छुए यूइंग ने कहा कि वर्ष 1959 में तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार किया गया और प्रशासनिक व धार्मिक मिश्रित सत्ता वाली सामंती भूदास व्यवस्था समाप्त हुई। वर्ष 1965 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना हुई और वर्ष 1978 के बाद से लेकर अब तक चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू किए जाने से तिब्बत तेज़ विकास के नए दौर से गुज़र रहा है। छुए यीइंग ने कहा कि तिब्बत का भविष्य और भाग्य देश के भविष्य और भाग्य के साथ व्यापक रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा:
"तिब्बत का आधुनिक निर्माण सामंती भूदास व्यवस्था के खंडहर से शुरू हुआ। पहले यह चीन के दूसरे क्षेत्रों से कहीं अधिक पिछड़ा था। वर्ष 1952 से 2012 तक चीन की केंद्र सरकार ने तिब्बत को 4 खरब 50 अरब युआन से अधिक वित्तीय मदद दी। जो तिब्बत के स्थानीय वित्तीय व्यय का 96 प्रतिशत है। गत् पचास के दशक में केंद्र सरकार ने बड़ी धनराशि, सामग्री और मानवशक्ति लगाकर तिब्बत को जोड़ने वाले स्छ्वान-तिब्बत राजमार्ग और छिंगहाई-तिब्बत राजमार्ग का निर्माण किया। 21वीं सदी में प्रवेश करने के बाद चीन की केंद्र सरकार ने छिंगहाई-तिब्बत रेलवे और ल्हासा-शिकाज़े रेलवे के निर्माण में बड़ी राशि लगाई। इस तरह तिब्बत में आधुनिक राजमार्ग और रेल मार्ग न होने का इतिहास समाप्त हुआ।"
आकड़ों के मुताबिक वर्ष 2001 से 2013 तक तिब्बत में समग्र उत्पादन मूल्य यानी जीडीपी 13 अरब 92 करोड़ युआन से बढ़कर 80 अरब 20 करोड़ युआन तक पहुंच गया और 20 वर्षों में लगातार दो अंकों में वृद्धि बनी रही। द हिन्दू अख़बार के महानिदेशक नरसिम्हन राम के विचार में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का विकास चीन की समाजवादी पृष्ठभूमि में हासिल हुआ है। साथ ही तिब्बत में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास की प्रक्रिया भी दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा:
"चीन में हुए ढांचागत परिवर्तन के दौरान तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने पिछले 20 सालों में दो अंकों वाली आर्थिक वृद्धि हासिल की। अब तिब्बत नए दौर में प्रवेश कर चुका है। इस दौरान तिब्बत के विकास के पीछे कई तत्व मौजूद हैं, जिनमें केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई बड़ी धनराशि, संसाधन और राजनीतिक समर्थन प्रमुख हैं। चीन की केंद्र सरकार द्वारा तिब्बत में अपनाई गई उदार नीतियों से तिब्बत में तेज़ गति से विकास हुआ। इसके साथ ही यहां आधुनिक परिवहन व्यवस्था भी स्थापित हुई। छिंगहाई तिब्बत रेलवे विश्व में रेल निर्माण में एक करिश्मा है। मुझे लगता है कि रेल मार्ग की सुविधा के बिना हम ल्हासा तक कभी नहीं पहुंच सकते।"
नरसिम्हन राम के अनुसार तिब्बत की उल्लेखनीय आर्थिक वृद्धि केंद्र सरकार के पूंजी-निवेश, संसाधन और राजनीति के समर्थन से अलग नहीं हो सकती। पर उन्होंने यह भी कहा है कि बाहर के लोग तिब्बत के विकास को नहीं जानते। इसलिये तिब्बत को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां फैली हुई हैं।