तिब्बत में अमूल्य संसाधनों और भौगोलिक श्रेष्ठताओं से कृषि और पर्यटन उद्योग के विकास के लिए अनुकूल स्थिति तैयार है। मंच में कुछ लोगों ने तिब्बत में उद्योग का विकास न किए जाने की अवधारणा पेश की। लेकिन ऑस्ट्रियाई राष्ट्रीय असेम्बली के अधीन संविधान समिति के अध्यक्ष डॉ. पीटर लुर विट्टमान के विचार में पारिस्थितिक संरक्षण अच्छी तरह किए जाने के साथ-साथ तिब्बत में आर्थिक वृद्धि पर दूसरे तरीके की भी जरूरत है। उन्होंने कहा:
"मेरा विचार है कि आर्थिक विकास को छोड़कर पर्यावरण संरक्षण करना असंभव है। इन दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना आसान नहीं है। ऑस्ट्रिया में भी ऐसी स्थिति मौजूद है। हमें पर्यटन के अलावा आर्थिक वृद्धि के दूसरे माध्यम की भी आवश्यकता है। लेकिन तिब्बत में आर्थिक वृद्धि के लिए सतर्कता के साथ दूसरे तरीके का चयन किया जाना चाहिए। आर्थिक वृद्धि के लिए बहुत कड़े पर्यावरण संरक्षण मापदंड अपनाया जाना जरूरी है। इसमें उच्च वैज्ञानिक व तकनीकी उपाय शामिल हैं। ऐसा करने में तिब्बत को चीन के दूसरे भीतरी क्षेत्रों से ज्यादा विकसित कीमतें चाहिए, पर उसे अपनी स्थिति के अनुकूल उचित उद्योगों की खोज करनी होगी"
विट्टमान की आशंका तिब्बत में मौजूद है। अब तिब्बती लोग इस मसले के समाधान के लिए रास्ता ढूंढ़ रहे हैं। चीनी तिब्बती शास्त्र अनुसंधान केंद्र के उप महानिदेशक लोसांग लिनचीतोर्चे ने अपना जवाब यानी"पारिस्थितिकी अर्थव्यवस्था"की व्याख्या करते हुए कहा:
"पारिस्थितिक अर्थव्यवस्था का विकास करना, पारिस्थितिकी का संरक्षण करना और पारिस्थितिक संसाधन की श्रेष्ठता से औद्योगिक श्रेष्ठता तक बदलना इसका मूल है। मसलन् पारिस्थितिक पर्यटन, विशेषता वाले पशुपालन उद्योग, पारिस्थितिक कृषि, कृषि व पशुपालन वस्तुओं की प्रोसेसिंग उद्योग, तिब्बती चिकित्सा उद्योग और जातीय विशेषता वाले हस्तकला उद्योग जैसे उद्योगों का विकास किए जाने की जरूरत है। इसके साथ ही चक्रीय ऊर्जा का विकास हो, जैसा कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा और मिनरल वॉटर का विकास इत्यादि। किसी हद तक अच्छी तरह संरक्षण किए जाने के साथ ही तिब्बत में स्वच्छ पानी और हरित पर्वत भी बहुमूल्य साकार हो सकता है।"