2009-06-23 17:00:00

चीन ने पहली बार समुद्र द्वीपों के संसाधन के संरक्षण को कानून का रूप देकर प्रबल किया

चीन की सर्वोच्च विधि संस्था, चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी इन दिनों समुद्र द्वीप संरक्षण कानून मसौदे का विवेचन कर रही है। इस मसौदे कानून में निवासी रहित समुद्र द्वीपों की प्रभुसत्ता से संबंधित अस्पष्ट सवालों को स्पष्ट कर उनका समाधान किया जाएगा, और तो और समुद्र द्वीपों के तटों, नस्लों, वनस्पतियों व मीठे पानी आदि संसाधनों की कड़ी सुरक्षा , समुद्र द्वीपों के संरक्षण पर सरकार द्वारा इन्तेजाम विशेष पूंजी, समुद्र द्वीपों की पारिस्थितिकी संरक्षण गश्त व्यवस्था के निर्माण आदि मुददे भी इस कानून में शामिल किए जाएगें। उक्त कानून विधि प्रक्रिया में प्रवेश कर चुकी है, यह इस बात का प्रतीक है कि चीन एक बड़ा समुद्र देश होने के नाते, विधि के आधार पर अपने द्वीपों के संसाधन की सुरक्षा को प्रबल करेगा। चीन के समुद्र द्वीपों के संरक्षण में कौन से फौरी सवालों का समाधान जरूरी है?

चीन के 30 लाख वर्ग किलोमीटर समुद्री क्षेत्र में 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल से अधिक समुद्र द्वीपों की संख्या 6900 से अधिक है, छोटे क्षेत्रफल वाले समुद्र द्वीपों की संख्या 10 हजार से अधिक हैं, और अनेक समुद्र पठार भी हैं। अर्थतंत्र के तेज विकास व प्राकृतिक संसाधन की कमी के कारण, समुद्र द्वीपों का विकास, निर्माण, संरक्षण व प्रबंधन से निकले अनेक सवाल दिनोंदिन उल्लेखनीय होते जा रहे हैं, इन में समुद्र द्वीपों की पारिस्थितिकी में गंभीर बिगाड़, समुद्र द्वीपों की तीव्र कटौती, निवासी रहित विरान द्वीपों पर गैरकानूनी कब्जा आदि समस्याएं भी शामिल हैं। इस सवाल पर बोलते हुए राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी के पर्यावरण व संसाधन कमेटी के अध्यक्ष वांग क्वांग थाओ ने हमें बताया समुद्र द्वीपों की पारिस्थितिकी व्यवस्था की सुरक्षा , प्राकृतिक संसाधन का समुचित विकास व प्रयोग, समुद्र द्वीपों व उसके आसपास पारिस्थितिकी के संतुलन को कायम रखने के लिए, समुद्र द्वीप संरक्षण कानून न केवल बेहद जरूरी है बल्कि व्यवहारिक भी है।

एक बड़ा समुद्री देश होने के नाते, चीन ने 1992 से ही प्रादेशिक समुद्र व उससे संबंधित क्षेत्र कानून स्थापित कर लिया था, चीन सरकार ने बहुत पहले से ही अपने वक्तव्य में प्रादेशिक समुद्र की प्रभुसत्ता व उससे संबंधित क्षेत्रों के प्रबंधन अधिकार की घोषणा भी कर ली है। अन्ततः समुद्र द्वीप संरक्षण कानून व्यवस्था डिजाइन की दृष्टि से हो या उसके ठोस विषयों की दृष्टि से , वह समुद्र द्वीप की प्रभुसत्ता के सवाल से संबंधित नहीं रखता , वह समुद्र द्वीप की पारिस्थितिकी संरक्षण के उद्देश्य से निर्धारित एक समुद्र कानून है।

इस कानून मसौदे में सबसे गौरतलब यह है कि उसने निवासी रहित विरान समुद्र द्वीपों की अस्पष्ट स्वामीत्व सवाल को स्पष्ट कर दिया है। इस मसौदे के अनुसार, निवासी रहित विरान समुद्र द्वीपों का स्वामीत्व राष्ट्र को जाता है, राज्य परिषद देश का प्रतिनिधित्व कर इन द्वीपों का अधिकार संभालती है। कानून मसौदे ने समुद्र द्वीप संरक्षण के सिद्धांतो को वैज्ञानिक योजना की संज्ञा देकर संरक्षण को प्राथमिक स्थान दिया है और उसका समुचित रूप से विकास करने जैसे मुददों को सम्मलित किया है। कानून मसौदे ने राष्ट्र, प्रांत, शहर, कस्बे व काउंटी छह श्रेणी संरक्षण योजना व्यवस्था निर्मित की है। समुद्र द्वीपों की पारिस्थितिकी के संरक्षण को सुदृढ़ करना, समुद्र द्वीपों को नष्ट होने से बचाना, समुद्र द्वीप संरक्षण कार्य का केन्द्रीय बिन्दु व समुद्र द्वीप कानून मसौदे का प्राथमिक मुददा है। श्री वांग क्वांग थाओ ने इस पर जानकारी देते हुए कहा समुद्र द्वीप संरक्षण की एक धारा में विशेष तौर से समुद्र द्वीप के निर्माण व संस्थापन निर्माण तथा समुद्र में दीवार खड़ी कर भूमि प्राप्त करने पर कड़ा परिसीमन लगाया है । समुद्र द्वीपों के इतिहास, मानव संस्कृति अवशेषों व नस्लों समेत द्वीपों के वनस्पतियों व मीठे जल संसाधनो की संरक्षण शक्ति को और अधिक प्रबल किया है।

चीन में कोई 77 प्रादेशिक विशेष द्वीप है, इन में आधारशिला रेखा स्थान, एस्ट्रोनोमी रेखा स्थान , जल निश्चित रेखा स्थान व विश्व उपग्रह निश्चित नियंत्रण स्थान आदि संस्थापन व रेखाएं निर्धारित की गयी हैं। कानून मसौदे ने इन विशेष द्वीपों पर कड़ी पारिस्थितिकी संरक्षण व्यवस्था कायम की है, उन्होने कहा प्रादेशिक द्वीपों में स्थापित प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र, वैज्ञानिक अनुसंधान प्रयोग में आने वाले क्षेत्र तथा अन्य विशेष जरूरत वाले समुद्र द्वीपों का पारिस्थितिकी संरक्षण, वहां की पारिस्थितिकी सुरक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान पर भारी महत्व रखती है। इन द्वीपों पर अन्य आम द्वीपों की तुलना में अधिक पारिस्थितिकी संरक्षण व्यवस्था लागू की जाएगी, ताकि समुद्र द्वीपों की पारिस्थितिकी संरक्षण व्यवस्था की पूर्णता को कायम रखा जा सके। अन्ततः हमने कानून मसौदे में विशेष तौर से समुद्र द्वीप विशेष प्रयोग प्रबंधन धारा निर्धारित की है। इस के अलावा, समुद्र पवन उर्जा, सौलर उर्जा, समुद्र पानी को मीठे पानी में बदलने व समुद्र जल का समग्र प्रयोग जैसे मुददों के विकास के लिए अनेक उदार नीतियां भी तैयार की हैं, ये समुद्र द्वीपों के प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र की एक पूरक नीति भी है।