संयुक्त राष्ट्र विश्व वित्तीय व आर्थिक संकट तथा उसके विकास पर पड़ने वाले प्रभाव की उच्च स्तरीय सभा 24 तारीख को न्यूयार्क के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में उद्घाटित हुई। इस बार की यह सभा संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में पहली बार अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट सवाल पर आयोजित एक उच्च स्तरीय सभा है, इस सभा में व्यापक विकासशील देशों के इस संकट के दौरान उनकी कठिनाईयों व जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
तीन दिवसीय विश्व वित्तीय व आर्थिक संकट तथा उसके विकास पर पड़ने वाले प्रभाव की उच्च स्तरीय सभा का मुख्य लक्ष्य विश्व के विभिन्न देशों को वर्तमान वित्तीय संकट के आगे अपने रूखों पर समन्वय बिठाने पर मदद देना और सहयोग के आधार पर दीर्घकालीन रूप से संकट का निपटारा करने वाला एक प्रस्ताव निर्धारित करना है।
संयुक्त राष्ट्र महा सचिव बान की मून ने इसी दिन के उदघाटन समारोह में अपने संदेश में कहा कि विश्व वित्तीय व आर्थिक संकट तथा विश्व अनाज संकट, तेल संकट, जल वायु परिवर्तन तथा ए एच1एन1 फ्लू ने मिलकर विश्व के अनेक देशों को बड़ी हद तक प्रभावित किया है। उन्होने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से बहुपक्षीयवादी नीति पर कायम रहकर समान रूप से विविध चुनौतियों का सामना करने की अपील की । उन्होने कहा हालांकि कुछ देशों में वित्तीय स्थिरता व अर्थतंत्र वृद्धि आदि के लक्षण देखे जा रहे हैं, लेकिन अधिकतर देशों में अर्थतंत्र पुनरूत्थान के लक्षण अब तक नहीं देखने को मिल रहे हैं, इस विश्वव्यापी वित्तीय संकट व आर्थिक संकट से निकला असलीयत प्रभाव कुछ सालों तक बरकरार रह सकता है। हमें अन्तरराष्ट्रीय एकता की जरूरत है, हमें संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है।
श्री बान की मून ने कहा कि 20 देश समूह के लन्दन शिखर सम्मेलन में 10 खरब अमरीकी डालर वित्तीय सहायता प्रदान करने का वचन देना केवल एक शुरूआत ही है, महत्वपूर्ण यह है कि किस तरह उसे करनी में बदला जा सके। इस पर उन्होने आठ देश समूह के नेताओं को एक पत्र भेजकर उनसे अपने दिए वचनों का पालन करने तथा उसे वास्तविक कार्रवाईयों में बदल देने का प्रयास करने की मांग भी की है । उन्होने कहा मैंने उनसे सबसे गरीब व सबसे कमजोर देशों को जल वायु परिवर्तन के सामने निकली चुनौतियों के सवाल पर समर्थन देने तथा इस साल के अन्त में आयोजित होने वाली संयुक्त राष्ट्र जल वायु परिवर्तन महा सभा में समझौता संपन्न करने की जरूरत पर बल दिया है। मैंने उनसे अपने वचनों को कार्रवाईयों में बदलने के प्रयास को संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दी विकास के लक्ष्य को साकारने के साथ जोड़ने की महत्वत्ता पर भी बल दिया है।
इस सभा के प्रवर्तक व संयुक्त राष्ट्र महा सभा के अध्यक्ष ब्रोकमेन ने उक्त सभा को संबोधित करते हुए मौजूदा अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था का सुधार करने की अपील की। उन्होने कहा मैं यह बल देना चाहता हूं कि यदि हम इस बार के संकट से उत्पन्न सुअवसर का फायदा उठाना चाहते हैं तो हमें स्वार्थीपन फार्मूले को अवश्य त्याग देना होगा, यह तरीका केवल अल्पसंख्यक लोगों के लिए ही खुशहाली लेकर आएगा, जबकि अधिकतर लोगों के लिए विपत्तीभरा परिणाम ही निकलेगा। हमें एकता व सहयोग से अपने को हथियार करना होगा, केवल इसी तरह ही हम एक शान्ति व धनी भविष्य को साकारने के लिए सार्थक कदम उठा सकने में सक्षम हो सकते हैं।
इस सभा में भाग ले रहे चीनी विदेश मंत्री यांग च्ये छी ने सभा में कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को अधिक समष्टिगत दृष्टिकोण से विकास का विवेचन करना चाहिए और विकासशील देशों को वित्तीय संकट, विश्वव्यापी आर्थिक संकट का सामना करने की महत्वपूर्ण शक्ति मानकर विकास तथा विकास के आगे खड़ी संकट को दूर करने का एक महत्वपूर्ण पात्र मानना चाहिए। उन्होने विकासशील देशों के अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट व्यवस्था में अपना प्रतिनिधित्व व अपनी आवाज उठाने का अधिकार को उन्नत करने के लिए सार्थक कदम उठाने पर बल दिया। उन्होने कहा न्यायपूर्ण, युक्तिसंगत , महासहनशीलता व सुव्यवस्थित अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था का निर्माण किया जाना चाहिए। अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक के ढांचेगत सुधार को निरंतर बढ़ाने के साथ व्यवहारिक व सार्थक रूप से विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व व उनकी आवाज को उठाने के अधिकार को उन्नत करना चाहिए। हमें अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन से अपने विभिन्न सदस्य देशों की समष्टिगत नीति की निगरानी पर न्यायपूर्ण, युक्तिसंगत व संतुलन को सुनिश्चत करने की मांग करनी चाहिए। ताकि मुख्य रिजर्व मुद्रा की विनिमय दर को अपेक्षाकृत सतत रखा जाने के साथ साथ अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व्यवस्था के बहुपक्षीकरण व समुचितकरण को प्ररित किया जा सके।