वास्तव में वर्ष 2010 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति और चीनी राज्य परिषद द्वारा आयोजित पांचवीं तिब्बत कार्य बैठक में तिब्बत की विकास दिशा पर स्पष्ट निर्णय लिया गया। यानी कि तिब्बत को अहम राष्ट्रीय सुरक्षा बाड़, अहम पारिस्थितिक सुरक्षा बाड़, अहम रणनीतिक संसाधन के भंडारण अड्डे, अहम पठारीय विशेषता वाले कृषि उत्पादन अड्डे, अहम चीनी राष्ट्र के विशेष सांस्कृतिक संरक्षण क्षेत्र और अहम विश्व पर्यटन गंतव्य स्थल का निर्माण किया जाए। फरवरी 2009 में चीनी राज्य परिषद ने《तिब्बत में पारिस्थितिक सुरक्षा बाड़ की संरक्षण व निर्माण परियोजना》की पुष्टि की। जिसके मुताबिक करीब 5 साल में तिब्बत में तीन किस्मों वाली 10 पारिस्थितिकी पर्यावरण संरक्षण व निर्माण योजनाओं के लिए 15 अरब 50 करोड़ युआन खर्च किए जाएंगे। ताकि वर्ष 2030 तक तिब्बत में बुनियादी तौर पर पारिस्थितिक सुरक्षा बाड़ स्थापित की जा सके। अब तक इस पर 4 अरब 82 करोड़ युआन खर्च किए जा चुके हैं। चीनी तिब्बती शास्त्र अनुसंधान केंद्र के उप महानिदेशक लोसांग लिनचीतोर्चे का विचार है कि भूमंडलीय दृष्टि से पारिस्थितिकी तिब्बत के निर्माण पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा:
"छिंगहाई तिब्बत पठार को विश्व की छत और पृथ्वी का तीसरा ध्रुव माना जाता है, जहां हिमनदियां और नदियों के स्रोत ज्यादा हैं, साथ ही यहां विश्व में सबसे बड़े क्षेत्रफल वाली झीलें उपलब्ध हैं। छिंगहाई तिब्बत पठार चीन, दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में नदियों का उद्गम स्थल ही नहीं, पारिस्थितिक स्रोत भी है। यहां तक कि यह चीन और एशिया का जल टॉवर भी है। तिब्बत में पारिस्थितिकी संरक्षण करने से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चीन की शक्ति बढ़ेगी। इस तरह हमें वैश्विक अवधारणा और दृष्टिकोण से पारिस्थितिकी व पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देते हुए पारिस्थितिक तिब्बत का निर्माण करना चाहिए।"
मौजूदा चीनी तिब्बत विकास मंच में《ल्हासा सहमतियां》संपन्न हुईं। मंच में उपस्थित देशी विदेशी प्रतिनिधियों ने माना कि संतुलित आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक अनवरत विकास तिब्बत के दूरगामी विकास से मेल खाता है। इसके साथ ही कुछ देशों व क्षेत्रों के विकास में इससे सीखा जा सकता है।