2009-06-16 16:39:10

ब्रिक देशों की शिखर वार्ता का प्रतीकात्मक महत्व


दोस्तो , चीन , रूस , भारत व ब्राजिल के नेता 16 जून को रुस को येकतरिनबर्ग में प्रथम ब्रिक शिखर वार्ता करेंगे । चीनी संबंधित विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा शिखर वार्ता ब्रिक के विकास का मील पत्थर महत्व रखती है , विभिन्न देशों के बीच विश्व वित्तीय संकट के मुकाबले और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के सुधार जैसे क्षेत्रों में सलाह मशविरे और सहयोग का ब्रिक, यहां तक की सारी दुनिया के लिये भारी महत्व है । 


ब्रिक की धारणा अमरीकी गोल्डमन सचस ने 2001 में सब से पहले पेश की है । 2003 में उक्त कम्पनी ने एक भूमंडलीय आर्थिक रिपोर्ट में आगे जता दिया है कि आगामी 2050 तक विश्व आर्थिक मार्गदर्शक अमरीका, यूरोप और जापान ही नहीं , ब्राजिल , रुस , भारत व चीन भी होंगे । ब्रिक देश महत्वपूर्ण नवोदित आर्थिक समुदाय ही हैं । इधर सालों में उन के आर्थिक विकास में ध्यानाकर्षक उपलब्धियां हासिल हो गयी हैं । ब्रिक देशों की मौजूदा शिखर वार्ता उक्त चार देशों के नेताओं की प्रथम विधिवत वार्ता है । चीनी अंतर्राष्ट्रीय सवाल अनुसंधान कोष के रणनीतिक अनुसंधान केंद्र के कार्यकारी प्रधान श्री वांग यू शंग ने कहा कि ब्रिक देशों के उदय से विश्व के बहुध्रुवीकरण का मुख्थ रुझान प्रतिबिम्बित हो गया है ।

ब्रिक देशों के उदय से मुख्यतः युग के परिवर्तन को प्रतिबिन्बित हो गया है । शीत युद्ध की समाप्ति के बाद खासकर इधर दस सालों में विकासमान देश सामूहिक रुप से उत्थान पर आये हैं , जब कि उन का प्रतिनिधित्व ब्रिक चार देश करते हैं , उन का उदय अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों के अनुपात को बदल रहा है ।

चीनी सामाजिक अकादमी के विश्व राजनीतिक व आर्थिक अनुसंधान प्रतिष्ठान के उप प्रधान वांग यी चओ ने कहा कि ब्रिक देशों की प्रथम शिखर वार्ता एक विशेष पृष्ठभूमि में हो रही है , इसलिये उस का विशेष महत्व है।   

मेरा विचार है कि इस का विशेष महत्व है , एक तरफ यह विश्व वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में हो रही है , दूसरी तरफ 2009 वर्ष पृथ्वीव्यापी वार्ता वर्ष ही है । मसलन अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था वार्ता , अंतर्राष्ट्रीय जलवायु व्यवस्था वार्ता और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था वार्ता आदि आदि , इसीलिये यह कहा जा सकता है कि ब्रिक देशों की विशेष शिखर वार्ता ब्रिक देशों के भावी विकास का एक अहम प्रतीक ही है ।

ब्रिक चार देशों का क्षेत्रफल सारी दुनिया का 26 प्रतिशत बनता है , जबकि जनसंख्या सारी दुनिया की कुल जनसंख्या का 42 प्रतिशत बनती है । अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों के अनुसार 2006 से 2008 तक चार ब्रिक देशों की औसत आर्थिक वृद्धि दर 10.7 प्रतिशत रही । अंतर्राष्ट्रीय सवाल विशेषज्ञ वांग यी चओ का विचार है कि चार ब्रिक देशों के उदय से पृथ्वीव्यापी आर्थिक विकास के पारम्परिक फारमूले को करारी चोट लगी है , पर यह ठीक चार ब्रिक देशों की शक्तियों का महत्व ही है ।

परम्परागत चिंतन प्रणाली के अनुसार यूरोपीय व अमरीकी फारमूले ही विभिन्न देशों के औद्योगिकरण व आधुनिकीकरण का नेतृत्व करने में सक्षम हैं । पर अब चार ब्रिक देशों ने इस से साबित कर दिखाया है कि उक्त चिंतन प्रणाली पक्षपातमूलक है ।

लोकमत का मानना है कि चाहे सामाजिक परिस्थितियों में हो या आर्थिक विकास में क्यों न हो , चार ब्रिक देशों के बीच अंगिनत अंतर मौजूद हैं , अतः चार देश सार्थक सहयोग करने में असमर्थ हैं । इसी बात को लेकर श्री वांग यू शंग ने कहा कि ठीक विकास फारमूलों की विविधता का समादर और बराबर साझेदार संबंध का समर्थन ब्रिक चार देशों को एक सूत्र में बाधे जाने का अहम तत्व ही हैं ।

सामाजिक परिस्थितियों, सामाजिक व्यवस्थाओं और विकास फारमूलों व आर्थिक हितों , खासकर क्षेत्रीय राजनीतिक हितों की दृष्ठि से देखा जाये , तो ब्रिक चार देशों के बीच सचमुच अनेक भिन्नताएं मौजूद हैं । लेकिन उन का आम आधार एक जैसा ही है । वे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के आम विकास रुझान पर समान विचार रखते हैं ।

पता चला है कि मौजूदा वार्ता में हिस्सेदार नेता विश्व वित्तीय संकट , अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के सुधार और जलवायु परिवर्तन आदि भारी सवालों पर रायों का आदान प्रदान कर देंगे । वांग यी चओ ने कहा कि चार ब्रिक देश इन भारी सवालों पर सहयोग मजबूत बनायेंगे और चार ब्रिक देशों के सहयोग मंच को बढावा देंगे ।