2009-06-17 11:24:13

अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव की गतिविधि शुरु

श्रोताओं, इस वर्ष की 20 अगस्त को होने वाले अफगानिस्तानी राष्ट्रपति के चुनाव की गतिविधि 16 तारीख को औपचारिक रुप से शुरु हुई है। मौजूदा राष्ट्रपति करजाई समेत 41 उम्मीदवारियों ने चुनाव में भाग लेने की घोषणा की है ।विश्लेषकों का मानना है कि इन 41 उम्मीदवारियों में से श्री करजाई ही संभवतः राष्ट्रपति के चुनाव में विजयी होंगे। लेकिन, श्री करजाई विभिन्न ;चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
वर्ष 2002 के जून माह में श्री करजाई अफगानिस्तानी राष्ट्रीय असेम्बली के मतदान में अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के राष्ट्रपति चुने गये। वर्ष 2004 के 9 अक्तूबर को अफगानिस्तान में इतिहास में प्रथम राष्ट्रपति के प्रत्यक्ष चुनाव का आयोजन किया गया। श्री करजाई बहुमत से अफगानिस्तानी राष्ट्रपति चुने गये। उन का कार्यकाल पांच वर्ष है। पिछले पांच वर्षों में हालांकि अफगानिस्तान का पुनः निर्माण कार्य कठिन से आगे बढ़ा है, फिर भी करजाई सरकार ने देश की एकता की रक्षा करने और अफगानिस्तान के पुनः निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन हासिल करने में अनेक काम किये हैं। इसलिए, अफगानिस्तान में श्री करजाई का प्रभाव अभी भी है।
वर्तमान राष्ट्रपति चुनाव के लिए श्री करजाई ने बड़ी मेहनत की है। उन्होंने अफगान की सब से बड़ी विपक्षी पार्टी युनाइटिट नेशनल फ्रंट के एक नेता, भूतपूर्व अफगानिस्तानी रक्षा मंत्री फहिम को अपना सह उम्मीदवारा चुना है। जबकि युनाइटिट नेशनल फ्रंट ने भूतपूर्व अफगानिस्तानी विदेश मंत्री अब्दुल्लाह को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषइत किया है । युनाइटिड़ नेशनल फ्रंट में श्री फहिम का प्रभाव श्री अब्दुल्लाह से अधिक है। इस तरह, श्री करजाई ने न केवल सफलतापूर्वक युनाइटिड नेशनल फ्रंट की शक्ति को कम किया है बल्कि अल्पसंख्यक जाति का समर्थन भी प्राप्त किया है। श्री करजाई के अन्य एक सह उम्मीदवार मौजूदा दूसरे उप राष्ट्रपति खलिली हैं। श्री खलिली अफगानिस्तान की तीसरी बड़ी जाति हजारा जाति की हेजब वाहदाट पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले महत्वपूर्ण नेता हैं। इस के अलावा, 30 मई को उज्बेकिस्तान जाति का प्रतिनिधित्व करने वाले नेशनल इस्लामिक मुवमेंट के नेता ने भी श्री करजाई को समर्थन देने की घोषणा की। मीडिया ने यह माना कि श्री करजाई ने सिलसिलेवार मध्यस्थता करने के बाद सफलता से विभिन्न विपक्षी पार्टियों का विभाजन किया है और अपनी विजय सुनिश्चित की है।इतना ही नहीं, चूंकि श्री करजाई अफगानिस्तान में पश्तून जाति के हैं जो कुल आबादी का 60 प्रतिशत है, इसलिए, उन की जीत की संभावना बहुत है।
उपरोक्त श्रेष्ठताएं होने के बावजूद, श्री करजाई को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन के सब से शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी भूतपूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्लाह और भूतवूर्व वित्त मंत्री घानी हैं। श्री अब्दुल्लाह युनाइटिड नेशनल फ्रंट के उम्मीदवार हैं। हाल में उन्हें उत्तरी अफगानिस्तान के प्रमुख प्रांत बालख के गर्वनर का खुला समर्थन मिला है। श्री अब्दुल्लाह ने खुलेआम मौजूदा सरकार की आलोचना की और माना कि सरकार में भ्रष्टाचार होने से देश डांवाडोल हो रहा है। उन्होंने सरकार के ढांचे का रुपांतरण करने और हालिया राष्ट्रपति की सत्ता को कम करने की अपील की। जबकि श्री घानी ने आर्थिक सुधार से हालिया अफगानिस्तान में हुई विभिन्न समस्याओं का समाधान करने का आह्वान किया। निस्संदेह, दोनों उम्मीदवारों ने श्री करजाई सरकार के सामने मौजूदा महत्वपूर्ण समस्याओं को उजागर किया है। इधर के वर्षों में अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति निरंतर बिगड़ रही है। विभिन्न क्षेत्रों में पुनः निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है, जिस से अफगानिस्तान और विदेशों में श्री करजाई सरकार की शासन क्षमता के प्रति संदेह उत्पन्न हुआ है।दूसरी ओर, अफगानिस्तान स्थित विदेशी टुकड़ी एवं तालिबान के बीच निरंतर सशस्त्र मुठभेड़ से बेगुनाह आम नागरिकों की हताहती जारी है। हालांकि श्री करजाई ने इस पर जबरदस्त रोष प्रकट किया और अफगानिस्तान स्थित विदेशी सेना से आम नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की मांग की, फिर भी इस तरह की घटनाओं से जनता के बीच उन की प्रतिष्ठा कम हुई है। चुनाव में अफगानिस्तान के नागरिकों को संतुष्ट करना श्री करजाई के पद पर बने रहने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ध्यान रहे, अफगानिस्तान का आम चुनाव भी सुरक्षा की समस्या का सामना कर रहा है। अफगानिस्तान के अधिकारी ने कहा कि तालिबान के नेतृत्व वाली गैरकानूनी सशस्त्र शक्ति ने हालिया कई हफ्तों से हमला जारी रखा है। तालिबान सशस्त्र शक्ति ने अफगानिस्तान के नागरिकों से आम चुनाव का बहिष्कार करने की अपील की और धमकी भी दी कि वह मतदान केंद्रों पर भी हमला करेगी। आम चुनाव की सुरक्षा व्यवस्था की रक्षा करना भी मौजूदा सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।