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संडे की मस्ती 2015-07-26
2015-08-03 16:34:38 cri

अखिल- दोस्तों, ओडिशा में पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर अपने आश्चर्यों के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है। ऐसे ही इस मंदिर का सबसे आकर्षक आश्चर्य है 56 भोग (पकवान)। जिसके बारे में कहा जाता है कि 56 अलग अलग तरह के भोग एक दुसरे के ऊपर रखके, जहां देवी सुभद्रा निवास करती हैं उस कमरे मे बंद कर दिया जाता है, तो खाना अपने आप पाक जाता है। इसमें सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि सबसे ऊपर का खाना सबसे पहले पकता है। कहा जाता है कि देवी सुभद्रा इसे पका देती हैं, जिसे प्रसाद के रूप में लोगों में बांटा जाता है। पुरी का जगन्नाथ मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रसिध्द है, जहां भगवान के दर्शन के लिए दूर दूर से लोग आते हैं, और अपनी आस्था की भक्ति में डूब के सराबोर हो जाते हैं। तो दोस्तों इस बार की रथ यात्रा में आप भी पुरी की सैर कर सकते हैं।

जगन्नाथ जी का यह रथ 45 फुट ऊंचा भगवान श्री जगन्नाथ जी का रथ होता है। भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे अंत में होता है, और भगवान जगन्नाथ क्योकि भगवान श्री कृ्ष्ण के अवतार है, अतं: उन्हें पीतांबर अर्थात पीले रंगों से सजाया जाता है. पुरी यात्रा की ये मूर्तियां भारत के अन्य देवी-देवताओं कि तरह नहीं होती है। रथ यात्रा में सबसे आगे भाई बलराम का रथ होता है, जिसकी उंचाई 44 फुट उंची रखी जाती है. यह रथ नीले रंग का प्रमुखता के साथ प्रयोग करते हुए सजाया जाता है. इसके बाद बहन सुभद्रा का रथ 43 फुट उंचा होता है। इस रथ को काले रंग का प्रयोग करते हुए सजाया जाता है। इस रथ को सुबह से ही सारे नगर के मुख्य मार्गों पर घुमा जाता है। और रथ मंद गति से आगे बढता है। सायंकाल में यह रथ मंदिर में पहुंचता है। और मूर्तियों को मंदिर में ले जाया जाता है। यात्रा के दूसरे दिन तीनों मूर्तियों को सात दिन तक यही मंदिर में रखा जाता है, और सातों दिन इन मूर्तियों का दर्शन करने वाले श्रद्वालुओं का जमावडा इस मंदिर में लगा रहता है. कडी धूप में भी लाखों की संख्या में भक्त मंदिर में दर्शन के लिये आते रहते है. प्रतिदिन भगवान को भोग लगने के बाद प्रसाद के रुप में गोपाल भोग सभी भक्तों में वितरीत किया जाता है. सात दिनों के बाद यात्रा की वापसी होती है। इस रथ यात्रा को बडी बडी रस्सियों से खींचते हुए ले जाया जाता है। यात्रा की वापसी भगवान जगन्नाथ की अपनी जन्म भूमि से वापसी कहलाती है।

यांग- चलिए दोस्तों, अब हम अखिल जी से सुनते हैं एक प्रेरक कहानी।

अखिल- दोस्तों, शेरा नाम का शेर जंगल के सबसे कुशल और क्रूर शिकारियों में गिना जाता था . अपने दल के साथ उसने न जाने कितने भैंसों , हिरणो और अन्य जानवरों का शिकार किया था .

धीरे -धीरे उसे अपनी काबिलियत का घमंड होने लगा . एक दिन उसने अपने साथियों से कहा …" आज से जो भी शिकार होगा , उसे सबसे पहले मैं खाऊंगा उसके बाद ही तुममे से कोई उसे हाथ लगाएगा ."

शेरा के मुंह से ऐसी बातें सुन सभी अचंभित थे तभी एक बुजुर्ग शेर ने पुछा ," अरे तुम्हें आज अचानक क्या हो गया तुम ऐसी बात क्यों कर रहे हो ..?",

शेरा बोला ," मैं ऐसी -वैसी कोई बात नहीं कर रहा जितने भी शिकार होते हैं उसमे मेरा सबसे बड़ा योगदान होता है मेरी ताकत के दम पर ही हम इतने शिकार कर पाते हैं ; इसलिए शिकार पर सबसे पहला हक़ मेरा ही है …'

अगले दिन , एक सभा बुलाई गयी .

अनुभवी शेरों ने शेरा को समझाया , " देखो शेरा , हम मानते हैं कि तुम एक कुशल शिकारी हो , पर ये भी सच है कि बाकी लोग भी अपनी क्षमतानुसार शिकार में पूरा योगदान देते हैं इसलिए हम इस बात के लिए राजी नहीं हो सकते कि शिकार पर पहला हक़ तुम्हारा हो हम सब मिलकर शिकार करते हैं और हमें मिलकर ही उसे खाना होगा …"

शेरा को ये बात पसंद नहीं आई , अपने ही घमंड में चूर वह बोला , " कोई बात नहीं , आज से मैं अकेले ही शिकार करूँगा और तुम सब मिलकर अपना शिकार करना .."

और ऐसा कहते हुए शेरा सभा से उठ कर चला गया।

कुछ समय बाद जब शेरा को भूख लगी तो उसने शिकार करने का सोचा , वह भैंसों के एक झुण्ड की तरफ दहाड़ते हुए बढ़ा , पर ये क्या जो भैंसे उसे देखकर काँप उठते थे आज उसके आने पर जरा भी नहीं घबराये , उलटे एक -जुट हो कर उसे दूर खदेड़ दिया .

शेरा ने सोचा चलो कोई बात नहीं मैं हिरणो का शिकार कर लेता हूँ , और वह हिरणो की तरफ बढ़ा , पर अकेले वो कहाँ तक इन फुर्तीले हिरणो को घेर पाता , हिरन भी उसके हाथ नहीं आये .

अब शेरा को एहसास हुआ कि इतनी ताकत होते हुए भी बिना दल का सहयोग पाये वो एक भी शिकार नहीं कर सकता . उसे पछतावा होने लगा , अब वह टीम-वर्क की इम्पोर्टेंस समझ चुका था , वह निराश बाकी शेरों के पास पहुंचा और अपने इस व्यवहार के लिए क्षमा मांग ली और एक बार फिर जंगल उसकी दहाड़ से कांपने लगा .

Friends, चाहे आप sports में हों , corporate world में काम करते हों , या कोई बिज़नेस करते हों ; team work की importance को समझना बहुत ज़रूरी है . Team का हर एक member important होता है और किसी भी goal को achieve करने में छोटा -बड़ा रोल play करता है . Naturally, सभी उँगलियाँ बराबर नहीं होती इसलिए team में भी किसी member का अधिक तो किसी का कम role होता है . पर यदि बड़ा योगदान देने वाले ये सोचें कि जो कुछ भी है उन्ही की वजह से है तो ये गलत होगा . इसलिए किसी तरह का घमंड करने की बजाये हमें सभी को importance देते हुए as a team player काम करना चाहिए .

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