इजराइली प्रधान मंत्री नेटानयाहू ने 14 जून रात को रामाट कान शहर के बारइलान विश्वविद्यालय में भाषण देते हुए उन के सत्ता में आने के बाद इजराइल की देश विदेश नीतियों की व्याख्या की। भाषण में नेटानयाहू ने फिलिस्तीन से बिना किसी पूर्व शर्त के शांति वार्ता पुनः शुरू करने की अपील की।
नेटानयाहू ने कहा कि अगर फिलिस्तीन सेना तैनात न करने का वायदा करेंगे और इजराइल की सुरक्षा के लिये आवश्यक कदम उठाएंगे तो इजराइल अपने देश के पास एक गैर सैन्यकरण फिलिस्तीन देश की स्थापना करना चाहता है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यरूशलम इजराइल की राजधानी बनेगा।
अमरीकी ह्वाइट हाउस के प्रवक्ता जिब्स ने 14 तारीख को वक्तव्य जारी कर कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा के विचार में नेटानयाहू का उक्त ब्यान आगे बढ़ा एक अहम कदम है।
लेकिन फिलिस्तीनी विभिन्न पक्षों ने नेटानयाहू की बात की आलोचना की। फिलिस्तीनी राष्ट्रीय सत्ताधारी संस्था के अध्यक्ष अब्बास के सहायक रूडेनाह ने कहा कि नेटानयाहू का भाषण क्षेत्रीय शांति प्रक्रिया को नुक्सान पहुंचा सकता है।
हमास के प्रवक्ता बारहोम ने कहा कि नेटानयाहू के भाषण से यह जाहिर है कि वर्तमान इजराइली सरकार उग्रवादी सरकार है और इस का राजनीतिक उद्देश्य फिलिस्तीनियों के अधिकार को छीनना है।
यूरोपीय संघ के वैदेशिक व सुरक्षा नीति के वरिष्ठ प्रतिनिधि सोलाना ने 14 जून को काहिरा में कहा कि इजराइल को जानना चाहिये कि शांतिपूर्ण तरीके से राष्ट्रीय सुरक्षा को मूर्त रूप दिया जाए। यूरोपीय संघ इजराइल के साथ संपर्क बनाए रखेगा।(रूपा)
![]() |
![]() |
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040 |