चित्राशिवकुमार हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र के सिटी विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञानकी अध्यापिका है। उन्हें हांगकांग में थाई छी सीखते हुए छह महीने हो गए हैं। उन्होंने बताया कि थाई छी का अभ्यास करते समय इसके श्रृंखला मूवमेंटपर आपका फोकस होना चाहिए, क्योंकि थाई छी मूवमेंट आपके विचार के साथ बदलता है। इसलिए थाई छी न केवल स्वस्थ के लिए लाभदायक है, बल्कि मस्तिष्क के लिए भी।
"मैं हांगकांग में रहती हूँ, और अपने घर के पास एक फिटनेससेंटर में थाई छी सीखती हूँ। कई महीनों के अभ्यास के बाद, मेरी सर्वाइकलहड्डी की समस्या ठीक हो गई है। थाई छी का मूवमेंट बहुत धीमा होता है, आपको अच्छी तरह से अपने शरीर और विचारों पर काबू पाना चाहिए। थाई छी का अभ्यास एक विशेष अनुभव है।"
चित्राशिवकुमार योग केप्रति उत्साहित भी है। उनके विचार में, थाई छी और योग के बीच बहुत ज़्यादा समानताएँ हैं। उदाहरण के लिए थाई छी और योग अभ्यास के दौरान आपको साँस लेने के महत्व पर ध्यान देना चाहिए। दोनों काअभ्यास के दौरान, आपको अपने शरीर को आराम देते हुए शांत चित के साथ गहरी साँस लेनी चाहिए, और सांस के जरिए छाती और पेट के मूवमेंट को बढ़ाएगा, ताकि आंतरिक अंगों की मालिश किए जा सकेंगे। इसके अलावा, शारीरिक फिटनेस के लिए थाई छी और योग दोनों के निरंतर अभ्यास की जरूरत है।
"योग भारत से शुरू हुआ है, लेकिन पेइचिंग में बहुत ज़्यादा बड़े-छोटे योगकेंद्र भी हैं। पेइचिंग में ज़्यादातर योग का अभ्यास करने वाली महिलाएँ हैं, जबकि भारत में पुरुष और महिला दोनों योग का अभ्यास करते हैं।"
योग का अभ्यास के दौरान, कुछ लोग भारतीय संस्कृति में काफी रुचि लेने लगते है। चांग हाओ चीन के ओरिएंटल गीत और नृत्य समूह की राष्ट्रीय स्तर पर निदेशक है। वे कई वर्षों में भारतीय नृत्य पर अनुसंधान कर रही हैं। वर्ष 2001 में, वे भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के एक कार्यक्रम में शामिल हुई, और एक्शचेंज प्रोग्राम के तहत भारत गई। उन्होंने नई दिल्ली केगणेश नाथयालय स्कूल में दो साल भरतनाट्यम सीखा।
चांग हाओ को योग के प्रति बड़ी रुचि है। भारत में रहने के दौरान, उन्होंने हिमालय की तलहटी के ऋषिकेश शहर गई, जो योग की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है। वहाँ उन्होंने नृत्य, योग और प्रकृति के प्रति गहरी समझ प्राप्त की।