अखिल- जी हां लिली जी, आपने बिल्कुल सही कहा। दोनो का घर आबाद रहे। चलिए.. मैं अब बताता हूं कि कैसे कमजोर नजर बन गई मुसीबत
दोस्तों, आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी "नजर थी कमजोर, मुर्गी को कह गए मोर"। इस कहावत को चरितार्थ करता एक मजेदार वाकया यहां के पुलिस प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया। हुआ यूं कि यहां रहने वाली एक महिला खिड़की पर खड़े होकर बारिश का आनंद ले रही थी। तभी उसकी नजर पास ही बने पार्क में बैठे मगरमच्छ पर गई। जिसे देख उसके होश उड़ गए। उसने डर के मारे पड़ोसियों को फोन किया। पड़ोसियों ने भी अपनी दूरदृष्टि का परिचय देते हुए मगरमच्छ को देख उसे भगाने के लिए पुलिस को फोन लगा दिया। फौरन मौके पर पुलिस वनविभाग के अधिकारियों को साथ लेकर पहुंच गई और मगरमच्छ को पकड़ने के लिए उस पर पानी डालने लगी। लेकिन जब वह अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिला तो उसमें से एक व्यक्ति उसके पास गया। फिर भी कोई हरकत नहीं हुई। तभी उसे हाथ से छूकर देखने पर पता चला कि वह एक खिलौना है, जिसे सबने असली का मगरमच्छ मान लिया।
लिली- हां हां हां... सच में कमजोर नजर सभी के लिए मुसीबत बन गई।
अखिल- लिली जी, अब मैं बताता हूं कि एक भाई ने गोलियों की परवाह न कर बचायी बहन की जान।
दोस्तों, आतंकियों की गोलीबारी के बीच एक भाई ने फर्ज निभाते हुए अपनी बहन की जान बचायी. हुआ यूं कि आईएस के आतंकी इराक और सीरिया में दहशत का तांडव मचा रहे थे. इंसानियत को ताक पर रखकर वे बच्चों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ रहे थे. उनकी गोलियां सिर्फ जान ले रही थीं चाहे वे किसी भी उम्र के भी हों, तभी इस दौरान एक लड़का गोलियों की गड़गड़हाट में दौड़ता हुआ निकला और अपनी जान की परवाह किए बगैर अपनी बहन जो आतंकियों की गोलियों का शिकार होते-होते बची इस भाई ने उसे दौड़कर अपने कलेजे से लगाते हुए भाग निकला. इस बच्चे की जांबाजी ने आतंकियों को भी पछाड़ दिया. चलती गोलियों के बीच उसने अपने भाई होने का फर्ज निभाया और अपनी छोटी बहन को जिस तरह से बचाया काबिले तारिफ है. जबकि आतंकियों का निशान ठीक उस बच्चे पर था, लेकिन उसका लक्ष्य तो अपनी बहन को बचाना था और वह कामयाब हुआ.
लिली- वाह.. सच में उस भाई ने भाई होने का फर्ज निभाया और अपनी छोटी बहन को जिस तरह से बचाया काबिले तारिफ है। चलिए मैं बताती हूं कि एक आशिक ने 99 आईफोन-6 के साथ किया लड़की को प्रपोज।