसका निर्माण किया। दावा ने कहा:
"मैंने सबसे पहले परिवहन का काम करने के लिए ट्रक चलाया। उस समय मैंने दो ट्रक खरीदे। इसके बाद स्थानीय संचालन-प्रमाणपत्र की वजह से मैंने ट्रक बेच दिए। परिवार चलाने के लिए मैंने बहुत काम किए। आखिर मैंने टैक्सी चलायी। अब वो टैक्सी मेरा दूसरा बेटा चला रहा है और काम अच्छी तरह से चल रहा है।"
खसोंग गांव में कुल-मिलाकर 240 परिवारों के 880 लोग रहते हैं। जिसमें 43 परिवार के लोग परिवहन का काम करते हैं। गांव में विभिन्न प्रकार वाले 38 परिवहन वाहन उपलब्ध हैं, परिवहन उद्योग से प्राप्त सालाना आय 60.8 लाख युआन है। कृषि, परिवहन तथा दूसरे स्थलों पर प्रवासी काम अब खसोंग गांववासियों केलिए तीन प्रमुख उद्योग बन गए। साथ ही सेवा उद्योग व प्रोसेसिंग उद्योग का कुछ हद तक विकास हुआ है। वर्ष 2014 में खसोंग गांव में प्रति गांववासी की औसत आय 12 हजार युआन तक पहुंच गई। जिसमें कृषि से 15.8 फीसदी ,परिवहन से 22.2 फीसदी तथा प्रवासी काम से 62 फीसदी आय होती है।
खसोंग गांव में कम्युनिस्ट पार्टी की छठी ग्रामीण समिति के सचिव पेंपा त्सेरिंग ने हमें बताया कि खसोंग गांव में जीवन पूरी तरह बदल गया है। अब प्रत्येक घर में एलपीजी गैस का प्रयोग किया जाता है। घर पर नल के पानी का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं बिजली का बिल भी कम आता है। नागरिकों की आमदनी को बढ़ाने के लिए वर्ष 2013 से गांव में 50.6 हेकटेयर के क्षेत्र में मक्के का रोपण शुरु किया गया। अनुमान के मुताबिक प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि में उत्पादित मकई से 45 हज़ार युआन की आय पहुंच सकती है। पेंपा त्सरिंग ने कहा:
" इधर के सालों में खसोंग गांव में बड़ा परिवर्तन आया है। उदाहरण के लिए, कृशि के क्षेत्र में कहा जाए, पहले हमने घोड़ा, गाय और गधे जैसे पशुओं प्रयोग करते हुए खेती का काम करते थे। लेकिन आज ज्यादा तौर पर मशीन के माध्यम से। गांववासियों जीवन के क्षेत्र में कहा जाए, तो पहले हम मिट्टी-लकड़ी से बने हुए मकान में रहते थे। लेकिन आज गांववासियों के रहने का मकान आम तौर पर पत्थर-लकड़ी या इस्पात-कंकरीट से बने हुए हैं। वहीं गांव में पानी, बिजली और सड़कों में महत्वपूर्ण सुधार हो चुका है।"