लिली- अखिल जी, यह तो वाकई में कमाल की मुहिम है। इससे जरुरतमंद लोगों का पेट भरता है। सच्ची में, इस मुहिम को चलाने वालों को हमारा सलाम।
दोस्तों, अक्सर लोग अपनी फिटनेस और बेहतर स्वास्थ्य के लिए ही जल्दी उठते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि कोई सड़क के आवारा कुत्तों के लिए भी जल्दी उठ सकता है।
मैं आपको बता रही हूं चीन में रहने वाली 5 वृद्ध औरतों के बारे में, जो आवारा कुत्तों के लिए रोज सुबह 4 बजे उठती हैं। इन महिलाओं की उम्र 60 साल से भी ज्यादा है। यह औरतें सुबह उठकर 1300 आवारा कुत्तों को 400 किलो खाना खिलाती हैं।
दरअसल यह डॉग शेल्टर 2009 में वांग यनफंग नाम की एक वृद्धा ने शुरू किया था। इन्हें जानवरों से बेहद लगाव है और इनकी भावनाओं की कदर करते हुए उनके शुभचिंतक इस नेक काम के लिए दान देते रहते हैं। वांग को इन स्ट्रीट डाग्स से इतना लगाव है कि वांग और इनके साथियों ने नया साल भी इनके साथ मनाया। वांग की ही एक पार्टनर का कहना है कि यह कुत्ते हमेशा फ्रेंडली नहीं रहते हैं, कभी-कभी काट भी लेते है। पर इस बात का इन सब पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वांग का कहना है कि इन सभी कुत्तों को वह अपने बच्चों की तरह मानती हैं। वांग और उनके पार्टनर मिलकर हर रोज 400 किलो खाना बनाते है। खाना खिलाने के साथ ही इन स्ट्रीट डॉग्स का और भी कई तरह से ध्यान रखा जाता है।
लिली- चलिए दोस्तों, अभी हम सुनते हैं यह हिन्दी गाना... उसके बाद आपके ले चलेंगे हमारे मनोरंजन के दूसरे सेगमेंट की तरफ...
अखिल- दोस्तों, आपका एक बार फिर स्वागत है हमारे इस मजेदार कार्यक्रम संडे की मस्ती में... मैं हूं आपका दोस्त एन होस्ट अखिल।
अखिल- दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि दूल्हे को घोड़े की बजाय घोड़ी पर ही क्यों बैठाते हैं?
हिंदू धर्म में जब भी कोई बारात जाती है तो दुल्हा घोड़ी पर बैठ कर अपनी जीवन संगिनी को लेने जाता है। बहनों और भाभीयों के बहुत से शगुन करने के उपरांत ही घोड़ी दुल्हे को लेकर आगे बढ़ती है। क्या आपके मन में कभी विचार आया है की दुल्हा घोड़ी पर ही क्यों बैठता है? घोड़े या अन्य किसी सवारी पर क्यों नहीं?
प्राचीनकाल में जब शादियां होती थी तो उस समय दुल्हन के लिए अथवा अपनी वीरता का प्रदर्शन करने के लिए लड़ाईयां लड़ी जाती थी। शास्त्रों में ऐसे बहुत से प्रसंग विद्यमान हैं। जब दुल्हे को दुल्हन के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी।
रामायण के अनुसार जब सीता माता का स्वयंवर हो रहा था तो वहां उपस्थित सभी राजाओं ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा लिया लेकिन धनुष को उठाना तो दूर कोई उसे हिला भी नहीं पाया। जब श्रीराम ने धुनष को तोड़ा और सीता माता वरमाला डालने के लिए उनकी ओर बढ़ी तभी राजाओं ने अपनी-अपनी तलवारें निकाल ली श्रीराम भी उनसे युद्ध करने को तत्पर हुए तभी परशुराम जी के आगमन से सभी को ज्ञात हुआ की श्रीराम से युद्ध करना मृत्यु को बुलाना है।